भारतीय संविधान का अनुच्छेद
28
(Article 28), धार्मिक शिक्षा से संबंधित
स्वतंत्रता की सुरक्षा करता है। यह उन शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा
प्राप्त करने या उसमें भाग लेने से संबंधित दिशा-निर्देश प्रदान करता है, जो राज्य द्वारा संचालित या राज्य से सहायता प्राप्त हैं।
अनुच्छेद 28 का उद्देश्य:
- भारतीय नागरिकों को धार्मिक
शिक्षा के प्रति स्वतंत्रता और स्वेच्छा प्रदान करना।
- धर्मनिरपेक्षता की भावना को मजबूत
करना और राज्य और धर्म को अलग रखना।
- बच्चों को धार्मिक शिक्षा के लिए अनिवार्य
रूप से बाध्य न करना।
संविधान में
अनुच्छेद 28 का मूल पाठ
अनुच्छेद 28(1): किसी भी राज्य द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित शिक्षण संस्थान में धार्मिक
शिक्षा नहीं दी जाएगी।
अनुच्छेद 28(2): किसी भी राज्य द्वारा
मान्यता प्राप्त या सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थान में धार्मिक शिक्षा दी जा सकती
है, लेकिन इसमें भाग लेना अनिवार्य नहीं होगा।
अनुच्छेद 28(3): यदि कोई संस्थान किसी
धार्मिक ट्रस्ट या धर्मार्थ उद्देश्य के लिए स्थापित किया गया है, तो उसे धार्मिक शिक्षा देने से रोका नहीं जा सकता।
संविधान में
धर्मनिरपेक्षता और अनुच्छेद 28 का स्थान
भारतीय संविधान का
आधार धर्मनिरपेक्षता (Secularism) है। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ यह है कि राज्य किसी भी धर्म का पक्ष नहीं
लेगा और सभी धर्मों का समान सम्मान करेगा।
अनुच्छेद 25
से 30 तक धार्मिक स्वतंत्रता
और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की गारंटी दी गई है।
- अनुच्छेद 25:
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार।
- अनुच्छेद 26:
धार्मिक संस्थाओं को प्रबंधित करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 27:
धर्म प्रचार या धार्मिक उद्देश्य के लिए कर नहीं लगाया जाएगा।
- अनुच्छेद 28:
धार्मिक शिक्षा में भाग लेने की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद 28
का स्वरूप और उपविभाग
1. अनुच्छेद 28(1): पूर्णतः राज्य वित्त पोषित संस्थान
राज्य द्वारा पूरी
तरह वित्त पोषित संस्थानों में धार्मिक शिक्षा देने की मनाही है। उदाहरण के
लिए,
सरकारी विद्यालय और विश्वविद्यालय।
2. अनुच्छेद 28(2): राज्य सहायता प्राप्त संस्थान
राज्य से सहायता
प्राप्त या मान्यता प्राप्त संस्थानों में धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है,
लेकिन इसमें भाग लेना अनिवार्य नहीं होगा।
- उदाहरण: ऐसे विद्यालय या संस्थान
जो राज्य द्वारा वित्त पोषित नहीं हैं, लेकिन
सहायता प्राप्त करते हैं।
3. अनुच्छेद 28(3): धार्मिक ट्रस्ट द्वारा संचालित संस्थान
धार्मिक ट्रस्ट या
धर्मार्थ उद्देश्य के लिए स्थापित संस्थानों में धार्मिक शिक्षा देने की
स्वतंत्रता है।
- उदाहरण: मदरसा,
गुरुकुल या धार्मिक शिक्षण संस्थान।
धार्मिक शिक्षा और
अनुच्छेद 28 का कानूनी आधार
धर्म और धार्मिक शिक्षा में अंतर:
- धर्म:
विश्वास और आस्था का व्यक्तिगत विषय।
- धार्मिक शिक्षा:
धार्मिक ग्रंथों और धर्म के सिद्धांतों का शिक्षण।
अनुच्छेद 28
यह सुनिश्चित करता है कि राज्य द्वारा पोषित संस्थानों में
किसी व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने या उसमें भाग लेने के लिए मजबूर न
किया जाए।
अनुच्छेद 28
की व्याख्या में भारतीय न्यायालयों की भूमिका
1. केशवानंद
भारती बनाम केरल राज्य, 1973
13 न्यायाधीशों
की पीठ ने मूल संरचना सिद्धांत को
प्रतिपादित किया और कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की मूल संरचना का
हिस्सा है।
न्यायमूर्ति हंसराज
खन्ना: "धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि
राज्य धार्मिक शिक्षा को प्रोत्साहित नहीं कर सकता।"
2. यूनियन
ऑफ इंडिया बनाम सेंट जेवियर्स कॉलेज, 1974
