भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 का अध्याय 2 तथ्यों की सुसंगति (Relevancy of Facts):धारा-4 एक ही लेनदेन का हिस्सा बनने वाले तथ्यों की प्रासंगिकता।
अध्याय 2a
निकटता से संसक्त तथ्य (Closely connected facts) के अन्तर्गत धारा 4 से 14 तक सम्मिलित है
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023:धारा-4 एक ही लेनदेन का हिस्सा बनने वाले तथ्यों की प्रासंगिकता।
वे तथ्य,
जो यद्यपि विवाद्यक नहीं हैं, किन्तु विवाद्यक
तथ्य या सुसंगत तथ्य से इस प्रकार संसक्त हैं कि वे एक ही संव्यवहार के भाग हैं,
सुसंगत हैं, चाहे वे एक ही समय और स्थान पर
घटित हुए हों या भिन्न-भिन्न समय और स्थानों पर घटित हुए हों।
चित्रण
(क)
B को पीटकर उसकी हत्या करने का अभियोग A पर है।
मारपीट के समय या उसके ठीक पहले या बाद में A या B या आसपास खड़े लोगों द्वारा जो कुछ कहा या किया गया, वह संव्यवहार का भाग है, सुसंगत तथ्य है।
(ख)
A पर सशस्त्र विद्रोह में भाग लेकर भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का
आरोप है जिसमें संपत्ति नष्ट की जाती है, सैनिकों पर हमला
किया जाता है और जेलों को तोड़ा जाता है। इन तथ्यों का घटित होना सुसंगत है,
क्योंकि ये सामान्य लेन-देन का भाग हैं, यद्यपि
क उन सभी में उपस्थित नहीं रहा होगा।
(ग) A,
B पर एक पत्र में निहित मानहानि के लिए वाद लाता है, जो पत्र-व्यवहार का भाग है। पक्षकारों के बीच पत्र, जो
उस विषय से संबंधित हैं, जिससे मानहानि उत्पन्न हुई है,
तथा उस पत्र-व्यवहार का भाग हैं, जिसमें वह
अंतर्विष्ट है, सुसंगत तथ्य हैं, यद्यपि
उनमें स्वयं मानहानि अंतर्विष्ट नहीं है।
(घ)
प्रश्न यह है कि क्या B से मंगाया गया कुछ माल A को दिया गया। माल क्रमिक रूप से कई मध्यवर्ती व्यक्तियों को दिया गया।
प्रत्येक वितरण एक सुसंगत तथ्य है।
संक्षिप्त विवरण
भारतीय साक्ष्य
अधिनियम,
2023 का अध्याय 2A "निकटता
से संसक्त तथ्य" (Closely Connected Facts) को कवर
करता है, जिसमें धारा 4 से 14
तक के प्रावधान शामिल हैं। धारा 4
उन तथ्यों की सुसंगति (प्रासंगिकता) को रेखांकित करती है, जो एक ही लेनदेन का हिस्सा होते हैं, भले ही
वे विवादास्पद न हों।
धारा 4:
एक ही लेनदेन का हिस्सा बनने वाले तथ्यों की प्रासंगिकता
- प्रासंगिकता:
वे तथ्य, जो विवाद्यक या सुसंगत तथ्य से
इस प्रकार जुड़े होते हैं कि वे एक ही संव्यवहार (Transaction)
का भाग होते हैं, सुसंगत माने जाते
हैं।
- समय और स्थान:
ये तथ्य एक ही समय और स्थान पर या भिन्न समय और स्थानों पर घटित हो सकते
हैं, फिर भी वे लेनदेन का भाग माने जाएंगे।
उदाहरण:
- हत्या का मामला:
यदि A पर B की हत्या का आरोप है, तो मारपीट के समय या उससे ठीक पहले या बाद में A, B, या आसपास के लोगों द्वारा जो कुछ कहा या किया गया, वह सुसंगत तथ्य माना जाएगा। - सशस्त्र विद्रोह:
यदि A पर भारत सरकार के विरुद्ध विद्रोह का आरोप है, तो संपत्ति नष्ट करने, सैनिकों पर हमला करने और जेलों को तोड़ने जैसी घटनाएं एक ही लेनदेन का हिस्सा मानी जाएंगी। - मानहानि का मामला:
यदि A, B के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करता है, तो उनके बीच का सम्बंधित पत्र-व्यवहार सुसंगत तथ्य होगा, भले ही उसमें स्वयं मानहानि शामिल न हो। - माल की डिलीवरी:
