भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 का अध्याय 2 तथ्यों की सुसंगति (Relevancy of Facts) को रेखांकित करता है तथा इस अध्याय में धारा 3 से 50 तक को सम्मिलित किया गया है
भारतीय साक्ष्य
अधिनियम, 2023: धारा 3-विवाद्यक
तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकता है (Evidence
may be given of facts in issue and relevant factss)
किसी वाद या
कार्यवाही में विवाद्यक प्रत्येक तथ्य के अस्तित्व या अनस्तित्व का तथा ऐसे अन्य
तथ्यों का, जो इसके पश्चात सुसंगत घोषित किए गए हैं,
साक्ष्य दिया जा सकेगा, अन्य किसी का नहीं।
स्पष्टीकरण-यह
धारा किसी व्यक्ति को किसी ऐसे तथ्य का साक्ष्य देने के लिए समर्थ नहीं बनाएगी
जिसे साबित करने के लिए वह सिविल प्रक्रिया से संबंधित तत्समय प्रवृत्त विधि के
किसी उपबंध द्वारा अपात्र है।
चित्रण
(क)
A पर B को मार डालने के आशय से उसे डंडे से पीटकर
उसकी हत्या करने का मुकदमा चलाया जाता है।
A के मुकदमे
में निम्नलिखित तथ्य मुद्दागत हैं:—
A ने B को क्लब से हराया;
A द्वारा B की ऐसी पिटाई से मृत्यु कारित करना;
A का B की मृत्यु कारित करने का इरादा।
(ख)
कोई वादी अपने साथ ऐसा बांड नहीं लाता है, जिस पर वह
निर्भर करता है, तथा मामले की पहली सुनवाई में उसे प्रस्तुत
करने के लिए तैयार नहीं रखता है। यह धारा उसे भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार ही कार्यवाही के बाद के चरण में
बांड प्रस्तुत करने या उसकी विषय-वस्तु को साबित करने में सक्षम नहीं बनाती है।
संक्षिप्त विवरण
भारतीय साक्ष्य
अधिनियम,
2023 का अध्याय 2 (तथ्यों की
सुसंगति) न्यायिक कार्यवाही में विवादास्पद तथ्यों (Facts
in Issue) और सुसंगत तथ्यों (Relevant Facts)
की साक्ष्य देने की अनुमति प्रदान करता है। इस अध्याय में धारा 3
से धारा 50 तक के प्रावधान सम्मिलित हैं,
जो यह निर्धारित करते हैं कि किन तथ्यों को साक्ष्य के रूप में
प्रस्तुत किया जा सकता है।
धारा 3:
विवादास्पद तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य
- साक्ष्य का दायरा:
किसी वाद या कार्यवाही में विवादास्पद तथ्यों और अन्य सुसंगत
तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकता है, किन्तु
अन्य तथ्यों का नहीं।
- सीमा:
यह धारा किसी व्यक्ति को ऐसे तथ्य का साक्ष्य देने की अनुमति नहीं देती
जिसे सिविल प्रक्रिया से संबंधित तत्समय प्रवृत्त विधि द्वारा अपात्र
घोषित किया गया हो।
उदाहरण:
1. आपराधिक मामला:
o यदि
A
पर B की हत्या का मुकदमा
चलाया जाता है, तो विवादास्पद तथ्यों में शामिल हो सकते
हैं:
§ A
ने B को मारा।
§ A
द्वारा की गई पिटाई से B की मृत्यु हुई।
§ A
का B को मारने का इरादा था।
2. सिविल मामला:
o यदि
कोई वादी अपने दावे के समर्थन में बांड प्रस्तुत करने में विफल रहता है,
तो यह धारा उसे बाद के चरण में बांड प्रस्तुत करने या उसकी
विषय-वस्तु को साबित करने की अनुमति नहीं देती।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- उद्देश्य:
यह सुनिश्चित करना कि केवल विवादास्पद और सुसंगत तथ्यों का ही साक्ष्य
प्रस्तुत किया जाए।
- सीमा:
अधिनियम के प्रावधान सिविल प्रक्रिया या किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि के
अनुरूप होने चाहिए।
भारतीय साक्ष्य
अधिनियम,
2023 का अध्याय 2 न्यायालयों को
विवादास्पद और सुसंगत तथ्यों के साक्ष्य की अनुमति देता है, जबकि अनावश्यक या अप्रासंगिक तथ्यों को बाहर रखता है। इससे न्यायिक
प्रक्रिया सुसंगत, कुशल और न्यायसंगत बनती है।
भारतीय साक्ष्य
अधिनियम, 2023 – अध्याय 2 से
संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय
साक्ष्य अधिनियम, 2023 का अध्याय 2 क्या
दर्शाता है?
