मुख्य बिन्दु
- केंद्रीयता और सुधार की आवश्यकता: शोध से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट को मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) पर केंद्रित माना जाता है, और इस छवि को बदलने की आवश्यकता है, जैसा कि हाल के बयानों से स्पष्ट है।
- हालिया चर्चा:
सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस अभय एस. ओका ने 23 मई,
2025 को अपने विदाई भाषण में सुप्रीम कोर्ट को
"सीजेआई-केंद्रित" बताते हुए अधिक लोकतांत्रिक दृष्टिकोण की वकालत की।
- सुधार के सुझाव:
ओका ने तकनीक के उपयोग, मामले की सूचीबद्धी
में सुधार, और ट्रायल कोर्ट्स पर ध्यान देने की बात कही।
- विवाद और भविष्य:
यह मुद्दा विवादास्पद है, क्योंकि
कुछ इसे प्रशासनिक दक्षता के लिए जरूरी मानते हैं, जबकि अन्य
इसे बदलाव की जरूरत बताते हैं। नया सीजेआई बीआर गवई इस दिशा में कदम उठा सकते हैं,
जैसा कि ओका ने सुझाव दिया।
पृष्ठभूमि
सुप्रीम
कोर्ट को सीजेआई पर केंद्रित माना जाता है, क्योंकि
मुख्य न्यायाधीश मामले आवंटित करते हैं और संवैधानिक बेंच बनाते हैं। जस्टिस ओका
ने कहा कि उच्च न्यायालयों की तरह, सुप्रीम कोर्ट को भी अधिक
लोकतांत्रिक होना चाहिए, जहां निर्णय समितियों द्वारा लिए
जाते हैं। यह चर्चा हाल के दिनों में सुर्खियों में है, खासकर
ओका के बयान के बाद।
वर्तमान स्थिति
23
मई, 2025 को ओका के बयान के बाद, अभी तक कोई विशिष्ट सुधार लागू नहीं हुए हैं, लेकिन
नया सीजेआई बीआर गवई इस दिशा में कदम उठा सकते हैं, जैसा कि
ओका ने भरोसा जताया। यह मुद्दा जटिल है, क्योंकि कुछ इसे
प्रशासनिक दक्षता के लिए जरूरी मानते हैं, जबकि अन्य इसे
बदलाव की जरूरत बताते हैं।
आइए इसको विस्तार से समझते है
सुप्रीम
कोर्ट को सीजेआई-केंद्रित अदालत माना जाना और इसकी छवि बदलने की आवश्यकता,
हाल के दिनों में एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है, खासकर जस्टिस अभय एस. ओका के 23 मई, 2025 को दिए गए बयान के बाद।
संदर्भ और पृष्ठभूमि
सुप्रीम
कोर्ट ऑफ इंडिया, भारत का सर्वोच्च न्यायिक
निकाय, मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के नेतृत्व में कार्य करता
है। सीजेआई को मामले आवंटित करने, संवैधानिक बेंच बनाने,
और रजिस्टर मास्टर के रूप में कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई है।
यह संरचना ऐतिहासिक रूप से प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई
थी, लेकिन हाल के वर्षों में इसे
"सीजेआई-केंद्रित" के रूप में आलोचित किया गया है, खासकर जब यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में अन्य न्यायाधीशों की भूमिका को
सीमित करता है।
जस्टिस
अभय एस. ओका, जो 24 मई,
2025 को सेवानिवृत्त हुए, ने अपने विदाई भाषण
में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट "सीजेआई-केंद्रित"
है और इसे बदलने की जरूरत है। उन्होंने उच्च न्यायालयों की तुलना करते हुए कहा
कि उच्च न्यायालय समितियों के माध्यम से अधिक लोकतांत्रिक ढंग से काम करते हैं,
जहां पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों की समिति महत्वपूर्ण प्रशासनिक
निर्णय लेती है। इसके विपरीत, सुप्रीम कोर्ट में निर्णय लेने
की प्रक्रिया मुख्य रूप से सीजेआई पर निर्भर है।
ओका के बयान की मुख्य बातें
ओका
के भाषण में निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु शामिल थे:
- सीजेआई-केंद्रित संरचना:
