भारत में एफआईआर की प्रति कैसे प्राप्त करें?
भूमिका
एफआईआर (First
Information Report) किसी अपराध की पुलिस द्वारा दर्ज की गई पहली
रिपोर्ट होती है, जो जांच प्रक्रिया को शुरू करने का कानूनी
आधार प्रदान करती है। भारत में एफआईआर की एक प्रमाणित प्रति प्राप्त करना पीड़ित
व्यक्ति, आरोपी, वकील या अन्य कानूनी
हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह दस्तावेज अदालत में सबूत के रूप में
प्रस्तुत किया जा सकता है और कानूनी प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाने में सहायता करता
है।
इस लेख में हम
विस्तार से चर्चा करेंगे कि एफआईआर की प्रति कैसे प्राप्त की जा सकती है,
कानूनी प्रावधान, भारतीय संविधान के
अनुच्छेद, न्यायिक फैसले, और
यदि पुलिस एफआईआर की प्रति देने से मना करे तो क्या कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं।
एफआईआर की प्रति प्राप्त करने के लिए आवश्यक कानून
1. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173(2)
➡ इस धारा के अनुसार, पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद, उसकी एक
प्रमाणित प्रति (Certified Copy) शिकायतकर्ता को
निःशुल्क प्रदान की जानी चाहिए।
➡ यदि कोई
व्यक्ति एफआईआर दर्ज कराता है और पुलिस उसे कॉपी देने से इनकार करती है, तो यह कानूनी उल्लंघन माना जाएगा।
2. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act, 2005)
➡ यदि किसी व्यक्ति को एफआईआर
की प्रति पुलिस से नहीं मिल रही है, तो वह सूचना का
अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत आवेदन देकर इसकी प्रति प्राप्त कर सकता है।
➡ RTI आवेदन
देने के लिए:
✔ संबंधित
पुलिस स्टेशन के जन सूचना अधिकारी (PIO) को
आवेदन दें।
✔ आवेदन में
एफआईआर नंबर, तिथि, संबंधित पक्षों का
नाम आदि विवरण शामिल करें।
✔ 30 दिनों
के भीतर एफआईआर की प्रति प्रदान की जानी चाहिए।
3. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21
➡ यह अनुच्छेद "जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार" प्रदान
करता है, जिसमें न्याय पाने का अधिकार भी शामिल है।
➡ यदि पुलिस
एफआईआर की प्रति देने से इनकार करती है, तो यह संविधान के
अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माना
जा सकता है।
एफआईआर की प्रति प्राप्त करने की प्रक्रिया
(1) पुलिस स्टेशन जाएं और अनुरोध करें
➡ एफआईआर की प्रति प्राप्त
करने के लिए सबसे पहले उस पुलिस स्टेशन में जाएं, जहां
एफआईआर दर्ज की गई थी।
➡ संबंधित
अधिकारी (थाना प्रभारी या रिकॉर्ड विभाग) से संपर्क करें और एफआईआर की प्रमाणित
प्रति की मांग करें।
(2) आवश्यक विवरण प्रदान करें
➡ एफआईआर की प्रति प्राप्त
करने के लिए निम्नलिखित जानकारी आवश्यक होती है:
✔ एफआईआर
नंबर (यदि ज्ञात हो)
✔ एफआईआर
दर्ज करने की तिथि
✔ अपराध का
स्थान
✔ शिकायतकर्ता
और आरोपी का नाम (यदि ज्ञात हो)
✔ संक्षिप्त
विवरण कि क्यों एफआईआर की प्रति आवश्यक है
(3) औपचारिक आवेदन पत्र जमा करें
➡ यदि पुलिस अधिकारी अनुरोध पर
तुरंत एफआईआर की प्रति नहीं देते हैं, तो एक लिखित आवेदन
पत्र तैयार करें।
➡ इसमें
निम्नलिखित जानकारी दें:
✔ आवेदक का
नाम, पता और संपर्क विवरण
✔ एफआईआर से संबंधित
जानकारी
✔ एफआईआर की
प्रति क्यों चाहिए, इसका कारण
✔ आवेदन पत्र
के साथ पहचान प्रमाण संलग्न करें
(4) पहचान प्रमाण प्रस्तुत करें
➡ एफआईआर की प्रति प्राप्त
करने के लिए पहचान प्रमाण आवश्यक होता है। इसके लिए निम्नलिखित दस्तावेजों में से
कोई एक प्रस्तुत किया जा सकता है:
✔ आधार कार्ड
✔ वोटर आईडी
✔ ड्राइविंग
लाइसेंस
✔ पासपोर्ट
(5) यदि शुल्क आवश्यक हो तो भुगतान करें
➡ एफआईआर की प्रति निःशुल्क
प्रदान की जाती है, लेकिन कुछ राज्यों में प्रशासनिक शुल्क
लिया जा सकता है।
➡ शुल्क
आमतौर पर ₹5 से ₹50 तक हो सकता
है, जो संबंधित राज्य के नियमों पर निर्भर करता है।
(6) एफआईआर की प्रमाणित प्रति प्राप्त करें
➡ एक बार सभी आवश्यक
प्रक्रियाएं पूरी हो जाने के बाद, पुलिस को एफआईआर की प्रमाणित
प्रति (Certified Copy) प्रदान करनी होती है।
यदि पुलिस एफआईआर
की प्रति देने से इनकार करे तो क्या करें?
