सम्पत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 2- अधिनियमों का निरसन.(Repeal of Enactments)
-- उन
राज्यक्षेत्रों में, जिन पर इस अधिनियम का
विस्तार है, इसमें संलग्न अनुसूची में निर्दिष्ट
अधिनियमितियां उसमें वर्णित सीमा तक निरसित हो जाएंगी। किन्तु इसमें अन्तर्विष्ट
कोई भी बात निम्नलिखित पर प्रभाव डालने वाली नहीं समझी जाएगी—
(क)
किसी अधिनियम के उपबंध जो स्पष्ट रूप से निरसित नहीं हैं;
(ख)
किसी संविदा या संपत्ति के गठन की कोई शर्ते या घटनाएं जो इस अधिनियम के उपबंधों
के अनुरूप हैं और तत्समय प्रवृत्त कानून द्वारा अनुज्ञात हैं;
(ग)
इस अधिनियम के लागू होने से पूर्व स्थापित किसी विधिक संबंध से उत्पन्न कोई अधिकार
या दायित्व, या ऐसे किसी अधिकार या दायित्व के संबंध
में कोई अनुतोष; या
(घ)
इस अधिनियम की धारा 57 और अध्याय 4 द्वारा यथा उपबंधित के सिवाय, विधि के प्रवर्तन
द्वारा या सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय की डिक्री या आदेश द्वारा या उसके
निष्पादन में कोई अंतरण;
और इस अधिनियम के
दूसरे अध्याय की कोई बात 1***मुस्लिम 2*** कानून के किसी नियम पर प्रभाव डालने वाली नहीं
समझी जाएगी।
नोट:
1. धारा 3 द्वारा "हिन्दू" शब्द हटा दिया गया।
2. धारा 3
द्वारा "या बौद्ध" शब्दों को हटा दिया गया।
अधिनियमों का निरसन (Repeal of Enactments)
इसका मतलब क्या है?
जब "सम्पत्ति अंतरण अधिनियम, 1882" लागू हुआ, तो उस समय पहले से मौजूद कुछ पुराने
कानूनों को रद्द (निरसित) कर दिया गया। इन्हें अधिनियम के साथ दी गई अनुसूची
(Schedule) में सूचीबद्ध किया गया है।
मुख्य बातों को सरल भाषा में समझे:
1. किन
अधिनियमों को रद्द किया गया?
·
उन पुराने कानूनों को,
जो इस नए अधिनियम के लागू होने के बाद अब ज़रूरी नहीं रहे, एक तय सीमा तक खत्म कर दिया गया।
·
यानी,
अब वे कानून उस क्षेत्र में लागू नहीं रहेंगे जहाँ यह अधिनियम लागू
है।
2. लेकिन यह
निरसन किन चीज़ों को प्रभावित नहीं करेगा?
यानि किन बातों पर
इसका कोई असर नहीं पड़ेगा — यह भी साफ कर दिया गया है:
(क) जो
प्रावधान साफ़ तौर पर रद्द नहीं किए गए हैं:
·
अगर कोई कानून आंशिक रूप
से ही रद्द हुआ है, और उसका कोई हिस्सा अभी भी
बचा है, तो वह हिस्सा लागू रहेगा।
(ख) जो संविदाएं
(Contracts) या संपत्ति की स्थितियां पहले से कानून के
अनुसार बनी हैं:
·
यदि कोई संपत्ति का सौदा
या अनुबंध पहले से किया गया है और वह उस समय के कानून के अनुसार वैध था,
तो वह अभी भी मान्य रहेगा।
(ग) अधिनियम
लागू होने से पहले बने कानूनी अधिकार या ज़िम्मेदारियां:
·
जैसे किसी व्यक्ति को
संपत्ति पर अधिकार मिल चुका हो या किसी पर कानूनी दायित्व हो—तो वह अब भी वैध
रहेगा।
·
साथ ही,
अगर कोई व्यक्ति उस अधिकार या दायित्व के लिए न्यायालय से राहत
चाहता है, तो वह मांग भी मान्य होगी।
(घ) किसी
न्यायालय के आदेश, डिक्री, या निष्पादन
से हुआ कोई अंतरण:
·
अगर अदालत ने किसी संपत्ति
को किसी को देने का आदेश दिया हो (जैसे डिक्री से), तो
उस पर इस अधिनियम का असर नहीं पड़ेगा।
·
लेकिन ध्यान दें:
इसका अपवाद है – धारा 57 और अध्याय 4 के तहत आने वाले मामले, जहां विशेष प्रावधान लागू
होंगे।
3. मुस्लिम
कानून पर प्रभाव नहीं:
·
अधिनियम का दूसरा अध्याय मुस्लिम
कानून के नियमों पर कोई असर नहीं डालता।
·
यानी मुसलमानों की
पारंपरिक संपत्ति संबंधी विधियों को यह अधिनियम नहीं बदलता।
महत्वपूर्ण बदलाव:
1. पहले
यह प्रावधान हिंदू और बौद्ध कानूनों पर भी लागू नहीं होता था,
लेकिन अब "हिन्दू" और
"बौद्ध" शब्दों को हटा दिया गया है।
2. अब
यह अपवाद सिर्फ मुस्लिम कानून के लिए ही रह गया है।
संक्षेप में निष्कर्ष:
"सम्पत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 के लागू होने से पुराने कानून खत्म हो गए, लेकिन पहले से बनी संपत्तियों, समझौतों, और न्यायालय के आदेशों पर इसका कोई असर नहीं होगा। साथ ही, मुस्लिम कानून को यह अधिनियम प्रभावित नहीं करता।"
सम्पत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 2 – अधिनियमों का निरसन” पर आधारित FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न 1:
अधिनियमों का निरसन क्या होता है?
