भारतीय न्याय
संहिता, 2023 - धारा 19: ऐसा
कार्य जिससे हानि होने की संभावना हो, किन्तु जो
आपराधिक इरादे के बिना किया गया हो, तथा अन्य हानि को रोकने
के लिए किया गया हो।
"कोई भी कार्य केवल
इस कारण अपराध नहीं है कि वह इस ज्ञान के साथ किया गया है कि उससे हानि होने की
संभावना है, यदि वह हानि पहुंचाने के किसी आपराधिक
इरादे के बिना किया गया हो, तथा किसी व्यक्ति या संपत्ति को
अन्य हानि से बचाने या उसे रोकने के उद्देश्य से सद्भावपूर्वक किया गया हो।"
स्पष्टीकरण:
ऐसे मामले में यह तथ्य का प्रश्न है कि क्या रोका या टाला जाने वाला नुकसान ऐसी
प्रकृति का और इतना आसन्न था कि यह जानते हुए कि उससे नुकसान होने की संभावना है,
कार्य करने का जोखिम उचित ठहराया जा सके या उसे माफ किया जा सके।
उदाहरण:
(क) एक
जलयान का कप्तान क, अचानक और बिना किसी दोष या उपेक्षा के,
अपने आप को ऐसी स्थिति में पाता है कि अपने जलयान को रोकने से पहले
उसे अनिवार्यतः एक नाव ख को, जिसमें बीस या तीस यात्री सवार
हैं, डुबोना होगा, जब तक कि वह अपने
जलयान का मार्ग न बदल दे, और अपना मार्ग बदलने से उसे एक नाव
ग को, जिसमें केवल दो यात्री सवार हैं, डुबोने का जोखिम उठाना होगा, जिसे वह संभवतः बचा
सकता है। यहां, यदि क नाव ग को डुबोने के किसी आशय के बिना
और नाव ख में यात्रियों के लिए खतरे से बचने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक अपना
मार्ग बदलता है, तो वह किसी अपराध का दोषी नहीं है, यद्यपि वह ऐसा कार्य करके नाव ग को डुबो सकता है, जिसके
बारे में वह जानता था कि उससे ऐसा प्रभाव पड़ने की संभावना है, यदि तथ्यतः यह पाया जाए कि वह खतरा, जिसे वह टालना
चाहता था, ऐसा था कि नाव ग को डुबोने का जोखिम उठाना उसके
लिए क्षमा योग्य था।
(ख)
क,
एक बड़ी आग में, आग को फैलने से रोकने के लिए
मकान गिरा देता है। वह ऐसा सद्भावपूर्वक मानव जीवन या संपत्ति को बचाने के इरादे
से करता है। यहां, यदि यह पाया जाता है कि रोकी जाने वाली
हानि ऐसी प्रकृति की और इतनी आसन्न थी कि क का कार्य क्षमा योग्य था, तो क उस अपराध का दोषी नहीं है।
संक्षिप्त विवरण
बीएनएस धारा 19 उन स्थितियों को संबोधित करती है, जहां कोई कार्य,
भले ही नुकसान पहुंचाने की संभावना हो, लेकिन
अगर इसे आपराधिक इरादे के बिना और अधिक नुकसान को रोकने के लिए सद्भावना से किया
जाता है, तो इसे अपराध नहीं माना जाता है। यह धारा इस बात पर
जोर देती है कि ऐसे कार्य का औचित्य उस नुकसान की प्रकृति और तात्कालिकता पर
निर्भर करता है जिसे रोकने का इरादा था। दिए गए उदाहरण स्पष्ट करते हैं कि यदि
टाला जा रहा नुकसान महत्वपूर्ण और आसन्न है, तो संभावित
नुकसान पहुंचाने वाले कार्य को माफ किया जा सकता है।
उदाहरण
परिदृश्य 1: एक डॉक्टर एक मरीज पर आपातकालीन सर्जरी करता है, यह
जानते हुए कि इससे जटिलताएं हो सकती हैं, लेकिन वह मरीज की
