9 मई 2025:
भारत-पाकिस्तान
सीमा पर बढ़ते तनाव और चंडीगढ़ में हवाई हमले की चेतावनी के बीच पंजाब एंड हरियाणा
हाईकोर्ट ने एक वकील की स्थगन याचिका को खारिज करते हुए कड़ा रुख अपनाया। हाईकोर्ट
बार एसोसिएशन द्वारा घोषित "नो वर्क डे" के आधार पर स्थगन मांगने वाले वकील
को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि जब देश की सेनाएं युद्ध के मैदान में डटी हैं,
तब कोई भी घर पर बैठकर आराम नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट
किया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध होने से वकील घर से ही मामले में
शामिल हो सकते हैं।
मामले का विवरण
पंजाब-हरियाणा जल
विवाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व करने
वाले वकील ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और स्टेट बार काउंसिल द्वारा घोषित "नो
वर्क डे" का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित करने की मांग की। वकील ने तर्क
दिया कि बार काउंसिल के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है,
क्योंकि उनके लाइसेंस उसी के अधीन हैं। साथ ही, उन्होंने सीमा पर तनाव और चंडीगढ़ में ब्लैकआउट की स्थिति का उल्लेख किया।
चीफ जस्टिस शील
नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने इस अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा,
"जब हमारी सेनाएं युद्ध के मैदान में हैं, तब 'नो वर्क कॉल' दुर्भाग्यपूर्ण
है। अगर हर कोई घर पर बैठकर आराम करने लगे, तो देश की पूरी
व्यवस्था ठप हो जाएगी।" कोर्ट ने वकील को वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई में शामिल होने की सलाह दी और मामले को उसी दिन
शाम 4 बजे तक के लिए टाल दिया।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने बार
एसोसिएशन के "नो वर्क डे" के फैसले पर नाराजगी जताई और इसे राष्ट्रीय
संकट के समय में गैर-जिम्मेदाराना कदम बताया। पीठ ने कहा,
"हमने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को अपनी चिंताएं जता दी हैं।
युद्ध जैसी स्थिति में कोई भी घर पर आराम नहीं कर सकता। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की
सुविधा सभी के लिए उपलब्ध है, जिससे काम बाधित नहीं होना
चाहिए।"
जल विवाद और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी)
यह मामला भाखड़ा
नांगल बांध के पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे विवाद से
जुड़ा है। बीबीएमबी के अध्यक्ष मनोज त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि पंजाब पुलिस ने
उनके अधिकारियों को हरियाणा के लिए 200 क्यूसेक
पानी छोड़ने से रोका। त्रिपाठी ने यह भी दावा किया कि पंजाब पुलिस ने उन्हें
"बचाया", जबकि कुछ नागरिकों ने उनके गेस्ट हाउस की
घेराबंदी की थी। कोर्ट ने त्रिपाठी को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
दिया।
वहीं,
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने कोर्ट को सूचित किया कि गृह
मंत्रालय की व्यस्तता के कारण 2 मई की बैठक के मिनट्स दोपहर 12
बजे तक पेश नहीं हो सके, लेकिन इन्हें शाम 4
बजे तक दाखिल कर दिया जाएगा। बीबीएमबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता
राजेश गर्ग ने भी पंजाब पुलिस के हस्तक्षेप के खिलाफ हलफनामा दाखिल करने की बात
कही।
पृष्ठभूमि और कोर्ट के पिछले आदेश
7 मई को
हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को बीबीएमबी के दैनिक कार्यों में हस्तक्षेप करने से
रोकने का आदेश दिया था। इसके बावजूद, बीबीएमबी के अधिकारियों
को हरियाणा के लिए पानी छोड़ने से रोके जाने की शिकायत पर कोर्ट ने कड़ा रुख
अपनाया। एक ग्राम पंचायत की अवमानना याचिका के आधार पर कोर्ट ने गृह मंत्रालय से 2
मई की बैठक के मिनट्स मांगे थे, जिसमें
हरियाणा को 8 दिनों के लिए 4500 क्यूसेक
अतिरिक्त पानी देने का फैसला हुआ था।
निष्कर्ष
कोर्ट ने सुनवाई को
शाम 4
बजे तक स्थगित करते हुए कहा कि अब मामला इस बिंदु पर पहुंच गया है
कि अवमानना नोटिस जारी किया जाए या नहीं, इस पर फैसला लिया
जाएगा। यह घटनाक्रम न केवल पंजाब-हरियाणा जल विवाद की गंभीरता को दर्शाता है,
बल्कि राष्ट्रीय संकट के समय में न्यायिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी
पर भी प्रकाश डालता है। हाईकोर्ट का यह रुख स्पष्ट करता है कि युद्ध जैसी
परिस्थितियों में कोई भी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट सकता, खासकर जब तकनीकी सुविधाएं काम को सुचारू रूप से चलाने के लिए उपलब्ध हैं।