सीधा उत्तर
- सुप्रीम कोर्ट ने
तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन (TASMAC) के खिलाफ ईडी की जांच पर रोक लगाई है, यह कहते
हुए कि ईडी "सभी सीमाएं लांघ रही है" और संघीय ढांचे का उल्लंघन कर
रही है।
- यह निर्णय 22
मई, 2025 को लिया गया, जिसमें तमिलनाडु सरकार और TASMAC ने ईडी की
कार्रवाई को चुनौती दी थी।
- मामला शराब की
दुकानों के लाइसेंस में कथित ₹1000 करोड़
के घोटाले से संबंधित है।
पृष्ठभूमि
सुप्रीम
कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी की, यह कहते
हुए कि यह एक राज्य निगम पर छापेमारी कैसे कर सकती है, जो
संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाता है। कोर्ट ने ईडी को जवाब दाखिल करने का निर्देश
दिया और आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी।
सुनवाई
का विवरण
सुनवाई
के दौरान,
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि ईडी की
कार्रवाई संविधान का उल्लंघन करती है। तमिलनाडु सरकार ने दावा किया कि ईडी के
छापों से अधिकारियों को परेशानी हुई और कोई सबूत नहीं मिला।
ईडी का बचाव
ईडी
ने दावा किया कि यह ₹1000 करोड़ का भ्रष्टाचार
मामला है, जिसमें TASMAC के संचालन में
अनियमितताएं पाई गईं, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया।
सहायक
लिंक: 1.सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को फटकारा, 2. ईडी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी।
परिचय
22
मई, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु स्टेट
मार्केटिंग कॉर्पोरेशन (TASMAC) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय
(ईडी) की जांच पर रोक लगा दी और ईडी पर सख्त टिप्पणी की, यह
कहते हुए कि यह "सभी सीमाएं लांघ रही है" और देश के संघीय ढांचे का
उल्लंघन कर रही है। यह मामला शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन में कथित ₹1000
करोड़ के घोटाले से संबंधित है, जिसे तमिलनाडु
सरकार और TASMAC ने चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम
कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाई और उसे जवाब दाखिल करने का निर्देश
दिया। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि ईडी का राज्य
निगम पर छापेमारी करना संविधान का उल्लंघन है और संघीय ढांचे को नष्ट करता है।
कोर्ट ने सवाल उठाया कि एक केंद्रीय एजेंसी कैसे एक राज्य निगम के खिलाफ कार्रवाई
कर सकती है।
मामले का विवरण
यह
मामला तमिलनाडु में शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन में कथित भ्रष्टाचार से
संबंधित है, जिसे ₹1000 करोड़
का घोटाला माना जा रहा है। ईडी ने पिछले सप्ताह TASMAC मुख्यालय
और 10 अन्य स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें कथित तौर पर अनियमितताओं, कीमत निर्धारण में
धोखाधड़ी और टेंडर वितरण में गड़बड़ियों का पता चला।
तमिलनाडु
सरकार और TASMAC का पक्ष
तमिलनाडु
सरकार ने दावा किया कि ईडी के छापों से अधिकारियों को परेशानी हुई और कोई ठोस सबूत
नहीं मिला। एक्साइज मंत्री एस मुत्थुस्वामी ने आरोप लगाया कि ईडी अधिकारियों को
परेशान कर रही है। वकील कपिल सिब्बल, अमित आनंद
तिवारी और मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि TASMAC एक राज्य
निगम है और 2014 से राज्य ने 40 से
अधिक FIR दर्ज की हैं, लेकिन ईडी का
हस्तक्षेप अनुचित है।
ईडी
का बचाव
ईडी
ने अपना बचाव करते हुए कहा कि यह एक गंभीर भ्रष्टाचार मामला है,
जिसमें ₹1000 करोड़ की राशि शामिल है। एएसजी
एसवी राजू ने कहा कि छापों में अनियमितताओं का पता चला, जिसमें
डिस्टिलरी कंपनियों द्वारा फंड सिफारिश और MRP से ऊपर कीमत
वसूलने जैसे आरोप शामिल हैं। हालांकि, कोर्ट ने ईडी के दावों
को स्वीकार नहीं किया और कार्रवाई पर रोक लगा दी।
संबंधित
जानकारी
इस
मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने 23 अप्रैल, 2025 को ईडी को जांच की खुली छूट दी थी, जिसे तमिलनाडु
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि ईडी अधिकारियों के फोन
क्लोन कर गोपनीयता का उल्लंघन कर रही है, जो कानूनी रूप से
गलत है।
निष्कर्ष
यह
मामला ईडी की शक्तियों और संघीय ढांचे के बीच तनाव को उजागर करता है। सुप्रीम
कोर्ट का निर्णय यह स्पष्ट करता है कि केंद्रीय एजेंसियों को राज्य निगमों के
खिलाफ कार्रवाई करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। यह मामला भविष्य में ईडी की भूमिका
और उसके अधिकार क्षेत्र पर बहस को बढ़ावा दे सकता है।