मुख्य बिंदु
- एक सेवायत,
देवेंद्र नाथ गोस्वामी, ने बांकेबिहारी
गलियारा पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।
- यह याचिका 15
मई 2025 के आदेश को संशोधित करने के लिए
है, जिसमें मंदिर के धन का उपयोग गलियारा परियोजना के
लिए अनुमति दी गई थी।
- सुनवाई 20
मई 2025 के बाद के सप्ताह में निर्धारित
है, और वर्तमान में (22 मई 2025)
यह विचाराधीन है।
- विवाद यह है कि मूल आदेश में
सेवायत को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया और मंदिर प्रशासन का मामला हाई कोर्ट
में लंबित है।
पृष्ठभूमि
15
मई 2025 को, सुप्रीम
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को श्री बांकेबिहारी मंदिर के धन का उपयोग करके 5
एकड़ भूमि खरीदने और ₹500 करोड़ की गलियारा
विकास योजना लागू करने की अनुमति दी थी। हालांकि, देवेंद्र
नाथ गोस्वामी, जो मंदिर के प्रबंधन से जुड़े हैं, ने दावा किया कि उन्हें इस निर्णय में शामिल नहीं किया गया और उन्हें उचित
सुनवाई का मौका नहीं मिला।
याचिका का उद्देश्य
याचिका
में मूल आदेश को संशोधित करने और गलियारा परियोजना पर रोक लगाने की मांग की गई है।
इसके अलावा, एक विरासत और हितधारक सलाहकार समिति के
गठन की भी मांग की गई है।
वर्तमान स्थिति
सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवाई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ के समक्ष निर्धारित
है,
और यह 20 मई 2025 के बाद
के सप्ताह में होनी है। वर्तमान तिथि (22 मई 2025) तक, कोई निर्णय नहीं आया है।
विस्तार से चर्चा
इस
खंड में,
हम सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिका और इसके व्यापक
संदर्भ पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जो बांकेबिहारी गलियारा
परियोजना से संबंधित है।
परिचय और पृष्ठभूमि
22
मई 2025 को, यह स्पष्ट
हुआ कि श्री बांकेबिहारी मंदिर के एक सेवायत, देवेंद्र नाथ
गोस्वामी, ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका (Miscellaneous
Application) दाखिल की है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के 15 मई 2025 के आदेश को संशोधित करने के लिए है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के धन का उपयोग करके 5 एकड़ भूमि अधिग्रहण करने और ₹500 करोड़ की लागत से
गलियारा विकास योजना को लागू करने की अनुमति दी गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति बेला
ट्रिवेदी और न्यायमूर्ति एस.सी. शर्मा की पीठ द्वारा पारित किया गया था।
याचिका
का मुख्य आधार यह है कि मूल निर्णय एक्स-पार्टे (एक पक्ष की अनुपस्थिति में) पारित
किया गया था, और याचिकाकर्ता को सुनवाई का उचित अवसर
नहीं दिया गया। इसके अलावा, मंदिर के प्रशासन से संबंधित एक
मामला अभी भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित है (PIL No. 1509/2022), और इस पृष्ठभूमि में मंदिर के धन का उपयोग विवादास्पद है।
याचिकाकर्ता और प्रतिनिधित्व
याचिकाकर्ता,
देवेंद्र नाथ गोस्वामी, मंदिर के प्रबंधन से
जुड़े हैं और राज भोग शाखा के शेबैतों (मंदिर के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार
व्यक्ति) से संबंधित हैं। वे स्वामी श्री हरि दास जी गोस्वामी के वंशज हैं। उनकी
ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने पैरवी की है।
मूल आदेश और विवाद
15
मई 2025 को, सुप्रीम
कोर्ट ने एक विशेष अनुमति याचिका (SLP Civil 29702/2024) पर
सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के फिक्स्ड डिपॉजिट से धन निकालने और
भूमि खरीदने की अनुमति दी थी। इस आदेश में यह भी निर्देश दिया गया था कि खरीदी गई
भूमि देवता के नाम पर पंजीकृत की जाएगी। यह निर्णय इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक पूर्व
आदेश को संशोधित करता था, जिसमें मंदिर के धन का उपयोग
गलियारा परियोजना के लिए प्रतिबंधित किया गया था।
हालांकि,
याचिकाकर्ता का तर्क है कि इस निर्णय में उन्हें पक्षकार नहीं बनाया
गया और उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। इसके अलावा, उन्होंने
यह भी दावा किया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अन्य एसएलपी में हस्तक्षेप आवेदन
दाखिल करके प्रक्रिया का दुरुपयोग किया, जो इस मामले से
संबंधित नहीं था।
याचिका में मांगे गए निवेदन
याचिका
में निम्नलिखित राहतें मांगी गई हैं:
- 15 मई 2025 के आदेश (पैरा 19, 20, और 24) को संशोधित करना, जो गलियारा विकास योजना और धन
के उपयोग से संबंधित है।
- गलियारा विकास योजना और उससे
संबंधित गतिविधियों पर रोक लगाना, जब
तक कि याचिका का निपटारा नहीं हो जाता।
- एक विरासत और हितधारक सलाहकार
समिति का गठन करना, ताकि मंदिर की विरासत
और हितों की रक्षा हो सके।
- अन्य न्यायोचित आदेश जारी करना।
सुनवाई और वर्तमान स्थिति
यह
याचिका मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवाई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ के समक्ष
प्रस्तुत की गई है। सुनवाई की तारीख 20 मई 2025
के बाद के सप्ताह में निर्धारित की गई है। वर्तमान तिथि (22 मई 2025) तक, याचिका पर कोई
निर्णय नहीं आया है, और यह विचाराधीन है।
कानूनी और ऐतिहासिक संदर्भ
यह
मामला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 और 2019 के तहत मंदिर के धन के उपयोग और प्रबंधन से संबंधित कानूनी प्रावधानों से
जुड़ा है। इसके अलावा, इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित PIL
No. 1509/2022 में मंदिर के प्रशासन और धन के उपयोग पर पहले से ही
विचार किया जा रहा है, जो इस मामले को और जटिल बनाता है।
समाचार और सामाजिक मीडिया पर चर्चा
इस
मुद्दे पर कई समाचार स्रोतों, जैसे LiveLaw और Courtbook.in, ने विस्तृत कवरेज प्रदान की है।
इन स्रोतों से प्राप्त जानकारी एक-दूसरे की पुष्टि करती है और यह स्पष्ट करती है
कि याचिका दाखिल की गई है और वर्तमान में विचाराधीन है।
निष्कर्ष
सुप्रीम
कोर्ट में बांकेबिहारी गलियारा के संबंध में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है,
जिसका उद्देश्य 15 मई 2025 के आदेश को संशोधित करना है। यह याचिका देवेंद्र नाथ गोस्वामी द्वारा
दाखिल की गई है, और इस पर सुनवाई 20 मई
2025 के बाद के सप्ताह में निर्धारित है। वर्तमान तिथि (22
मई 2025) तक, याचिका पर
कोई निर्णय नहीं आया है, और यह विचाराधीन है। यह मामला मंदिर
के धन के उपयोग और प्रशासन से संबंधित कानूनी और धार्मिक मुद्दों को उजागर करता है,
जो भविष्य में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।