सर्वोच्च न्यायालय
ने एक एनआरआई महिला को अवमानना (contempt of court) का नोटिस जारी किया है। मामला एक वैवाहिक विवाद से जुड़ा है, जिसमें महिला ने पहले सुप्रीम कोर्ट के सामने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने
की बात मानी थी, लेकिन बाद में अमेरिका जाकर उसी मुद्दे पर
एक अलग कानूनी लड़ाई शुरू कर दी।
मामला क्या है?
यह विवाद एक पति और
पत्नी (अब तलाकशुदा) के बीच का है। दोनों ने भारत के सुप्रीम कोर्ट में आकर
वैवाहिक विवाद को सुलझाने की सहमति दी थी। कोर्ट में महिला ने खुद और अपने बेटे के
लिए ₹1
करोड़ की एकमुश्त रकम लेकर समझौता कर
लिया था। यह सहमति कोर्ट के रिकॉर्ड में भी दर्ज है।
पर फिर महिला ने क्या किया?
जब वह अमेरिका लौटी,
तो उसने वहां की अदालत में दो काम किए:
1. अधिक
भरण-पोषण (maintenance) की मांग करते हुए केस किया।
2. भारत
के सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में आगे सुनवाई करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा
(injunction) मांगी।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की
दो जजों की पीठ – जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह
– ने इस पर सख्त नाराजगी जताई और कहा:
“महिला ने
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सामने जो सहमति जताई थी, उसके
बाद अमेरिका में जाकर दोबारा मामला उठाना और सुप्रीम कोर्ट पर रोक लगाने की कोशिश
करना अत्यंत अपमानजनक और न्याय के प्रति असम्मान का मामला है।”
कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
- महिला को अवमानना नोटिस भेजा
गया है।
- उससे पूछा गया है कि:
- क्यों न उसके खिलाफ अवमानना की
कार्यवाही शुरू की जाए?
- क्यों न उसे सज़ा दी जाए,
क्योंकि उसने न्याय की प्रक्रिया में बाधा डाली है?
याचिका किसने दायर की?
यह नोटिस महिला के पूर्व
पति की याचिका पर जारी किया गया। पति की तरफ से वकील प्रभजीत जौहर ने
कोर्ट से अपील की थी कि अमेरिका में चल रही कार्यवाही को वापस लेने का आदेश दिया
जाए।
"यह मामला केवल एक वैवाहिक विवाद नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सीमा और भारतीय सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक सर्वोच्चता से जुड़ा गंभीर विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह अपने अधिकार क्षेत्र और आदेशों के उल्लंघन को हल्के में नहीं लेगा।"