परमाणु
ऊर्जा अधिनियम और परमाणु जवाबदेही कानून में संशोधन पर विचार
- संशोधन की घोषणा: भारत सरकार ने 2025 के बजट में परमाणु ऊर्जा अधिनियम
और सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट में संशोधन की योजना की घोषणा की
है।
- उद्देश्य: निजी और विदेशी निवेश को आकर्षित करना और 2047 तक 100
GW परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करना।
- प्रगति:
संशोधन अभी विचाराधीन हैं, अप्रैल
2025 तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ। मई 2025 में कोई नई प्रगति की रिपोर्ट नहीं है।
- विवाद: विदेशी कंपनियों के लिए दायित्व सीमा को लेकर कुछ चिंताएँ हैं, जिस पर चर्चा जारी है।
संशोधन का उद्देश्य
सरकार
का लक्ष्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना है,
विशेष रूप से अमेरिकी और फ्रेंच कंपनियों को आकर्षित करना, जिनकी परियोजनाएँ दायित्व संबंधी चिंताओं के कारण रुकी हुई हैं। संशोधन
उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर दुर्घटना से संबंधित दंडों की सीमा लगाने की दिशा में हो
सकते हैं।
वर्तमान स्थिति
अप्रैल
2025
तक, सरकार इन संशोधनों पर काम कर रही है,
लेकिन अभी तक कोई विधेयक पारित नहीं हुआ है। मई 2025 में कोई नई जानकारी नहीं मिली, इसलिए यह प्रक्रिया
अभी भी विचाराधीन प्रतीत होती है।
समर्थन और चिंताएँ
ये
संशोधन ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं,
लेकिन विदेशी निवेशकों और स्थानीय हितधारकों के बीच दायित्व के
मुद्दे पर कुछ मतभेद हो सकते हैं।
विस्तृत सर्वेक्षण नोट: परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु जवाबदेही कानून में संशोधन पर विचार
भारत
सरकार ने 1 फरवरी, 2025 को
प्रस्तुत किए गए संघीय बजट 2025-26 में परमाणु ऊर्जा अधिनियम,
1962 और सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010
(CLNDA) में संशोधन की योजना की घोषणा की। यह कदम भारत की परमाणु
ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने और निजी तथा विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए उठाया
गया है। नीचे दिए गए विस्तृत विश्लेषण में संशोधन के उद्देश्य, प्रगति, और संबंधित पहलुओं पर चर्चा की गई है।
पृष्ठभूमि और संदर्भ
परमाणु
ऊर्जा अधिनियम, 1962 भारत में परमाणु ऊर्जा के उत्पादन,
विकास, नियंत्रण और उपयोग को विनियमित करता है,
जबकि CLNDA, 2010 परमाणु दुर्घटनाओं के मामले
में मुआवजे और दायित्व की व्यवस्था करता है। वर्तमान में, परमाणु
ऊर्जा क्षेत्र मुख्य रूप से सरकारी स्वामित्व वाली न्यक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ
इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा संचालित होता है, और निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित है। इसके अलावा, CLNDA में आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ पुनर्वसन का अधिकार (right of
recourse) विदेशी निवेशकों, विशेष रूप से
अमेरिकी और फ्रेंच कंपनियों, के लिए एक बाधा रही है, जिसने भारत में परमाणु परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में देरी की है।
संघीय
बजट 2025
में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि इन कानूनों में
संशोधन किए जाएंगे ताकि निजी क्षेत्र के साथ सक्रिय साझेदारी सुनिश्चित की जा सके
और 2047 तक कम से कम 100 GW परमाणु
ऊर्जा क्षमता हासिल की जा सके। इसके साथ ही, एक परमाणु ऊर्जा
मिशन की शुरुआत की गई, जिसमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMRs)
के अनुसंधान और विकास के लिए ₹20,000 करोड़ का
आवंटन किया गया, जिसका लक्ष्य 2033 तक
कम से कम 5 स्वदेशी SMRs को संचालित
करना है।
संशोधन के उद्देश्य
संशोधनों
का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- निजी क्षेत्र की भागीदारी:
परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन से NPCIL का एकाधिकार समाप्त हो सकता है, और निजी
कंपनियों को परमाणु रिएक्टरों के निर्माण और संचालन में भाग लेने की अनुमति
मिल सकती है।
- विदेशी निवेश को प्रोत्साहन:
CLNDA में संशोधन का लक्ष्य आपूर्तिकर्ताओं पर असीमित दायित्व
को हटाना है, जिससे विदेशी कंपनियों, जैसे कि फ्रांस की एलेक्ट्रिसिटी डी फ्रांस (EDF) और अमेरिका की वेस्टिंगहाउस, को भारत में
परियोजनाओं को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
- अंतरराष्ट्रीय अनुरूपता:
संशोधन अंतरराष्ट्रीय परमाणु दायित्व समझौतों, जैसे कि परमाणु क्षति के लिए पूरक मुआवजे के लिए कन्वेंशन (CSC),
के साथ संरेखण लाने की दिशा में हो सकते हैं।
समाचार
रिपोर्टों के अनुसार, विशेष रूप से रॉयटर्स और बिजनेस स्टैंडर्ड के
अनुसार, सरकार आपूर्तिकर्ताओं पर दुर्घटना से संबंधित दंडों
की सीमा लगाने की योजना बना रही है, जो वर्तमान में उन्हें
असीमित दायित्व के अधीन रखता है। यह कदम विशेष रूप से अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित
करने के लिए है, जिन्होंने अनिश्चितता के कारण निवेश को टाल
दिया था।
वर्तमान प्रगति और स्थिति
बजट
घोषणा के बाद, अप्रैल 2025 तक,
सरकार ने परमाणु ऊर्जा विभाग, परमाणु ऊर्जा
नियामक बोर्ड, नीति आयोग, और विधि
मंत्रालय के सदस्यों के साथ समितियाँ गठित की हैं ताकि इन संशोधनों पर चर्चा की जा
सके। हालांकि, अप्रैल 2025 तक कोई विधेयक संसद में प्रस्तुत नहीं
किया गया है, और मई 2025 में कोई नई
प्रगति की रिपोर्ट नहीं मिली है। यह संकेत देता है कि संशोधन अभी भी विचाराधीन हैं
और अंतिम रूप से लागू नहीं हुए हैं।
संबंधित पहल और लक्ष्य
संशोधनों
के साथ,
सरकार ने परमाणु ऊर्जा मिशन की शुरुआत की है, जिसमें
SMRs के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वर्तमान में,
भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता 8,180 MW है,
और इसे 2031-32 तक 22,480 MW तक बढ़ाने की योजना है। इसके अलावा, राजस्थान परमाणु
ऊर्जा परियोजना की इकाई-7 (RAPP-7) ने 19 सितंबर, 2024 को क्रिटिकलिटी हासिल की, जो हाल के एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में उभरा है।
विवाद और चुनौतियाँ
संशोधनों
को लेकर कुछ विवाद भी हैं, विशेष रूप से दायित्व के
मुद्दे पर। विदेशी आपूर्तिकर्ता सीमित दायित्व चाहते हैं, जबकि
स्थानीय हितधारक यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दुर्घटना के मामले में पर्याप्त
मुआवजा सुनिश्चित हो। आउटलुक बिजनेस के अनुसार,
वर्तमान कानून ऑपरेटर और आपूर्तिकर्ता दोनों को जवाबदेह ठहराता है,
जो अंतरराष्ट्रीय ढांचे से भिन्न है, और यह
विदेशी निवेश के लिए एक बाधा रही है।
तालिका: संशोधन के प्रमुख बिंदु
बिंदु |
विवरण |
घोषणा
की तिथि |
1
फरवरी, 2025 (संघीय बजट 2025) |
उद्देश्य |
2047
तक 100 GW परमाणु ऊर्जा, निजी और विदेशी निवेश को प्रोत्साहन |
प्रमुख
संशोधन |
आपूर्तिकर्ताओं
पर दायित्व की सीमा, निजी क्षेत्र की भागीदारी |
वर्तमान
स्थिति |
विचाराधीन,
अप्रैल 2025 तक कोई विधेयक पारित नहीं,
मई 2025 में कोई अपडेट नहीं |
संबंधित
पहल |
₹20,000
करोड़ का SMR मिशन, 2033 तक 5 SMRs संचालित करना |
निष्कर्ष
संशोधन
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षी योजनाओं को साकार करने के लिए
महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनकी प्रगति अभी भी प्रारंभिक चरण
में है। अप्रैल 2025 तक, सरकार इन पर
काम कर रही है, और मई 2025 में कोई नई
प्रगति की रिपोर्ट नहीं मिली है। यह प्रक्रिया ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के लिए
एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, लेकिन दायित्व और निवेश के
बीच संतुलन बनाना एक चुनौती रहेगी।