यदि माल कई मध्यवर्ती व्यक्तियों द्वारा A तक पहुंचाया गया हो, तो प्रत्येक वितरण एक सुसंगत तथ्य माना जाएगा।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- उद्देश्य:
यह सुनिश्चित करना कि लेनदेन का हिस्सा बनने वाले सभी सुसंगत तथ्य न्यायालय
के समक्ष प्रस्तुत किए जा सकें।
- सीमा:
केवल वे तथ्य जो विवाद्यक तथ्य से निकटता से जुड़े हों,
उन्हें सुसंगत माना जाएगा।
भारतीय साक्ष्य
अधिनियम,
2023 की धारा 4 उन तथ्यों की प्रासंगिकता
को स्थापित करती है जो एक ही लेनदेन का हिस्सा हैं, चाहे वे भिन्न समय और स्थान पर घटित हुए हों। इससे न्यायिक प्रक्रिया सुसंगत
और निष्पक्ष बनती है।
अक्सर पूछे जाने
वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय
साक्ष्य अधिनियम, 2023 का अध्याय 2A क्या
दर्शाता है?
उत्तर:
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 का अध्याय 2A
"निकटता से संसक्त तथ्य" (Closely Connected
Facts) से संबंधित है। इसमें धारा 4 से 14 तक के प्रावधान शामिल हैं, जो उन तथ्यों की प्रासंगिकता (Relevancy) को निर्दिष्ट करते हैं जो एक ही लेनदेन का हिस्सा होते हैं।
2. धारा 4
में "एक ही लेनदेन का हिस्सा बनने वाले तथ्यों" का क्या
अर्थ है?
उत्तर:
धारा 4
में वे तथ्य शामिल हैं जो विवादास्पद या सुसंगत तथ्यों से जुड़े
होते हैं और एक ही लेनदेन (Transaction) का
भाग होते हैं। ये तथ्य एक ही समय और स्थान पर या
अलग-अलग समय और स्थानों पर घटित हो सकते हैं, फिर
भी वे लेनदेन का हिस्सा माने जाएंगे।
3. क्या एक
ही लेनदेन के अंतर्गत आने वाले सभी तथ्य सुसंगत होते हैं?
उत्तर:
हां,
यदि तथ्य विवाद्यक या सुसंगत तथ्यों से इस प्रकार जुड़े हों कि
वे एक ही लेनदेन का हिस्सा बनें, तो वे सुसंगत (Relevant)
माने जाते हैं।
4. क्या
भिन्न समय और स्थान पर घटित तथ्य भी एक ही लेनदेन का हिस्सा हो सकते हैं?
उत्तर:
हां,
धारा 4 के अनुसार, भिन्न
समय और स्थान पर घटित तथ्यों को भी एक ही लेनदेन का
हिस्सा माना जा सकता है, यदि वे संबंधित संव्यवहार (Transaction)
से जुड़े हों।
5. धारा 4
के अंतर्गत किसी हत्या के मामले में कौन से तथ्य सुसंगत माने जाएंगे?
उत्तर:
यदि A
पर B की हत्या का आरोप
है,
तो मारपीट के समय, उससे ठीक पहले या
बाद में A, B या आसपास के लोगों द्वारा जो कुछ कहा या
किया गया, वह सुसंगत तथ्य होगा।
6. क्या
विद्रोह से जुड़े विभिन्न कार्यों को एक ही लेनदेन का भाग माना जा सकता है?
उत्तर:
हां,
यदि A पर भारत सरकार के विरुद्ध विद्रोह का
आरोप है, तो संपत्ति नष्ट करना,
सैनिकों पर हमला करना और जेलों को तोड़ना जैसी
घटनाएं एक ही लेनदेन का हिस्सा मानी जाएंगी, भले ही A
सभी घटनाओं में उपस्थित न रहा हो।
7. मानहानि
के मामले में पत्र-व्यवहार का क्या महत्व है?
उत्तर:
यदि A,
B के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर
करता है,
तो उनके बीच का सम्बंधित पत्र-व्यवहार सुसंगत तथ्य होगा,
भले ही उनमें मानहानि निहित न हो।
8. यदि किसी
माल की डिलीवरी कई मध्यवर्ती व्यक्तियों के माध्यम से हुई हो तो क्या यह सुसंगत
होगा?
