सुप्रीम
कोर्ट ने दिनांक 08/04/2025 दिन मंगलवार को ताजमहल के आसपास के इलाकों में
पर्यावरण की स्थिति को देखते हुए एक अहम फैसला लिया है। कोर्ट ने देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (FRI) को आदेश दिया है
कि वह ताज ट्रैपेजियम ज़ोन (TTZ) में पेड़ों की गणना के
लिए जो बजट प्रस्ताव पहले दिया था, उसकी फिर से समीक्षा करे और चार हफ्तों के अंदर नया बजट प्रस्ताव कोर्ट
में पेश करे।
क्या
है ताज ट्रैपेजियम ज़ोन?
ताज
ट्रैपेजियम ज़ोन, या TTZ, 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला एक संरक्षित
क्षेत्र है, जिसमें आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस
और इटावा जिले शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य
ताजमहल जैसे ऐतिहासिक धरोहर स्थलों को वायु और
औद्योगिक प्रदूषण से बचाना है।
सुप्रीम
कोर्ट के निर्देश
कोर्ट
की दो जजों की पीठ – न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने कहा कि पेड़ों की सटीक संख्या जाने बिना उत्तर
प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 को प्रभावी
तरीके से लागू नहीं किया जा सकता।
कोर्ट
का कहना था:
"दिल्ली में पेड़ों की गणना के लिए जो आधारभूत ढांचा इस्तेमाल किया गया था, वही ढांचा TTZ में भी इस्तेमाल किया जा
सकता है। ऐसे में बजट पर दोबारा विचार जरूरी है।"
पहले
भी दिए गए थे आदेश
गौरतलब
है कि 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने FRI को TTZ में पेड़ों की संख्या जानने के लिए
सर्वे करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि पिछले 10 वर्षों में कितने पेड़ काटे गए, इसका पूरा विवरण 6 महीने के अंदर दिया जाए।
क्यों
ज़रूरी है पेड़ों की गिनती?
सुप्रीम
कोर्ट का कहना है कि:
"पेड़ों के डाटा के बिना प्रभावी वृक्षारोपण योजना बनाना असंभव है। यह
जानकारी ना सिर्फ आज के लिए, बल्कि दीर्घकालिक
पर्यावरणीय योजनाओं के लिए भी ज़रूरी है।"
ताजमहल
जैसे विश्व धरोहर स्थल को बचाने के लिए पेड़-पौधों की रक्षा एक अनिवार्य कदम है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश न केवल हरियाली बढ़ाने की दिशा में अहम है, बल्कि इससे पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को मजबूती मिलेगी। ताज
ट्रैपेजियम ज़ोन की सटीक जानकारी से यह तय किया जा सकेगा कि कहां वृक्षारोपण
ज़रूरी है और कौन-से क्षेत्र अधिक संकट में हैं।
हर
पेड़ है भविष्य का प्रहरी
ताजमहल
सिर्फ संगमरमर की एक इमारत नहीं, बल्कि हमारी
सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक है। ताज ट्रैपेजियम ज़ोन में
पेड़ों की सही गणना और संरक्षण की दिशा में सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश हमें यह
याद दिलाता है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन
ही सच्ची तरक्की है।
हर
पेड़ सिर्फ ऑक्सीजन नहीं देता, वह एक शहर की साँस, एक बच्चे का भविष्य और एक
राष्ट्र की सांसारिक समझ का प्रतीक होता है। यदि आज
हम पेड़ों को गिनना शुरू कर रहे हैं, तो कल हम उन्हें
बचाने में देर न करें — यही समय है हर हरियाली को गले लगाने का।
ताजमहल
की खूबसूरती तब ही बनी रह सकती है, जब
उसके चारों ओर प्रकृति जीवित रहे — और यह ज़िम्मेदारी हम सबकी है।