उत्तर:
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 का अध्याय 2
"तथ्यों की सुसंगति" (Relevancy of Facts) को रेखांकित करता है। इसमें धारा 3 से 50
तक के प्रावधान शामिल हैं, जो यह निर्धारित
करते हैं कि किस प्रकार के तथ्यों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता
है।
2. धारा 3
के अनुसार साक्ष्य किन तथ्यों का दिया जा सकता है?
उत्तर:
धारा 3
के तहत किसी वाद या कार्यवाही में विवादास्पद तथ्यों और अन्य
सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकता है, किन्तु अन्य
तथ्यों का नहीं।
3. क्या
किसी व्यक्ति को ऐसे तथ्य का साक्ष्य देने की अनुमति है जो सिविल प्रक्रिया के तहत
अपात्र है?
उत्तर:
नहीं,
धारा 3 के स्पष्टीकरण के अनुसार,
यह अधिनियम किसी व्यक्ति को ऐसे तथ्य का साक्ष्य देने की अनुमति
नहीं देता जिसे सिविल प्रक्रिया से संबंधित तत्समय प्रवृत्त विधि द्वारा अयोग्य
घोषित किया गया हो।
4. विवादास्पद
तथ्यों और सुसंगत तथ्यों में क्या अंतर है?
उत्तर:
- विवादास्पद तथ्य (Facts
in Issue): वे तथ्य जो किसी वाद या
कार्यवाही में सीधे प्रश्न के रूप में उठाए जाते हैं।
- सुसंगत तथ्य (Relevant
Facts): वे तथ्य जो विवादास्पद
तथ्यों को सिद्ध या असिद्ध करने में सहायता करते हैं।
5. आपराधिक
मामलों में विवादास्पद तथ्य कौन से हो सकते हैं?
उत्तर:
उदाहरण के तौर पर, यदि A पर B की हत्या का आरोप है,
तो विवादास्पद तथ्यों में शामिल हो सकते हैं:
- A ने B को मारा।
- A द्वारा की गई पिटाई से
B की मृत्यु हुई।
- A का B को मारने का इरादा था।
6. सिविल
मामलों में सुसंगत तथ्य किस प्रकार लागू होते हैं?
उत्तर:
यदि कोई वादी अपने दावे के समर्थन में बांड प्रस्तुत करने में विफल रहता है,
तो यह धारा उसे बाद के चरण में बांड प्रस्तुत करने या उसकी
विषय-वस्तु को साबित करने की अनुमति नहीं देती।
7. क्या
धारा 3 के तहत विवादास्पद तथ्य और सुसंगत तथ्य दोनों का
साक्ष्य दिया जा सकता है?
उत्तर:
हां,
धारा 3 के तहत विवादास्पद तथ्यों और सुसंगत
तथ्यों दोनों का साक्ष्य दिया जा सकता है, लेकिन अन्य
तथ्यों का नहीं।
8. क्या
न्यायालय उन तथ्यों का साक्ष्य स्वीकार कर सकता है जो सुसंगत नहीं हैं?
उत्तर:
नहीं,
न्यायालय केवल विवादास्पद और सुसंगत तथ्यों का ही साक्ष्य
स्वीकार कर सकता है। अनावश्यक या अप्रासंगिक तथ्यों को साक्ष्य के रूप में
स्वीकार नहीं किया जा सकता।
9. क्या
धारा 3 किसी व्यक्ति को सभी प्रकार के तथ्यों का साक्ष्य
देने की अनुमति देती है?