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, जिसमें
वर्तमान में 34 न्यायाधीश हैं, को
अपनी कार्यप्रणाली में इस विविधता को प्रतिबिंबित करना चाहिए, न कि केवल सीजेआई पर निर्भर रहना।
- तकनीकी सुधार:
उन्होंने मामले की सूचीबद्धी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के उपयोग की
वकालत की, ताकि मैनुअल हस्तक्षेप कम हो और
निष्पक्षता सुनिश्चित हो।
- मामले की लंबितता:
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में 80,000 से अधिक लंबित मामलों का उल्लेख किया, जिनमें
से कुछ दशकों से अनसुलझे हैं, और बेंच और बार के
संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
- ट्रायल कोर्ट्स की उपेक्षा:
उन्होंने ट्रायल और जिला कोर्ट्स को न्यायपालिका की "रीढ़" कहते
हुए इन पर अधिक ध्यान देने की बात कही।
ओका
ने यह भी भरोसा जताया कि नया सीजेआई, बीआर गवई,
जो 14 मई, 2025 को पदभार
संभाला, इस दिशा में बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने पूर्व
सीजेआई संजीव खन्ना (जिनका 13 मई, 2025 को सेवानिवृत्ति हुई) की पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयासों की प्रशंसा की,
जिन्होंने निर्णय लेने में सभी न्यायाधीशों को शामिल किया।
वर्तमान स्थिति और सुधार
24
मई, 2025 तक, ओका के
बयान के बाद कोई विशिष्ट सुधार लागू नहीं हुए हैं। हालांकि, उनकी
टिप्पणियों ने सुप्रीम कोर्ट की संरचना में संभावित बदलावों पर चर्चा को प्रेरित
किया है। इससे पहले भी, 1984 और 1988 में
विधि आयोग की रिपोर्टों में सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक और कानूनी डिवीजन में
विभाजित करने का सुझाव दिया गया था, लेकिन ये प्रस्ताव लागू
नहीं हुए। 2019 में, तत्कालीन सीजेआई
रंजन गोगोई ने भी समान विचार व्यक्त किया था, लेकिन प्रगति
सीमित रही।
ओका
के बयान ने इस चर्चा को फिर से जीवित किया है, खासकर
मामले की सूचीबद्धी और प्रशासनिक निर्णयों में अधिक लोकतांत्रिक दृष्टिकोण की
आवश्यकता पर। सीजेआई गवई के कार्यकाल में यह देखना होगा कि क्या कोई ठोस कदम उठाए
जाते हैं।
विवाद और भिन्न दृष्टिकोण
यह
मुद्दा विवादास्पद है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सीजेआई-केंद्रित संरचना
प्रशासनिक दक्षता के लिए जरूरी है, क्योंकि
एक केंद्रीकृत नेतृत्व बड़े पैमाने पर मामलों और न्यायाधीशों के समन्वय को सुगम
बनाता है। दूसरी ओर, आलोचक, जैसे ओका,
तर्क देते हैं कि यह संरचना निर्णय लेने में अन्य न्यायाधीशों की
भूमिका को सीमित करती है और पारदर्शिता को प्रभावित कर सकती है।
हालांकि,
24 मई, 2025 तक, ओका की
टिप्पणियों के खिलाफ कोई प्रमुख आलोचना या विपरीत दृष्टिकोण मीडिया में सामने नहीं
आया है। यह संकेत देता है कि उनकी टिप्पणियां सुधार की आवश्यकता के रूप में व्यापक
रूप से स्वीकार्य हैं, न कि विवादास्पद।
निष्कर्ष
उपयोगकर्ता
का बयान,
"सुप्रीम कोर्ट सीजेआई केंद्रित अदालत है, छवि बदलनी होगी," जस्टिस अभय एस. ओका के हाल के
बयान को प्रतिबिंबित करता है, जो सुप्रीम कोर्ट को
"सीजेआई-केंद्रित" बताते हैं और इसे अधिक लोकतांत्रिक और कुशल बनाने के
लिए सुधारों की आवश्यकता पर जोर देते हैं। यह चर्चा सुप्रीम कोर्ट की संरचना और
कार्यप्रणाली में संभावित बदलावों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और भविष्य में सीजेआई गवई के कार्यकाल में इस पर और ध्यान दिया जा सकता
है।