जान बचाने के लिए सद्भावनापूर्वक ऐसा करता है। यहाँ, यदि
सर्जरी से होने वाला नुकसान अधिक नुकसान से बचने के लिए एक आवश्यक जोखिम था,
तो डॉक्टर के कार्यों को बीएनएस धारा 19 के
तहत उचित ठहराया जा सकता है।
परिदृश्य 2: एक भयंकर तूफान के दौरान, एक गृहस्वामी एक पेड़ को
काटने का फैसला करता है जो उनके घर पर गिरने का खतरा है। गृहस्वामी जानता है कि
पेड़ को काटने से आस-पास की संपत्ति को नुकसान हो सकता है, लेकिन
वह पेड़ को गंभीर नुकसान या चोट पहुंचाने से रोकने के लिए ऐसा करता है। अधिक जोखिम
से बचने के लिए सद्भावनापूर्वक किया गया यह कार्य, BNS धारा 19 के तहत माफ किया जा सकता है।
सारांश
बीएनएस धारा 19
उन व्यक्तियों के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है जो ऐसे कार्य
करते हैं जिनसे नुकसान होने की संभावना होती है, बशर्ते कि
ये कार्य आपराधिक इरादे के बिना और अधिक नुकसान को रोकने या टालने के लिए
सद्भावनापूर्वक किए गए हों। धारा बताती है कि ऐसे कार्यों का औचित्य रोके जा रहे
नुकसान की प्रकृति और तात्कालिकता पर निर्भर करता है, जैसा
कि इसके उदाहरणों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
बीएनएस धारा 19:
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: बीएनएस
धारा 19 क्या कहती है?
उत्तर:
बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता), 2023 की धारा
19 यह कहती है कि यदि कोई व्यक्ति किसी आपराधिक
इरादे के बिना और अन्य हानि को रोकने या उससे बचाव के उद्देश्य से सद्भावपूर्वक
कार्य करता है, तो उस कार्य को अपराध नहीं माना जाएगा,
भले ही उस कार्य से किसी प्रकार की हानि होने की संभावना हो।
प्रश्न: धारा 19
में "सद्भावना" का क्या अर्थ है?
उत्तर:
"सद्भावना" का अर्थ है कि
कार्य करने वाले व्यक्ति का उद्देश्य दूसरों को नुकसान पहुंचाना नहीं,
बल्कि जान-माल की रक्षा करना हो। यदि कोई व्यक्ति किसी
स्थिति में अधिक खतरे को टालने के लिए ईमानदारी से कार्य करता है, तो उसे सद्भावना माना जाएगा।
प्रश्न: धारा 19
के तहत अपराध की संभावना के बावजूद कार्य को क्यों माफ़ किया जाता
है?
उत्तर:
धारा 19 के तहत, यदि
कार्य आपराधिक मंशा के बिना और आसन्न खतरे से बचाव के लिए किया गया
हो, तो उस कार्य को माफ़ किया जा सकता है। यह इसलिए है
क्योंकि:
- कार्य का उद्देश्य किसी बड़े
खतरे या नुकसान को रोकना है।
- सामाजिक हित और मानव जीवन
की रक्षा अधिक महत्वपूर्ण है।
- कार्यकर्ता का उद्देश्य हानि
रोकना होता है, न कि अपराध करना।
प्रश्न: क्या
बीएनएस धारा 19 में आसन्न खतरे का विचार
आवश्यक है?
उत्तर:
हाँ, धारा 19 के तहत आसन्न
(तत्काल) खतरे का विचार अत्यंत आवश्यक है।
- खतरा इतना निकट और गंभीर होना
चाहिए कि उसे रोकना अनिवार्य हो।
- कार्य का उद्देश्य केवल अधिक
नुकसान को रोकने का होना चाहिए।
प्रश्न: धारा 19
के अंतर्गत कौन से उदाहरण दिए गए हैं?
