21 अप्रैल 2025
सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार को पश्चिम बंगाल में
राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग को लेकर एक याचिका में जस्टिस बी आर गवई की
बेंच के सामने सुनवाई की बात उठी। याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील
विष्णु शंकर जैन
ने दाखिल की थी। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि राज्य
में जारी हिंसा को देखते हुए अर्धसैनिक बलों की तुरंत तैनाती और राष्ट्रपति शासन
लागू करने का आदेश दिया जाए।
हालांकि, जस्टिस बीआर गवई ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा –
"आप चाहते हैं कि हम
राष्ट्रपति को यह आदेश दें? वैसे भी हम पर पहले ही कार्यपालिका (सरकार) के क्षेत्र
में दखल देने का आरोप लग रहा है।"
उन्होंने यह भी जोड़ा कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान के
दायरे में रहते हुए ही कार्य करना होता है।
मंगलवार को होगी याचिका पर सुनवाई
विष्णु शंकर जैन ने बताया कि उनकी याचिका पहले से 22
अप्रैल (मंगलवार)
को सूचीबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्थिति बेहद
गंभीर है और लोगों, खासकर हिंदू समुदाय, का बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। उन्होंने कहा कि बंगाल में
पोस्ट-पोल (चुनाव बाद की) हिंसा
के मामलों पर उनकी पहले से एक याचिका लंबित है,
जिस पर 2022 में कोर्ट ने नोटिस जारी किया था।
याचिका में क्या मांग की गई है?
जैन की याचिका में निम्नलिखित मांगे की गई हैं:
- पश्चिम
बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।
- हिंसा की
जांच तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की निगरानी में
कराई जाए।
- राज्यपाल
से हिंसा पर रिपोर्ट मंगवाई जाए।
- अर्धसैनिक
बलों की तैनाती की जाए ताकि कानून व्यवस्था बहाल की जा सके।
- हिंदू
समुदाय के पलायन पर कोर्ट का ध्यान दिलाया गया है।
पृष्ठभूमि क्या है?
हाल ही में पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन कानून और अन्य संवेदनशील मुद्दों
को लेकर भारी विरोध और हिंसा देखी गई है। अदालत ने विधेयकों पर निर्णय और अन्य
संवेदनशील मामलों में हस्तक्षेप किया है, जिस पर कई राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। इसी
संदर्भ में जैन ने आपातकालीन याचिका दायर की।
जस्टिस गवई, जो कि देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं, ने टिप्पणी करते हुए साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट को
कार्यपालिका के कार्यों में
सीधा हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जब तक संवैधानिक आधार मजबूत न हो।