सर्वोच्च न्यायालय
ने कहा कि धार्मिक शिक्षा का प्रसार धर्मनिरपेक्षता की भावना के विरुद्ध है।
- राज्य सहायता प्राप्त संस्थानों
को धार्मिक शिक्षा देने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
3. दावार्का
प्रसाद बनाम राजस्थान राज्य, 1954
इस मामले में
न्यायालय ने कहा कि धार्मिक शिक्षा में भाग लेना पूरी तरह से स्वैच्छिक होना
चाहिए। किसी भी छात्र को मजबूर नहीं किया जा सकता कि वह धर्म आधारित
शिक्षा में भाग ले।
अनुच्छेद 28
और शिक्षा संस्थानों का वर्गीकरण
1. राज्य द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान:
- सरकारी विद्यालय,
कॉलेज और विश्वविद्यालय।
- इनमें धार्मिक शिक्षा देना
प्रतिबंधित है।
2. राज्य सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थान:
- निजी संस्थान जो सरकार से वित्तीय
सहायता प्राप्त करते हैं।
- इनमें धार्मिक शिक्षा दी जा सकती
है,
लेकिन इसमें भाग लेना अनिवार्य नहीं होगा।
3. पूरी तरह से निजी संस्थान:
- स्वतंत्र रूप से संचालित संस्थान
जिनका कोई सरकारी वित्त पोषण नहीं है।
- इनमें धार्मिक शिक्षा देने की
पूरी स्वतंत्रता है।
अनुच्छेद 28
और अनुच्छेद 30 का संबंध
अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और प्रबंधित
करने का अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 28
और अनुच्छेद 30 में यह संबंध है कि अल्पसंख्यक
समुदायों के संस्थानों को धार्मिक शिक्षा देने की स्वतंत्रता है,
लेकिन यह अनुच्छेद 28(3) के
तहत सुरक्षित है।
अनुच्छेद 28
का वैश्विक दृष्टिकोण: अन्य देशों से तुलना
अमेरिका:
- अमेरिकी संविधान धर्म और राज्य
को अलग रखने की वकालत करता है।
- Public Schools
में धार्मिक शिक्षा पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
फ्रांस:
- फ्रांसीसी संविधान धर्मनिरपेक्षता
(Laïcité) को
बढ़ावा देता है।
- राज्य द्वारा संचालित संस्थानों
में धार्मिक शिक्षा निषिद्ध है।
अनुच्छेद 28
में संशोधन की आवश्यकता: वर्तमान परिप्रेक्ष्य
आधुनिक भारत
में शिक्षा का स्वरूप बदल रहा है। धार्मिक शिक्षा और आधुनिक मूल्य आपस में
टकरा रहे हैं।
- धार्मिक शिक्षा और वैज्ञानिक
दृष्टिकोण में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
- अनुच्छेद 28
में संशोधन की आवश्यकता
हो सकती है ताकि धर्म और शिक्षा के बीच सामंजस्य स्थापित किया जा सके।
अनुच्छेद 28
का भविष्य और शिक्षा पर प्रभाव
आधुनिक शिक्षा
प्रणाली में धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक शिक्षा के बीच संतुलन बनाना आवश्यक
है।
- वैज्ञानिक सोच और धर्म का
सह-अस्तित्व: शिक्षण संस्थानों में बच्चों को
धार्मिक शिक्षा से स्वतंत्र रखा जाना चाहिए।
- अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा:
अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को
धर्म आधारित शिक्षा की अनुमति मिलनी चाहिए।
निष्कर्ष: अनुच्छेद
28
का दीर्घकालिक प्रभाव और संवैधानिक मूल्य
अनुच्छेद 28,
भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण अनुच्छेद है जो धर्म और शिक्षा
को अलग रखने की भावना को मजबूत करता है। यह संविधान की धर्मनिरपेक्ष आत्मा
को सुरक्षित रखता है और नागरिकों को धार्मिक शिक्षा में भाग लेने की स्वतंत्रता
प्रदान करता है।
प्रस्तावना में
उल्लिखित पंथनिरपेक्षता और अनुच्छेद 28 की
व्याख्या
1. पंथनिरपेक्षता
(Secularism): प्रस्तावना में
"पंथनिरपेक्षता" का तात्पर्य है कि राज्य किसी धर्म का पक्ष नहीं
लेगा और सभी धर्मों का समान सम्मान करेगा। अनुच्छेद 28 इसी
आदर्श को आगे बढ़ाते हुए यह सुनिश्चित करता है कि राज्य द्वारा पोषित या सहायता
प्राप्त संस्थानों में धार्मिक शिक्षा देना अनिवार्य नहीं होगा।
2. धार्मिक
स्वतंत्रता (Freedom of Religion): अनुच्छेद
25-28 तक धार्मिक स्वतंत्रता के विभिन्न पहलुओं की
