सुप्रीम कोर्ट में
एक खास याचिका दायर की गई है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के ही एक वरिष्ठ जज और उनकी
संस्था NALSA (नेशनल लीगल सर्विसेस ऑथोरिटी)
की सोच से जुड़ी है। इसका मकसद बहुत बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार कैदियों को
जेल से रिहा करवाना है।
NALSA के
अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज, जस्टिस बी.आर. गवई
हैं। संस्था ने कोर्ट से कहा है कि ऐसे कैदियों को जेल में रखना मानवाधिकारों
के खिलाफ है, क्योंकि उनकी उम्र और
बीमारी को देखते हुए उन्हें जरूरी इलाज भी नहीं मिल पाता। यह हमारे संविधान के अनुच्छेद
14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद
21 (जीवन का अधिकार) का भी
उल्लंघन है।
10 दिसंबर 2024
को मानवाधिकार दिवस पर NALSA ने इस विषय पर एक
अभियान शुरू किया था। इसके तहत देशभर में अलग-अलग स्तर पर कमिटियाँ बनाई
गईं जो बुजुर्ग और बीमार कैदियों की पहचान करके, उन्हें
कानूनी मदद देकर रिहा करवाने की कोशिश कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट में
जो याचिका दायर की गई है, वह भी इसी अभियान का हिस्सा
है। इसे NALSA के सचिव एस.सी. मुंघाटे ने राष्ट्रीय समिति से चर्चा के बाद दाखिल किया है। उम्मीद है कि इस पर
जल्द सुनवाई होगी।
भारत में जेलों में
बंद सज़ायाफ्ता कैदियों में से करीब 21% कैदी 50
साल से ऊपर के हैं। इनमें से कई लोग
काफी लंबे समय से जेल में हैं। NALSA का कहना है कि वह 70
साल से अधिक उम्र के बीमार विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए हर राज्य में बनी "अंडर ट्रायल
रिव्यू कमिटी" के ज़रिए लगातार प्रयास करता रहता
है।
FAQs – बुजुर्ग और बीमार कैदियों की रिहाई पर NALSA की याचिका
1. NALSA क्या
है?
उत्तर: NALSA यानी नेशनल लीगल
सर्विसेस ऑथोरिटी एक राष्ट्रीय संस्था है, जो जरूरतमंद
लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराती है। इसका उद्देश्य न्याय तक सबकी समान
पहुँच सुनिश्चित करना है।
2. यह
याचिका किसने और क्यों दायर की है?
उत्तर: यह याचिका NALSA द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इसका मकसद बुजुर्ग और गंभीर रूप
से बीमार कैदियों को मानवीय आधार पर रिहा करवाना है।
3. याचिका
में क्या मांग की गई है?
उत्तर: याचिका में मांग की गई है कि
बहुत अधिक उम्र वाले या गंभीर रूप से बीमार कैदियों को जेल में रखना संविधान और
मानवाधिकारों के विरुद्ध है, इसलिए उन्हें रिहा किया जाए।
4. इससे
संविधान के कौन-कौन से अधिकार जुड़े हैं?
उत्तर: यह मामला अनुच्छेद 14
(समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21
(जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार)
से जुड़ा हुआ है।
5. इस पहल
की शुरुआत कब हुई?
उत्तर: यह पहल 10 दिसंबर 2024 को मानवाधिकार दिवस पर शुरू की
गई थी। इसके तहत देशभर में विभिन्न स्तरों पर कमिटियाँ बनाई गईं हैं।
6. भारत में कितने बुजुर्ग कैदी हैं?
उत्तर: भारत में सज़ायाफ्ता कैदियों
में से लगभग 20.8% कैदी 50 वर्ष से
अधिक उम्र के हैं, जिनमें से कई
बहुत लंबा समय जेल में बिता चुके हैं।
7. विचाराधीन कैदियों के लिए NALSA क्या करता है?
उत्तर: NALSA हर राज्य की Under
Trial Review Committee के ज़रिए 70 साल
से अधिक उम्र के बीमार विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए प्रयास करता रहता है।
8. क्या इस याचिका पर जल्द सुनवाई होगी?
उत्तर: जी हाँ, संभावना
है कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर जल्द सुनवाई करेगा।