21 अप्रैल 2025
क्या है मामला?
- साल
2016
में एक दंपति
ने याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि नवी मुंबई के
123
वर्ग मीटर
के उनके निजी भूखंड पर
दीपक पाटिल
नाम के व्यक्ति ने
अवैध दुकानें
बना ली हैं।
- उन्होंने
कोर्ट से मांग की कि इन अवैध ढांचों को गिराया जाए।
कोर्ट में क्या हुआ?
- सिडको
ने अदालत को बताया कि जब
उन्होंने निर्माण हटाने की कोशिश की, तो बोकाडवीरा गांव के सरपंच ने उन्हें धमकाया।
- इस पर
कोर्ट ने दो टूक कहा:
“जब अधिकारी अपने वैध कर्तव्य निभा रहे हों,
तो उन्हें पुलिस सुरक्षा मिलनी चाहिए। अवैध निर्माण
रोकना उनकी जिम्मेदारी है।”
कोर्ट की तीखी टिप्पणी
- न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खता की खंडपीठ ने कहा:
“हम समझ नहीं पा रहे हैं कि राज्य में
कानून का शासन है या बाहुबल का।”
- कोर्ट ने
यह भी कहा कि सरपंच की धमकियां लोकतंत्र में बर्दाश्त नहीं की जा
सकतीं। यदि अधिकारी
डरकर काम नहीं करेंगे, तो फिर कानून का राज कैसे कायम रहेगा?
हाईकोर्ट का आदेश
- कोर्ट ने
सिडको को एक
हफ्ते के भीतर याचिकाकर्ता की जमीन से
अवैध निर्माण
हटाने के लिए सभी कानूनी कदम उठाने
का आदेश दिया है।
- साथ ही
चेतावनी दी कि यदि अगली बार अधिकारी सुरक्षा की कमी का बहाना बनाएंगे,
तो
अदालत सख्त
रुख अपनाएगी।
निष्कर्ष
यह मामला सिर्फ एक भूखंड पर अवैध निर्माण का नहीं है,
बल्कि कानून के शासन बनाम दबंगई के टकराव
का है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि कानून के रास्ते में धमकियों के लिए कोई जगह नहीं
है। अब जिम्मेदारी राज्य की है कि वह यह साबित करे कि
यह देश कानून से चलता है,
न कि ताकत के बल पर।