16 अप्रैल 2025
सुप्रीम कोर्ट ने
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नियामकीय ढांचा (Regulatory Framework) बनाने की मांग पर दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा
कि कानून बनाना उसका काम नहीं है, यह जिम्मेदारी
नीति-निर्माताओं यानी सरकार और संसद की है।
क्या थी याचिका?
एक याचिका में
कोर्ट से यह मांग की गई थी कि वह केंद्र सरकार और अन्य संबंधित संस्थाओं को
निर्देश दे कि वे क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मामलों के लिए स्पष्ट कानून बनाएं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि देश भर में क्रिप्टो से जुड़े कई घोटाले
सामने आ रहे हैं, लेकिन इन्हें नियंत्रित
करने के लिए कोई पुख्ता नीति नहीं है।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई कर रही पीठ
के जज न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने
स्पष्ट शब्दों में कहा:
"यह
नीति-निर्माताओं के अधिकार क्षेत्र में आता है। हम कानून नहीं बना सकते। आप सरकार
के समक्ष अपना पक्ष रखें।"
कोर्ट ने यह भी कहा
कि याचिका में जो मांगें की गई हैं, वे
विधायिका (संसद) और कार्यपालिका (सरकार) के दायरे में आती हैं। ऐसे मामलों में
अदालत निर्देश नहीं दे सकती।
क्या किया जा सकता
है?
कोर्ट ने यह सुझाव
दिया कि अगर याचिकाकर्ता चाहें, तो वे अपनी बात केंद्र
सरकार या संबंधित विभागों के सामने रख सकते हैं। कोर्ट ने इस आधार पर याचिका पर
सुनवाई से इनकार कर दिया।
पृष्ठभूमि क्या है?
पिछले साल भी
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने को
लेकर अभी कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है। देश में अलग-अलग राज्यों में क्रिप्टो
घोटालों से जुड़ी शिकायतें तो हैं, लेकिन
उन्हें संभालने के लिए कोई अलग तंत्र नहीं बना है।