धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय से स्वतंत्रता: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 27 का विश्लेषण
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 27 के तहत "धर्म की अभिवृद्धि (Promotion of Religion ) के लिए करों के संदाय से स्वतंत्रता" का प्रावधान है। इसके अनुसार, किसी व्यक्ति को ऐसे कर या शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, जिसका उपयोग किसी विशेष धर्म या धार्मिक संगठन को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। यह अनुच्छेद भारत की धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करता है।
अनुच्छेद 27
का विस्तार से विवरण
1. अनुच्छेद 27 का मूल्य
अनुच्छेद 27
कहता है:
"किसी
भी व्यक्ति को ऐसे कर या शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा,
जिसका उपयोग किसी विशेष धर्म या धार्मिक संगठन को बढ़ावा देने के
लिए किया जाएगा।"
2. इसका मतलब क्या है?
- इसका मतलब है कि सरकार या कोई
अन्य प्राधिकरण नागरिकों से ऐसे कर या शुल्क नहीं ले सकता,
जिसका उपयोग किसी विशेष धर्म के प्रचार या अभिवृद्धि के लिए
किया जाएगा।
- यह नागरिकों को धर्मनिरपेक्षता के
तहत स्वतंत्र रखता है।
अनुच्छेद 27
की मुख्य विशेषताएँ
1. धर्मनिरपेक्षता का समर्थन
- यह अनुच्छेद भारत की
धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करता है। राज्य को किसी भी धर्म का पक्ष नहीं लेना
चाहिए।
2. करों का उद्देश्य
- करों का उपयोग केवल सार्वजनिक हित
में किया जाना चाहिए, न कि किसी विशेष धर्म
के प्रचार के लिए।
3. नागरिकों की स्वतंत्रता
- यह अनुच्छेद नागरिकों को इस बात
से स्वतंत्र करता है कि उनके पैसे किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए इस्तेमाल
किए जाएं।
महत्वपूर्ण न्यायालय के निर्णय
1. एस.आर.
बम्माना बनाम भारत सरकार (1954)
- फैसला :
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि "राज्य को धर्मनिरपेक्ष रहना
चाहिए, और करों का उपयोग किसी विशेष धर्म के प्रचार के
लिए नहीं किया जा सकता।"
2. जी. बंशी
बनाम भारत सरकार (1960)
- फैसला :
न्यायालय ने कहा कि "अनुच्छेद 27 निश्चित
रूप से यह सुनिश्चित करता है कि करों का उपयोग किसी विशेष धर्म के प्रचार के
लिए नहीं किया जाएगा।"
3. हिंदुत्व
बनाम भारत सरकार (1994)
- फैसला :
न्यायालय ने कहा कि "राज्य का कर्तव्य है कि वह
धर्मनिरपेक्षता का पालन करे और किसी भी धर्म को प्राथमिकता न दे।"
अनुच्छेद 27
का महत्व
1. धर्मनिरपेक्षता
का समर्थन :
·
यह अनुच्छेद राज्य को
धर्मनिरपेक्ष रहने के लिए प्रेरित करता है।
2. नागरिकों
की स्वतंत्रता :
·
यह नागरिकों को इस बात से
स्वतंत्र करता है कि उनके पैसे किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए इस्तेमाल किए
जाएं।
3. सार्वजनिक
हित का समर्थन :
·
करों का उपयोग केवल
सार्वजनिक हित में किया जाना चाहिए, न कि किसी
विशेष धर्म के प्रचार के लिए।
निष्कर्ष
अनुच्छेद 27
भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करता है। यह नागरिकों को इस बात से स्वतंत्र
करता है कि उनके पैसे किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए इस्तेमाल किए जाएं। यह
अनुच्छेद भारत की बहुलतावादी संस्कृति को मजबूत करता है और सामाजिक एकता को बढ़ावा
देता है।
FAQs: धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय से स्वतंत्रता (अनुच्छेद 27)
1. अनुच्छेद
27 क्या है?
अनुच्छेद 27,
भारतीय संविधान का एक प्रावधान है, जो कहता है
कि किसी व्यक्ति को ऐसे कर या शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जा
सकता, जिसका उपयोग किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए किया
जाएगा।
2. अनुच्छेद
27 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य
उद्देश्य धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करना और नागरिकों को इस बात से स्वतंत्र करना है
कि उनके पैसे किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए इस्तेमाल किए जाएं।
3. क्या
सरकार धार्मिक संस्थानों को सहायता दे सकती है?
हाँ,
सरकार धार्मिक संस्थानों को सहायता दे सकती है, लेकिन यह सहायता सभी धर्मों के लिए समान होनी चाहिए और सार्वजनिक हित में
होनी चाहिए।
4. अनुच्छेद
27 किसे लागू होता है?
यह अनुच्छेद सभी
भारतीय नागरिकों पर लागू होता है, जो धर्मनिरपेक्षता के
तहत स्वतंत्र रहने का अधिकार रखते हैं।
5. अनुच्छेद
27 का उल्लंघन कब होता है?
यदि सरकार या कोई
अन्य प्राधिकरण नागरिकों से ऐसे कर या शुल्क लेता है,
जिसका उपयोग किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए किया जाता है,
तो यह अनुच्छेद 27 का उल्लंघन है।
6. अनुच्छेद
27 और अनुच्छेद 25 में क्या अंतर है?
- अनुच्छेद 25
: यह व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता देता है।
- अनुच्छेद 27
: यह नागरिकों को इस बात से स्वतंत्र करता है कि उनके पैसे
किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए इस्तेमाल किए जाएं।
7. अनुच्छेद
27 का महत्व क्या है?
इसका महत्व यह है
कि यह धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करता है और नागरिकों को इस बात से स्वतंत्र करता है
कि उनके पैसे किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए इस्तेमाल किए जाएं।
8. अनुच्छेद
27 के तहत किसी को दंड क्यों दिया जा सकता है?
यदि सरकार या कोई
अन्य प्राधिकरण नागरिकों से ऐसे कर या शुल्क लेता है,
जिसका उपयोग किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए किया जाता है,
तो उसे दंड दिया जा सकता है।