उत्तर:
(क) जलयान का कप्तान: यदि जलयान
का कप्तान एक बड़ी नाव को डुबाने से बचाने के लिए छोटी नाव का मार्ग बदलता है और
इससे छोटी नाव को नुकसान होता है, तो यह कार्य माफ़ किया जा
सकता है।
(ख) आग रोकने के लिए मकान गिराना:
यदि कोई व्यक्ति आग फैलने से रोकने के लिए मकान गिरा देता है और इससे नुकसान होता
है, तो यह कार्य क्षमा योग्य है क्योंकि इसका उद्देश्य जीवन
और संपत्ति की रक्षा करना है।
प्रश्न: धारा 19
में "तथ्य का प्रश्न" का क्या अर्थ है?
उत्तर:
"तथ्य का प्रश्न" का अर्थ है
कि यह न्यायालय पर निर्भर करता है कि वह स्थिति की गंभीरता, आसन्न खतरे और कार्य के औचित्य को समझे और यह तय
करे कि कार्य उचित था या नहीं। यदि कार्य का उद्देश्य हानि को रोकना
हो और परिस्थितियाँ इसे जायज ठहराती हों, तो कार्य को माफ़
किया जा सकता है।
प्रश्न: बीएनएस
धारा 19 के तहत किन उदाहरणों में कार्य को माफ़
किया जा सकता है?
उत्तर:
👉 उदाहरण
1:
एक डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए आपातकालीन सर्जरी करता है,
यह जानते हुए कि सर्जरी से जटिलताएं हो सकती हैं। यहाँ, मरीज की जान बचाना प्राथमिक उद्देश्य है, इसलिए
डॉक्टर के कार्य को धारा 19 के तहत माफ किया जा सकता है।
👉 उदाहरण 2:
एक गृहस्वामी तूफान के दौरान एक पेड़ काटता है, जो उसके घर पर गिर सकता है। यदि पेड़ काटने से आस-पास की संपत्ति को
नुकसान होता है, तो भी यह कार्य उचित ठहराया जा सकता है
क्योंकि इसका उद्देश्य बड़े नुकसान से बचाव करना था।
प्रश्न: क्या धारा 19
के तहत कार्य करने वाले व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है?
उत्तर:
नहीं, यदि व्यक्ति ने सद्भावना से कार्य
किया हो और उसका उद्देश्य आपराधिक इरादे के बिना अधिक नुकसान को रोकना
हो, तो उसे कानूनी दंड नहीं दिया जाएगा।
प्रश्न: क्या धारा 19
के तहत कार्य का औचित्य न्यायालय तय करता है?
उत्तर:
हाँ, न्यायालय यह तय करता है कि:
- क्या कार्य का उद्देश्य नुकसान
रोकना था?
- क्या परिस्थितियाँ इतनी गंभीर थीं
कि हानि का जोखिम उठाना उचित था?
- क्या कार्य करने वाले व्यक्ति ने सद्भावना
और उचित सावधानी बरती थी?
प्रश्न: धारा 19
का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
बीएनएस धारा 19 का मुख्य उद्देश्य यह
सुनिश्चित करना है कि:
- यदि किसी व्यक्ति ने अधिक
नुकसान को रोकने के लिए सद्भावना से कार्य किया है,
तो उसे अपराधी न ठहराया जाए।
- आसन्न खतरे और तात्कालिकता
की स्थिति में जीवन और संपत्ति की रक्षा की जा सके।
- न्याय और मानव कल्याण
को प्राथमिकता दी जाए।
"BNS धारा 19 उन परिस्थितियों में सुरक्षा प्रदान करती है, जब
किसी व्यक्ति ने आपराधिक इरादे के बिना और अधिक नुकसान को रोकने के
उद्देश्य से सद्भावना से कार्य किया हो। यह धारा न्यायालय को अधिकार देती है
कि वह कार्य की परिस्थितियों का मूल्यांकन कर तय करे कि क्या कार्य उचित
था। यदि कार्य का उद्देश्य जान-माल की रक्षा करना हो और परिस्थितियाँ इसे
जायज ठहराती हों, तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा।"