उत्तर:
हां,
यदि माल कई मध्यवर्ती व्यक्तियों के माध्यम से A को दिया गया हो, तो प्रत्येक वितरण एक सुसंगत
तथ्य माना जाएगा।
9. क्या
लेनदेन से जुड़े तथ्य विवादास्पद न होने पर भी सुसंगत हो सकते हैं?
उत्तर:
हां,
धारा 4 के अनुसार, भले ही तथ्य विवादास्पद न हो, यदि वह विवादास्पद
या सुसंगत तथ्य से निकटता से जुड़ा है, तो वह
सुसंगत होगा।
10. क्या
पत्र-व्यवहार का हर भाग सुसंगत माना जाएगा?
उत्तर:
नहीं,
केवल वह पत्र-व्यवहार सुसंगत माना जाएगा जो मूल
विवादास्पद तथ्य से जुड़ा हो।
11. क्या
सभी सुसंगत तथ्यों को न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है?
उत्तर:
हां,
सभी सुसंगत तथ्यों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता
है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष और कुशल हो सके।
12. क्या
न्यायालय सुसंगत तथ्यों को अस्वीकार कर सकता है?
उत्तर:
नहीं,
यदि कोई तथ्य विवादास्पद या सुसंगत तथ्य से निकटता से जुड़ा हो
और एक ही लेनदेन का हिस्सा हो, तो न्यायालय उसे अस्वीकार
नहीं कर सकता।
13. धारा 4
का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
धारा 4
का उद्देश्य लेनदेन का हिस्सा बनने वाले सभी सुसंगत तथ्यों को
न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना और न्यायिक प्रक्रिया को निष्पक्ष और
सुसंगत बनाना है।
14. क्या
सुसंगत तथ्यों को बाद में पेश किया जा सकता है?
उत्तर:
हां,
यदि वे विवादास्पद तथ्यों से जुड़े और लेनदेन का हिस्सा हों,
तो उन्हें न्यायालय में बाद में भी प्रस्तुत किया जा सकता है।
15. क्या
धारा 4 के तहत एक ही लेनदेन से जुड़े कई कार्य सुसंगत माने
जा सकते हैं?
उत्तर:
हां,
यदि कई कार्य एक ही लेनदेन का हिस्सा हैं, तो वे सुसंगत माने जाएंगे, चाहे वे एक
ही समय या स्थान पर घटित हुए हों या नहीं।
16. क्या
पत्र-व्यवहार में निहित तथ्य भी सुसंगत हो सकते हैं?
उत्तर:
हां,
यदि पत्र-व्यवहार किसी विवादास्पद तथ्य से संबंधित है,
तो वह सुसंगत होगा, भले ही स्वयं उसमें
मानहानि या अन्य विवादास्पद तत्व शामिल न हों।
17. क्या
धारा 4 के अंतर्गत माल का वितरण विवादास्पद न होने पर भी
सुसंगत हो सकता है?
उत्तर:
हां,
यदि माल कई व्यक्तियों के माध्यम से क्रमिक रूप से वितरित किया
गया हो, तो प्रत्येक वितरण सुसंगत तथ्य माना जाएगा।
18. क्या
सुसंगत तथ्य न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं?
उत्तर:
हां,
सुसंगत तथ्य न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं,
क्योंकि वे विवादास्पद तथ्यों को स्पष्ट करने और सही निर्णय लेने
में सहायता करते हैं।
19. क्या
किसी व्यक्ति की उपस्थिति की आवश्यकता सुसंगतता को प्रभावित करती है?
उत्तर:
नहीं,
सुसंगत तथ्य का मूल्यांकन व्यक्ति की उपस्थिति
या अनुपस्थिति पर निर्भर नहीं करता, यदि वह तथ्य लेनदेन
का हिस्सा है।
20. क्या
धारा 4 के अंतर्गत हर तथ्य को विवादास्पद होना जरूरी है?
उत्तर:
नहीं,
धारा 4 के तहत तथ्य विवादास्पद न होने पर
भी सुसंगत हो सकते हैं, यदि वे विवादास्पद तथ्य से
निकटता से जुड़े हों।