व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 28 धार्मिक शिक्षा में भाग
लेने या न लेने की स्वैच्छिकता को संविधान में सुरक्षित करता है, जिससे विवेक और आस्था की स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है।
3. प्रस्तावना और अनुच्छेद 28 के बीच गहरा संबंध है,
जो भारतीय लोकतंत्र की धर्मनिरपेक्ष भावना और व्यक्तिगत
स्वतंत्रता को संरक्षित करता है। यह अनुच्छेद संविधान की आत्मा को सशक्त करता
है और समानता और स्वतंत्रता के मूल्यों को मजबूत बनाता है।
अक्सर पूछे जाने
वाले प्रश्न (FAQs)
1. अनुच्छेद
28 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
अनुच्छेद 28 का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों को धार्मिक शिक्षा में भाग लेने या
न लेने की स्वतंत्रता प्रदान करना और राज्य द्वारा संचालित या सहायता प्राप्त
संस्थानों में धर्मनिरपेक्षता की भावना को बनाए रखना है।
2. क्या
राज्य द्वारा वित्त पोषित शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है?
नहीं,
अनुच्छेद 28(1) के अनुसार किसी भी
राज्य द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित शिक्षण संस्थान में धार्मिक शिक्षा देना
प्रतिबंधित है।
3. क्या
राज्य सहायता प्राप्त संस्थानों में धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है?
हाँ,
अनुच्छेद 28(2) के तहत राज्य द्वारा
सहायता प्राप्त या मान्यता प्राप्त संस्थानों में धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है,
लेकिन इसमें भाग लेना अनिवार्य नहीं होगा।
4. क्या
धार्मिक ट्रस्ट द्वारा संचालित संस्थानों को धार्मिक शिक्षा देने की अनुमति है?
हाँ,
अनुच्छेद 28(3) के तहत यदि कोई संस्थान
किसी धार्मिक ट्रस्ट या धर्मार्थ उद्देश्य के लिए स्थापित किया गया है,
तो उसे धार्मिक शिक्षा देने से रोका नहीं जा सकता।
5. क्या
धार्मिक शिक्षा में भाग लेना अनिवार्य हो सकता है?
नहीं,
अनुच्छेद 28(2) स्पष्ट रूप से यह
सुनिश्चित करता है कि धार्मिक शिक्षा में भाग लेना पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा
और किसी भी छात्र को इसमें मजबूर नहीं किया जा सकता।
6. अनुच्छेद
28 और अनुच्छेद 30 के बीच क्या संबंध
है?
अनुच्छेद 28 धार्मिक शिक्षा में भाग लेने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जबकि अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक समुदायों
को अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित और प्रबंधित करने का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 28(3) के तहत अल्पसंख्यक संस्थान धार्मिक शिक्षा
देने के लिए स्वतंत्र हैं।
7. क्या
अनुच्छेद 28 का उल्लंघन न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है?
हाँ,
अनुच्छेद 32 के तहत नागरिकों को संवैधानिक
उपचार का अधिकार है और अनुच्छेद 28 के उल्लंघन को सर्वोच्च
न्यायालय या उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
8. क्या
अनुच्छेद 28 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को सुरक्षित करता है?
हाँ,
अनुच्छेद 28 भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष
आत्मा को सुरक्षित करता है और राज्य और धर्म के बीच अलगाव को बनाए रखता
है, जिससे सभी धर्मों को समान सम्मान मिलता है।
9. क्या
अनुच्छेद 28 के तहत मदरसों और गुरुकुलों में धार्मिक शिक्षा
दी जा सकती है?
हाँ,
अनुच्छेद 28(3) के तहत मदरसा, गुरुकुल और अन्य धार्मिक ट्रस्ट द्वारा संचालित संस्थान धार्मिक
शिक्षा देने के लिए स्वतंत्र हैं।
10. अनुच्छेद
28 के तहत धार्मिक शिक्षा में भाग लेने से मना करने पर क्या
कोई दंड है?
नहीं,
अनुच्छेद 28(2) के तहत धार्मिक शिक्षा
में भाग लेना पूरी तरह से स्वैच्छिक है और इसमें भाग लेने से इनकार करने
पर कोई दंड नहीं है।