16 अप्रैल 2025
सुप्रीम कोर्ट ने
उत्तर प्रदेश पुलिस को बड़ी फटकार लगाई है। मामला एक सिविल विवाद यानी
दीवानी झगड़े का था, लेकिन पुलिस ने इसमें आपराधिक
मामला दर्ज कर लिया। कोर्ट ने इस पर नाराज़गी जताते हुए यूपी पुलिस पर 50
हजार रुपये का जुर्माना लगाया है और कहा
है कि यह राशि दो जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों से वसूली जाए।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की
बेंच,
जिसमें मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार
शामिल थे, ने कहा –
“सिविल
विवाद में एफआईआर दर्ज करना पूरी तरह गलत है। अब तो इस तरह की याचिकाएं सुप्रीम
कोर्ट में भारी संख्या में आ रही हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के पहले से तय फैसलों का
उल्लंघन है।”
कोर्ट ने यूपी
पुलिस से यह भी कहा कि वे दोषी अधिकारियों पर जुर्माना माफ नहीं कर सकते। उन्हें
ही जुर्माना भरना होगा।
मामला क्या था?
यह मामला कानपुर
के रहने वाले रिखब बिरानी और साधना बिरानी से जुड़ा है। इन लोगों ने
अपना एक गोदाम एक महिला शैली गुप्ता को 1.35 करोड़ में बेचने का मौखिक समझौता किया था। लेकिन गुप्ता ने सिर्फ 19
लाख रुपये दिए और तय समय तक बाकी रकम नहीं दी। बाद में बिरानी
परिवार ने वो गोदाम किसी तीसरे व्यक्ति को बेच दिया।
गुप्ता ने यह कहकर धोखाधड़ी
और धमकी के आरोप में एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश की,
लेकिन स्थानीय अदालत ने दो बार कहा कि ये मामला आपराधिक नहीं,
दीवानी है। फिर भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज
कर दी।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
जब बिरानी परिवार इलाहाबाद
हाईकोर्ट गया तो हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया। इसके बाद
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश पलट दिया और यूपी पुलिस की कार्रवाई को गलत और असंवैधानिक बताया। साथ ही पुलिस पर 50 हजार का जुर्माना लगाया और कहा कि ऐसे मामलों में कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
"सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दीवानी विवादों को आपराधिक
रंग नहीं दिया जा सकता। यह पुलिस की मनमानी और न्यायपालिका के आदेशों का
उल्लंघन है, जो अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"