भारतीय न्याय
संहिता, 2023 का
अध्याय 3- साधारण अपवाद (General
Exceptions): धारा 20- सात
वर्ष से कम आयु के बालक का कार्य।
भारतीय न्याय
संहिता, 2023 - धारा 20- सात
वर्ष से कम आयु के बालक का कार्य।
“कोई बात अपराध नहीं
है, जो सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा की जाती है।“
संक्षिप्त विवरण
भारतीय न्याय
संहिता, 2023 की धारा 20 के अनुसार सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किया गया कृत्य अपराध नहीं
माना जा सकता। इसका मतलब यह है कि इस आयु से कम आयु के बच्चों को कानून के अनुसार
आपराधिक कृत्य करने में अक्षम माना जाता है।
उदाहरण
यदि छह वर्ष की आयु
का कोई बच्चा गलती से संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है,
तो बीएनएस अधिनियम की धारा 20 यह सुनिश्चित
करती है कि बच्चे को उसकी आयु के कारण अपराध करने वाला नहीं माना जाएगा।
सारांश
बीएनएस अधिनियम की
धारा 20
के अनुसार सात वर्ष से कम आयु के बच्चे को आपराधिक कृत्यों के लिए
जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि उन्हें अपराध करने
में अक्षम माना जाता है।
B.N.S. धारा
20: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: बीएनएस
अधिनियम की धारा 20 क्या कहती है?
उत्तर:
बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता), 2023 की धारा
20 यह कहती है कि सात वर्ष से कम आयु के बच्चे
द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं माना जाएगा।
यह धारा मानती है कि इस आयु वर्ग के बच्चों में आपराधिक मंशा (mens
rea) विकसित नहीं होती और वे अपने कार्यों के परिणामों को समझने
में अक्षम होते हैं।
प्रश्न: धारा 20
किस आयु वर्ग पर लागू होती है?
उत्तर:
धारा 20 केवल सात वर्ष से कम आयु के
बच्चों पर लागू होती है। इस आयु सीमा के भीतर किए गए किसी भी कार्य को अपराध
नहीं माना जाता और उस बच्चे को कानूनी रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा
सकता।
प्रश्न: क्या सात
वर्ष से कम आयु के बच्चे को किसी अपराध के लिए दंडित किया जा सकता है?
उत्तर:
नहीं, सात वर्ष से कम आयु के बच्चे को किसी भी आपराधिक कृत्य के लिए दंडित नहीं किया जा सकता।
कानून यह मानता है कि इस आयु तक बच्चों में अपराध और नैतिक
जिम्मेदारी का बोध नहीं होता।
प्रश्न: धारा 20
के पीछे तर्क क्या है?
उत्तर:
धारा 20 का मुख्य तर्क यह है कि:
- सात वर्ष से कम उम्र
के बच्चों में मानसिक परिपक्वता और अपराध की समझ नहीं होती।
- वे अपने कार्यों के परिणामों
का पूर्वानुमान लगाने में अक्षम होते हैं।
- यह सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय
मानकों और किशोर न्याय सिद्धांतों के अनुरूप है।
प्रश्न: क्या सात
वर्ष से अधिक लेकिन बारह वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपराध के लिए उत्तरदायी
ठहराया जा सकता है?
उत्तर:
सात से बारह वर्ष की आयु के बच्चों को आंशिक रूप से उत्तरदायी
ठहराया जा सकता है, यदि यह साबित हो जाए कि बच्चे को अपने
कार्यों की प्रकृति और परिणाम का ज्ञान था। लेकिन सात
वर्ष से कम आयु के बच्चों के मामले में पूर्ण प्रतिरक्षा (immunity)
दी जाती है।
प्रश्न: क्या धारा 20
में कोई अपवाद है?
उत्तर:
नहीं, धारा 20 के तहत कोई
अपवाद नहीं है। सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कार्य,
चाहे उसका प्रभाव कितना भी गंभीर क्यों न हो, अपराध नहीं माना जाएगा।
प्रश्न: क्या धारा 20
का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षा प्रदान करना है?
उत्तर:
हाँ, धारा 20 का मुख्य
उद्देश्य बच्चों को कानूनी उत्तरदायित्व से सुरक्षा प्रदान करना है। इस
धारा का उद्देश्य:
- मानसिक अपरिपक्वता
को मान्यता देना।
- बाल संरक्षण और पुनर्वास
को बढ़ावा देना।
- किशोर न्याय प्रणाली
के सिद्धांतों को लागू करना।
प्रश्न: यदि बच्चा
सात वर्ष से कम आयु का हो और वह किसी गंभीर हानि का कारण बने,
तो क्या उसके माता-पिता उत्तरदायी होंगे?
उत्तर:
सामान्यतः माता-पिता को उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा,
जब तक कि यह साबित न हो कि उन्होंने बच्चे पर उचित देखरेख नहीं की
या लापरवाही बरती।
हालांकि, माता-पिता पर नागरिक उत्तरदायित्व
(civil liability) लगाई जा सकती है।
प्रश्न: क्या धारा 20
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है?
उत्तर:
हाँ, धारा 20 संयुक्त
राष्ट्र बाल अधिकार समझौता (UNCRC) और अन्य
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है, जो यह सुनिश्चित करते
हैं कि नाबालिग बच्चों को आपराधिक न्याय प्रणाली से सुरक्षा और उचित
देखरेख मिलनी चाहिए।
प्रश्न: क्या सात
वर्ष से कम आयु का बच्चा किशोर न्याय अधिनियम,
2015 के तहत आता है?
उत्तर:
नहीं, सात वर्ष से कम आयु के बच्चे को किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत भी कोई दंड नहीं दिया जा सकता। इस आयु के बच्चों को अपराधी
मानने की बजाय संरक्षण और देखरेख की आवश्यकता होती है।
उदाहरण:
👉 उदाहरण 1:
यदि छह वर्ष का बच्चा खेलते समय गलती से पड़ोसी की खिड़की
तोड़ देता है, तो बीएनएस धारा 20 के
तहत उसे अपराधी नहीं माना जाएगा।
👉 उदाहरण 2:
यदि पाँच वर्ष का बच्चा खेलते समय किसी अन्य बच्चे को चोट
पहुंचा देता है, तो इस कार्य को अपराध नहीं माना जाएगा
और बच्चे पर कोई आपराधिक उत्तरदायित्व नहीं होगा।
B.N.S.
अधिनियम की धारा 20 सात वर्ष
से कम आयु के बच्चों को आपराधिक उत्तरदायित्व से मुक्त करती है। यह धारा इस
आयु वर्ग के बच्चों की मानसिक अपरिपक्वता और अपराध की समझ के अभाव को
मान्यता देती है। धारा 20 का उद्देश्य बच्चों को संरक्षण
और पुनर्वास प्रदान करना और उन्हें आपराधिक न्याय प्रणाली से बचाना है।