गुजरात के कच्छ
ज़िले की एक अदालत ने एक पुराने ज़मीन घोटाले में पूर्व IAS
अधिकारी प्रदीप शर्मा और
तीन अन्य अधिकारियों को 5 साल की सख्त जेल
(सश्रम कारावास) की सज़ा सुनाई है।
मामला क्या था?
साल 2004 में, जब प्रदीप शर्मा कच्छ के ज़िलाधिकारी (कलेक्टर) थे, उन्होंने एक निजी कंपनी Saw Pipes Pvt Ltd को सरकारी ज़मीन नियमों को तोड़कर दे दी। इससे सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ।अदालत ने क्या कहा?
- कोर्ट ने कहा कि शर्मा ने ज़मीन
देने के नियमों को नहीं माना।
- उस समय के नियमों के अनुसार,
कलेक्टर सिर्फ 2 हेक्टेयर ज़मीन दे सकता था, लेकिन शर्मा ने इससे ज्यादा
ज़मीन दे दी।
- उन्होंने राज्य सरकार से
अनुमति नहीं ली और ज़मीन देने का आदेश जारी कर दिया।
कौन-कौन दोषी पाया गया?
1. प्रदीप
शर्मा – उस समय के कलेक्टर
2. नटुभाई
देसाई – शहरी योजनाकार
3. नरेंद्र
प्रजापति – तत्कालीन मामलतदार
4. अजीतसिंह
ज़ाला – तत्कालीन रेजिडेंट डिप्टी कलेक्टर
इन चारों को 5
साल की सश्रम कैद और ₹10,000
का जुर्माना लगाया गया।
पहले से ही सज़ा
प्रदीप शर्मा को पहले भी इसी साल जनवरी 2025 में एक अलग भ्रष्टाचार के मामले में 5 साल की सज़ा मिल चुकी है। नई सज़ा उस सज़ा के बाद शुरू होगी।मामला कैसे चला?
- 2011 में पुलिस ने इस
घोटाले पर मुकदमा दर्ज किया था।
- 52 दस्तावेजों
और 18 गवाहों
के बयान कोर्ट में पेश किए गए।
- कोर्ट ने पाया कि अधिकारियों ने मिलकर
नियमों की अनदेखी की, ताकि निजी कंपनी
को फायदा मिले।
मुख्य बातें एक नजर में
🔹 2004 में सरकारी ज़मीन
का गलत आवंटन हुआ।
🔹 नियमों
से ज़्यादा ज़मीन दी गई थी।
🔹 राज्य
सरकार की मंज़ूरी नहीं ली गई थी।
🔹 अदालत
ने चारों को दोषी मानते हुए 5 साल की सज़ा सुनाई।
🔹 इससे
सरकारी खजाने को आर्थिक नुकसान हुआ।