बॉम्बे हाई कोर्ट
ने 25 अप्रैल 2025 को स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल
कामरा के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह मामला कुणाल कामरा द्वारा
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ "गद्दार" टिप्पणी से
जुड़ा है। आइए, इस मामले को आसान भाषा में समझते हैं:
मामला क्या हुआ था?
कुणाल कामरा ने
मुंबई में एक स्टैंड-अप कॉमेडी शो के दौरान एकनाथ शिंदे को "गद्दार" कहा
था। उन्होंने यह टिप्पणी मजाक के तौर पर की थी, जिसमें एक
गाने की पैरोडी के जरिए शिंदे पर 2022 में शिवसेना पार्टी
में बगावत करने और उद्धव ठाकरे के खिलाफ जाने का तंज कसा था। इस टिप्पणी के बाद
शिंदे की पार्टी शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने उस स्टूडियो में तोड़फोड़ की, जहां यह शो रिकॉर्ड हुआ था। साथ ही, कुणाल कामरा को
जान से मारने की धमकियां भी मिलने लगीं। इसके बाद, मुंबई के
खार थाने में उनके खिलाफ मानहानि (बदनामी) का मामला दर्ज किया गया।
कुणाल कामरा ने इस
मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने कोर्ट से मांग की कि:
1. उनके
खिलाफ दर्ज FIR (प्राथमिकी) को रद्द किया जाए।
2. उनकी
गिरफ्तारी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जब्ती, और बैंक खातों की जांच जैसी कार्रवाइयों से उन्हें सुरक्षा दी जाए।
3. अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार किया जाए।
हाई कोर्ट ने क्या
कहा?
हाई कोर्ट ने इस
मामले में कई अहम बातें कहीं:
1. जांच
जारी रहेगी, लेकिन गिरफ्तारी नहीं होगी:
कोर्ट ने कहा कि पुलिस कुणाल कामरा के खिलाफ जांच जारी रख सकती है,
लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा
कि अगर पुलिस इस दौरान चार्जशीट (आरोपपत्र) दाखिल करती है, तो
निचली अदालत उस पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी।
2. बयान
चेन्नई में दर्ज हो सकता है: चूंकि कुणाल कामरा
तमिलनाडु में रहते हैं और उन्हें मुंबई में जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं,
इसलिए पुलिस को उनका बयान चेन्नई में ही दर्ज करना होगा। पुलिस को
पहले से सूचित करना होगा।
3. अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता पर विचार: कोर्ट ने माना कि इस
मामले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे बड़े मुद्दे शामिल हैं, जिन पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि कामरा की याचिका
पर बाद में विस्तार से सुनवाई होगी।
4. मानहानि
के लिए अलग प्रक्रिया: कोर्ट ने कहा कि भारतीय
न्याय संहिता (BNS) के तहत मानहानि के मामले में अभियोजन
(मुकदमा चलाने) की प्रक्रिया अलग है। इस पर भी विचार किया जाएगा।
5. सुरक्षा
का मुद्दा: कोर्ट ने कामरा की सुरक्षा को लेकर
चिंता जताई, क्योंकि उन्हें धमकियां मिल रही हैं।
कुणाल कामरा की दलीलें
कुणाल कामरा ने
कोर्ट में कहा कि:
- उनकी टिप्पणी मजाक थी और यह अपराध
की श्रेणी में नहीं आती।
- उन्हें धमकियां मिल रही हैं,
इसलिए वे मुंबई आने से डरते हैं।
- वे पुलिस जांच में वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सहयोग करने को तैयार हैं।
- यह मामला अभिव्यक्ति की
स्वतंत्रता से जुड़ा है, जिसे संरक्षित
किया जाना चाहिए।
इस फैसले का क्या
मतलब है?
- कुणाल कामरा को राहत:
उन्हें फिलहाल गिरफ्तारी से संरक्षण मिल गया है। वे चेन्नई में
रहकर पुलिस जांच में सहयोग कर सकते हैं।
- जांच पर असर नहीं:
पुलिस जांच को रोकने की मांग को कोर्ट ने ठुकरा दिया, यानी जांच चलती रहेगी।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस:
यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानहानि के बीच संतुलन
पर एक बड़ी बहस को जन्म दे सकता है। कोर्ट भविष्य में इस पर और विस्तार से
विचार करेगा।
- सुरक्षा का ध्यान:
कोर्ट ने कामरा की धमकियों वाली शिकायत को गंभीरता से लिया और
उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी।
क्यों है यह मामला
महत्वपूर्ण?
यह मामला इसलिए अहम
है क्योंकि यह कॉमेडियन्स, कलाकारों और आम लोगों के
बोलने की आजादी से जुड़ा है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के
अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत दी गई है, लेकिन
इसमें कुछ प्रतिबंध भी हैं, जैसे मानहानि, सार्वजनिक शांति भंग करना आदि। इस मामले में यह देखना दिलचस्प होगा कि
कोर्ट मजाक और मानहानि के बीच की रेखा को कैसे परिभाषित करता है।
आगे क्या?
- हाई कोर्ट इस मामले में बाद में
विस्तृत सुनवाई करेगा।
- पुलिस जांच जारी रखेगी,
लेकिन कुणाल कामरा को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
- अगर चार्जशीट दाखिल होती है,
तो निचली अदालत उस पर कार्रवाई नहीं करेगी, जब तक हाई कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता।
निष्कर्ष
बॉम्बे हाई कोर्ट
ने कुणाल कामरा को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है, लेकिन
जांच को पूरी तरह रोकने से इनकार कर दिया। यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और
मानहानि के बीच एक नाजुक संतुलन को दर्शाता है। आने वाले समय में इस मामले की
सुनवाई और कोर्ट का अंतिम फैसला इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकता
है।