(1) वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से शिकायत करें
➡ यदि थाना प्रभारी एफआईआर की
प्रति देने से इनकार करता है, तो शिकायतकर्ता जिले के
एसपी (Superintendent of Police) या डीआईजी (DIG)
के पास शिकायत कर सकता है।
(2) सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन दें
➡ यदि पुलिस एफआईआर की प्रति
देने में देरी कर रही है, तो सूचना का अधिकार (RTI)
के तहत आवेदन देकर इसकी प्रति प्राप्त की
जा सकती है।
(3) न्यायालय का सहारा लें
➡ यदि पुलिस एफआईआर की प्रति
देने से बार-बार इनकार कर रही है, तो संबंधित हाई कोर्ट
या मजिस्ट्रेट कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है।
एफआईआर की प्रति प्राप्त करने से जुड़े महत्वपूर्ण अदालती फैसले
(1) यूनीक रेडिएस प्राइवेट लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र सरकार (2021)
➡ बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि एफआईआर
सार्वजनिक दस्तावेज है, और पुलिस को इसकी प्रति मांगने
वाले को देनी होगी।
(2) यूनीक रेडिएस बनाम महाराष्ट्र [(2019) SCC Online Bom 257]
➡ कोर्ट ने कहा कि एफआईआर
सार्वजनिक रिकॉर्ड का हिस्सा है, और इसे छिपाने का कोई
औचित्य नहीं हो सकता।
(3) प्रभा देवी बनाम दिल्ली पुलिस [(2017) 4 SCC 467]
➡ कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि
पुलिस एफआईआर की प्रति देने से इनकार करती है, तो पीड़ित
या संबंधित व्यक्ति सूचना के अधिकार के तहत इसे प्राप्त कर सकता है।
ऑनलाइन माध्यम से
एफआईआर की प्रति कैसे प्राप्त करें?
आजकल कई राज्यों की
पुलिस एफआईआर की कॉपी ऑनलाइन डाउनलोड करने की सुविधा भी देती है।
(1) ऑनलाइन एफआईआर कॉपी डाउनलोड करने की प्रक्रिया:
➡ संबंधित राज्य की पुलिस
वेबसाइट पर जाएं।
➡ "एफआईआर
स्टेटस" या "डाउनलोड एफआईआर" विकल्प चुनें।
➡ आवश्यक
विवरण दर्ज करें (एफआईआर नंबर, तिथि, थाना,
शिकायतकर्ता का नाम आदि)।
➡ एफआईआर
की पीडीएफ कॉपी डाउनलोड करें।
निष्कर्ष
✅ एफआईआर की प्रति कानूनी
रूप से हर नागरिक को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
✅ पुलिस को BNSS
धारा 173(2) के तहत एफआईआर की प्रति
शिकायतकर्ता को निःशुल्क देनी होती है।
✅ यदि पुलिस
एफआईआर की प्रति देने से इनकार करती है, तो व्यक्ति आरटीआई
आवेदन दाखिल कर सकता है या न्यायालय का सहारा ले सकता है।
✅ एफआईआर
ऑनलाइन माध्यम से भी प्राप्त की जा सकती है, जिससे प्रक्रिया
आसान हो जाती है।
📌 "न्याय
की पहली शर्त पारदर्शिता है, और एफआईआर की प्रति हर नागरिक
का कानूनी अधिकार है।"
एफआईआर की प्रति प्राप्त करने से
जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. एफआईआर
की प्रति क्या होती है और इसका क्या महत्व है?
