देश की न्यायपालिका
में बदलाव की प्रक्रिया जारी है। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मध्य
प्रदेश हाईकोर्ट के जज, जस्टिस सुश्रुत अरविंद
धर्माधिकारी को केरल हाईकोर्ट में स्थानांतरित
(ट्रांसफर) करने की सिफारिश की है। अब इस सिफारिश पर केंद्र सरकार की
मंजूरी का इंतजार है।
यह निर्णय देश
के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना
की अध्यक्षता में हुई कॉलेजियम की बैठकों में लिया गया। कॉलेजियम की यह बैठकें
पिछले महीने हुई थीं और अंतिम बैठक 3 अप्रैल
को संपन्न हुई थी। सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर इस सिफारिश की जानकारी
सार्वजनिक की गई है।
क्या होता है
कॉलेजियम?
कॉलेजियम सुप्रीम
कोर्ट के वरिष्ठतम जजों का समूह होता है, जो
न्यायिक नियुक्तियों और ट्रांसफर पर निर्णय करता है। इसमें मुख्य न्यायाधीश और चार
वरिष्ठ जज शामिल होते हैं।
क्यों होता है
ट्रांसफर?
न्यायाधीशों का
ट्रांसफर स्वतंत्र न्यायपालिका, भ्रष्टाचार
से बचाव और न्यायिक निष्पक्षता बनाए रखने के लिए
किया जाता है। साथ ही, इससे एक राज्य में लंबे समय तक काम कर
रहे जज का प्रभाव कम होता है और अन्य राज्यों को उनका अनुभव भी मिलता है।
आगे क्या होगा?
कॉलेजियम की
सिफारिश के बाद मामला केंद्र सरकार के पास भेजा गया है। सरकार के मंजूरी
देने के बाद राष्ट्रपति इस ट्रांसफर को मंजूरी देंगे,
तभी यह स्थानांतरण औपचारिक रूप से लागू होगा।
जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी: एक परिचय
मध्य प्रदेश
हाईकोर्ट के सम्माननीय न्यायाधीश, जस्टिस सुश्रुत
अरविंद धर्माधिकारी, का जन्म 8 जुलाई
1966 को रायपुर में हुआ था। उन्होंने 1992
में वकालत की शुरुआत की और जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में नागरिक
(सिविल), आपराधिक (क्रिमिनल), और
संवैधानिक (कांस्टीट्यूशनल) मामलों में 24 वर्षों तक प्रैक्टिस की। अपने
करियर के दौरान, जस्टिस धर्माधिकारी ने 2000 से 2015 तक भारत सरकार के स्थायी अधिवक्ता
(स्टैंडिंग काउंसल) के रूप में भी सेवाएं दीं। 7 अप्रैल
2016 को उन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का अतिरिक्त
न्यायाधीश (एडिशनल जज) नियुक्त किया गया, और 17
मार्च 2018 को वे स्थायी न्यायाधीश
(परमानेंट जज) बने।
न्यायिक प्रशासन
में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। वे जबलपुर क्षेत्र के पोर्टफोलियो जज के
रूप में कार्यरत हैं, जहां वे न्यायिक कार्यों की
देखरेख करते हैं।
हाल ही में,
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें केरल हाईकोर्ट में
स्थानांतरित करने की सिफारिश की है, और अब इस पर केंद्र
सरकार की मंजूरी का इंतजार है।