उत्तर:
नहीं,
धारा 3 सिर्फ विवादास्पद और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य देने की अनुमति देती है और अन्य तथ्यों का नहीं।
10. क्या
धारा 3 के तहत अपराधिक और सिविल दोनों मामलों पर समान रूप से
लागू होती है?
उत्तर:
हां,
धारा 3 आपराधिक और सिविल दोनों प्रकार की
कार्यवाहियों पर समान रूप से लागू होती है।
11. क्या
धारा 3 के अंतर्गत न्यायालय को किसी तथ्य को स्वीकार या
अस्वीकार करने का अधिकार है?
उत्तर:
हां,
न्यायालय के पास यह अधिकार है कि वह किसी तथ्य को स्वीकार या
अस्वीकार कर सकता है यदि वह विवादास्पद या सुसंगत नहीं है।
12. क्या
धारा 3 के तहत प्रमाण के नियम सिविल प्रक्रिया संहिता से
प्रभावित होते हैं?
उत्तर:
हां,
यदि किसी व्यक्ति को सिविल प्रक्रिया से संबंधित तत्समय प्रवृत्त
विधि द्वारा अपात्र घोषित किया गया हो, तो धारा 3
के तहत उसे साक्ष्य देने की अनुमति नहीं मिलेगी।
13. धारा 3
के अंतर्गत आपराधिक मामलों में कौन से तथ्य सुसंगत माने जाते हैं?
उत्तर:
आपराधिक मामलों में सुसंगत तथ्य वे होते हैं जो अपराध की योजना,
इरादा, तैयारी, या
परिणाम से संबंधित हों।
14. क्या
न्यायालय किसी विवादास्पद तथ्य को स्वतः स्वीकार कर सकता है?
उत्तर:
नहीं,
विवादास्पद तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत
करना आवश्यक होता है, जिसे
न्यायालय स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है।
15. क्या
सुसंगत तथ्यों की सूची अधिनियम में निर्दिष्ट है?
उत्तर:
हां,
धारा 3 से धारा 50 तक में सुसंगत तथ्यों की सूची और उनकी व्याख्या दी गई है।
16. क्या
धारा 3 के तहत भविष्य की घटनाओं को सुसंगत माना जा सकता है?
उत्तर:
नहीं,
धारा 3 के तहत भविष्य की घटनाओं को
सुसंगत नहीं माना जाता। साक्ष्य वर्तमान या अतीत के विवादास्पद तथ्यों का
ही दिया जा सकता है।
17. क्या
किसी अन्य कानून के तहत प्रतिबंधित तथ्यों का साक्ष्य धारा 3 के तहत दिया जा सकता है?
उत्तर:
नहीं,
यदि किसी तथ्य को किसी अन्य कानून द्वारा प्रतिबंधित किया
गया हो, तो धारा 3 के तहत उसका साक्ष्य
प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
18. क्या
सिविल प्रक्रिया संहिता, 2023 के तहत अपात्र तथ्य को साक्ष्य
में लाया जा सकता है?
उत्तर:
नहीं,
यदि सिविल प्रक्रिया संहिता, 2023 द्वारा कोई व्यक्ति या तथ्य साक्ष्य देने के लिए अयोग्य घोषित किया
गया हो, तो वह धारा 3 के तहत साक्ष्य
में लाया नहीं जा सकता।
19. क्या
धारा 3 विवादास्पद तथ्यों के अस्तित्व और अनस्तित्व दोनों पर
साक्ष्य देने की अनुमति देती है?
उत्तर:
हां,
धारा 3 के तहत विवादास्पद तथ्यों के
अस्तित्व और अनस्तित्व दोनों पर साक्ष्य दिया जा सकता है।
20. धारा 3
का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
धारा 3
का मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को कुशल, सुसंगत और न्यायसंगत बनाना है। यह केवल विवादास्पद
और सुसंगत तथ्यों को साक्ष्य में शामिल करने की अनुमति देती है और अनावश्यक
तथ्यों को बाहर रखती है।