✅ एफआईआर (First
Information Report) की प्रति वह प्रमाणित
दस्तावेज होता है, जो पुलिस द्वारा किसी अपराध की सूचना दर्ज
करने के बाद शिकायतकर्ता को प्रदान किया जाता है। यह कानूनी साक्ष्य के रूप
में कार्य करता है और न्यायिक प्रक्रिया के लिए आवश्यक होता है।
2. एफआईआर
की प्रति कैसे प्राप्त करें?
✅ एफआईआर की प्रति प्राप्त
करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं:
✔ पुलिस
स्टेशन जाएं – जहां एफआईआर दर्ज की गई थी।
✔ एफआईआर
नंबर और अन्य विवरण दें – जैसे अपराध की तारीख, स्थान, संबंधित पक्षों के नाम।
✔ औपचारिक
आवेदन पत्र जमा करें – यदि पुलिस मांग करती है।
✔ पहचान
प्रमाण दिखाएं – जैसे आधार कार्ड, ड्राइविंग
लाइसेंस।
✔ प्रमाणित
प्रति प्राप्त करें – यह निःशुल्क या मामूली शुल्क के
साथ दी जाती है।
3. क्या
एफआईआर की प्रति प्राप्त करने के लिए कोई शुल्क देना पड़ता है?
✅ नहीं, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173(2)
के तहत पुलिस को एफआईआर की एक प्रमाणित प्रति शिकायतकर्ता को
निःशुल्क देनी होती है। हालांकि, कुछ राज्यों में प्रशासनिक
शुल्क हो सकता है।
4. अगर
पुलिस एफआईआर की प्रति देने से इनकार कर दे तो क्या करें?
✅ यदि पुलिस एफआईआर की प्रति
देने से मना करती है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
✔ वरिष्ठ
अधिकारी से शिकायत करें – एसपी (Superintendent
of Police) या डीआईजी (DIG) से संपर्क करें।
✔ सूचना
का अधिकार (RTI) आवेदन दायर करें – आरटीआई (RTI Act, 2005) के तहत एफआईआर की प्रति
मांगी जा सकती है।
✔ न्यायालय
का सहारा लें – हाई कोर्ट या मजिस्ट्रेट कोर्ट में
याचिका दायर करें।
5. एफआईआर
की प्रति कौन-कौन प्राप्त कर सकता है?
✅ एफआईआर की प्रति निम्नलिखित
लोग प्राप्त कर सकते हैं:
✔ शिकायतकर्ता
(Complainant)
✔ पीड़ित
व्यक्ति (Victim)
✔ आरोपी (Accused)
– अपने बचाव के लिए।
✔ वकील (Lawyer)
– मामले की कानूनी कार्रवाई के लिए।
✔ कोर्ट
और संबंधित अधिकारी – न्यायिक प्रक्रिया के लिए।
6. एफआईआर
की प्रति प्राप्त करने के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ आवश्यक हैं?
✅ एफआईआर की प्रति प्राप्त
करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता हो सकती है:
✔ पहचान
प्रमाण – आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग
लाइसेंस।
✔ एफआईआर से
संबंधित जानकारी – एफआईआर नंबर, तिथि, स्थान
आदि।
✔ आवेदन पत्र
– यदि पुलिस मांग करती है।
7. क्या
एफआईआर ऑनलाइन डाउनलोड की जा सकती है?
✅ हां, कई
राज्यों की पुलिस विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर एफआईआर की प्रति ऑनलाइन
डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्ध है।
✔ संबंधित
राज्य की पुलिस वेबसाइट पर जाएं।
✔ एफआईआर
नंबर दर्ज करें।
✔ आवश्यक
विवरण भरें और एफआईआर की कॉपी डाउनलोड करें।
8. क्या
एफआईआर की प्रति गुम हो जाने पर उसकी डुप्लीकेट कॉपी प्राप्त की जा सकती है?
✅ हां, यदि
आपकी एफआईआर की प्रति गुम हो गई है, तो आप:
✔ पुलिस
स्टेशन जाकर पुनः अनुरोध कर सकते हैं।
✔ आरटीआई
आवेदन के माध्यम से कॉपी प्राप्त कर सकते हैं।
9. क्या
एफआईआर एक सार्वजनिक दस्तावेज है?