उत्तर:
जब सम्पत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 लागू हुआ, तो इससे पहले के कुछ पुराने कानूनों को रद्द कर दिया गया। यह रद्द किए गए
कानून अधिनियम के साथ दी गई अनुसूची में सूचीबद्ध होते हैं। इसका उद्देश्य पुराने
और अप्रासंगिक नियमों को हटाकर नए कानून को प्रभावी बनाना है।
प्रश्न 2:
क्या सभी पुराने कानून पूरी तरह से समाप्त हो गए?
उत्तर:
नहीं,
केवल वही कानून या उनके हिस्से रद्द किए गए हैं जो स्पष्ट रूप से
अनुसूची में बताए गए हैं। जो प्रावधान स्पष्ट रूप से रद्द नहीं किए गए हैं,
वे अब भी प्रभावी माने जाएंगे।
प्रश्न 3:
यदि कोई संपत्ति का अनुबंध इस अधिनियम से पहले बना हो तो क्या वह
मान्य रहेगा?
उत्तर:
हाँ,
यदि कोई अनुबंध या संपत्ति की व्यवस्था पहले से मौजूद है और उस समय
के कानून के अनुसार वैध थी, तो वह अब भी मान्य मानी जाएगी।
प्रश्न 4:
क्या इस अधिनियम से पहले बने अधिकार या कानूनी ज़िम्मेदारियाँ खत्म
हो जाएंगी?
उत्तर:
नहीं,
अधिनियम लागू होने से पहले जो अधिकार या दायित्व किसी व्यक्ति को
प्राप्त हुए थे, वे वैध रहेंगे। ऐसे मामलों में व्यक्ति
न्यायालय से राहत भी मांग सकता है।
प्रश्न 5:
यदि किसी न्यायालय ने संपत्ति से जुड़ा आदेश दिया हो, तो क्या यह अधिनियम उस पर असर डालेगा?
उत्तर:
सामान्य रूप से नहीं। न्यायालय की डिक्री, आदेश या
उसके निष्पादन से हुआ संपत्ति का अंतरण इस अधिनियम से अप्रभावित रहेगा। केवल धारा 57
और अध्याय 4 के तहत आने वाले विशेष मामलों में
अपवाद हो सकता है।
प्रश्न 6:
क्या यह अधिनियम मुस्लिम कानून को प्रभावित करता है?
उत्तर:
नहीं,
सम्पत्ति अंतरण अधिनियम का दूसरा अध्याय मुस्लिम कानून के नियमों पर
कोई असर नहीं डालता। मुस्लिम समुदाय की पारंपरिक संपत्ति व्यवस्थाएँ इस अधिनियम से
अप्रभावित रहेंगी।
प्रश्न 7:
क्या यह अधिनियम हिन्दू और बौद्ध कानूनों पर भी लागू नहीं होता?
उत्तर:
पहले यह अधिनियम हिन्दू और बौद्ध कानूनों को भी प्रभावित नहीं करता था,
लेकिन अब “हिन्दू” और “बौद्ध” शब्दों को अधिनियम से हटा दिया गया
है। अब अपवाद केवल मुस्लिम कानून के लिए ही मान्य है।
प्रश्न 8:
संक्षेप में यह अधिनियम क्या कहता है?
उत्तर:
सम्पत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 के लागू होने से कुछ
पुराने कानून रद्द कर दिए गए, लेकिन पहले से मौजूद वैध
समझौते, संपत्ति संबंधी अधिकार, और
न्यायालय के आदेश अब भी प्रभावी रहेंगे। यह अधिनियम मुस्लिम कानून में कोई
हस्तक्षेप नहीं करता।