✅ हां, सुप्रीम
कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट के फैसलों के अनुसार, एफआईआर
एक सार्वजनिक दस्तावेज है और इसे किसी भी व्यक्ति को
प्राप्त करने का अधिकार है, जब तक कि यह गोपनीय या संवेदनशील
प्रकृति का न हो।
10. एफआईआर
प्राप्त करने के लिए आरटीआई आवेदन कैसे दें?
✅ यदि पुलिस एफआईआर की प्रति
देने से इनकार करती है, तो सूचना का अधिकार (RTI)
अधिनियम, 2005 के तहत आवेदन कर सकते हैं:
✔ संबंधित
पुलिस विभाग के जन सूचना अधिकारी (PIO) को आवेदन दें।
✔ एफआईआर
नंबर, तिथि, स्थान और संबंधित पक्षों
की जानकारी दें।
✔ 30 दिनों
के भीतर पुलिस को जवाब देना होगा।
11. क्या
आरोपी को एफआईआर की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है?
✅ हां, आरोपी को एफआईआर की प्रति प्राप्त करने का कानूनी अधिकार है, ताकि वह अपने बचाव में उचित कानूनी कार्रवाई कर सके।
12. क्या
कोई तीसरा व्यक्ति एफआईआर की प्रति प्राप्त कर सकता है?
✅ सामान्यत: एफआईआर की प्रति केवल
संबंधित पक्षों (शिकायतकर्ता, पीड़ित, आरोपी) को दी जाती है, लेकिन किसी तीसरे व्यक्ति
को इसकी कॉपी प्राप्त करने के लिए आरटीआई के तहत आवेदन करना पड़ सकता है।
13. क्या
एफआईआर को गोपनीय रखा जा सकता है?
✅ कुछ मामलों में, जैसे यौन उत्पीड़न, बलात्कार, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में, एफआईआर
को गोपनीय रखा जा सकता है और इसकी प्रति सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होती।
14. क्या
एफआईआर की प्रति अदालत में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की जा सकती है?
✅ हां, एफआईआर
की प्रमाणित प्रति अदालत में सबूत के रूप में प्रस्तुत की जा सकती है,
लेकिन यह अंतिम प्रमाण नहीं होती।
15. एफआईआर
की प्रति कब तक प्राप्त की जा सकती है?
✅ एफआईआर दर्ज होने के तुरंत
बाद इसकी प्रति प्राप्त की जा सकती है। यदि पुलिस देरी करती है, तो वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया जा सकता है।
16. क्या
पुलिस एफआईआर की कॉपी देने में देरी कर सकती है?
✅ नहीं, BNSS धारा 173(2) के अनुसार, एफआईआर
दर्ज होने के तुरंत बाद पुलिस को इसकी कॉपी शिकायतकर्ता को देनी होती है।
17. एफआईआर
की प्रति प्राप्त करने से जुड़े महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले कौन-कौन से हैं?
✅ यूनीक रेडिएस प्राइवेट
लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र सरकार (2021) – बॉम्बे हाई
कोर्ट ने कहा कि एफआईआर सार्वजनिक दस्तावेज है और इसकी प्रति मांगने वाले को दी
जानी चाहिए।
✅ प्रभा
देवी बनाम दिल्ली पुलिस (2017) – कोर्ट ने कहा कि सूचना
के अधिकार (RTI) के तहत कोई भी व्यक्ति एफआईआर की प्रति
प्राप्त कर सकता है।
18. क्या
एफआईआर की प्रति ईमेल के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है?
✅ हां, कुछ
पुलिस विभाग ईमेल के माध्यम से एफआईआर की डिजिटल कॉपी प्रदान करते हैं।
19. क्या
एफआईआर दर्ज करने वाले व्यक्ति को अदालत में गवाही देनी पड़ती है?
✅ यदि मामला अदालत तक जाता है,
तो एफआईआर दर्ज कराने वाले व्यक्ति को गवाह के रूप में बयान देने
के लिए बुलाया जा सकता है।
20. क्या
एफआईआर की प्रति अदालत के आदेश से प्राप्त की जा सकती है?
✅ हां, यदि
पुलिस एफआईआर की प्रति देने से इनकार करे, तो मजिस्ट्रेट
कोर्ट या हाई कोर्ट से आदेश लेकर इसकी प्रति प्राप्त की जा सकती है।