भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 1 की व्याख्या
“भारतीय न्याय
संहिता, 2023 का अध्याय 1 प्रारभिक (Preliminary) को रेखांकित करता है तथा इस अध्याय में धारा 1 से 3 तक को सम्मिलित किया
गया है”
"धारा 1- संहिता का नाम, प्रारंभ और लागू होना"
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) भारत में दंड कानून से संबंधित एक प्रमुख अधिनियम है, जो भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) का प्रतिस्थापन करता है। इस संहिता के प्रारंभिक प्रावधानों में संक्षिप्त शीर्षक, प्रवृत्ति (प्रभावी होने की तिथि), अनुप्रयोग (प्रवर्तन का क्षेत्र) और इसकी सीमाएँ शामिल हैं। नीचे इन प्रावधानों की विस्तृत व्याख्या दी गई है-
(1) संक्षिप्त शीर्षक (Short Title)
इस
अधिनियम को भारतीय न्याय संहिता, 2023 कहा
जा सकता है।
- इसका अर्थ है कि यह नया दंड विधि
संहिताबद्ध कानून है, जिसे आधिकारिक रूप से "भारतीय न्याय संहिता, 2023" कहा
जाएगा।
- यह Indian
Penal Code, 1860 (IPC) की जगह लेगा।
- "2023"
का उल्लेख यह दर्शाता है कि यह संहिता वर्ष 2023 में पारित की गई थी।
(2) प्रवृत्ति (Commencement or Enactment Date)
यह
उस तारीख को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार,
राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे,
तथा संहिता के विभिन्न उपबंधों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की
जा सकेंगी।
- इसका अर्थ यह है कि यह संहिता तत्काल
प्रभावी नहीं होगी, बल्कि इसे लागू
करने की तिथि भारत सरकार द्वारा अधिसूचना (Notification in Gazette) के माध्यम से घोषित की जाएगी।
- विभिन्न धाराएँ (Sections)
अलग-अलग समय पर लागू की जा सकती हैं, जैसा
कि सरकार उचित समझे।
- यह प्रावधान लचीलेपन को
सुनिश्चित करता है, ताकि संहिता को
चरणबद्ध (Phased Manner) तरीके से लागू किया जा सके।
Note
1.
भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति
दिनांक 25 दिसंबर, 2023 को प्राप्त हुई तथा पाठ का राजपत्र (असाधारण) भाग 2, खण्ड 1,
दिनांक 25-12-2023 पर प्रकाशित ।
2.
दिनांक 1 जुलाई 2024 से
सम्पूर्ण भारत में लागू है, सिवाय धारा 106 की उपधारा (2) के उपबंधों के,
द्वारा का० आ० 850 ( अ ), दिनांक 23.02.2024
(3) संहिता का अनुप्रयोग (Application of the Code)
प्रत्येक
व्यक्ति इस संहिता के उपबंधों के प्रतिकूल प्रत्येक कार्य या लोप के लिए,
जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, दंडनीय होगा,
अन्यथा नहीं।
- इस खंड के अनुसार,
भारतीय न्याय संहिता, 2023 भारत के
भीतर लागू होगी और कोई भी व्यक्ति यदि इसके विपरीत कोई कार्य (अपराध) करता है
या करने से चूकता है (लोप), तो वह इसके तहत दंडनीय
होगा।
- "अन्यथा नहीं"
का अर्थ यह है कि केवल वही कार्य दंडनीय होंगे, जो इस संहिता में अपराध के रूप में परिभाषित हैं।
- "कार्य या
लोप" (Act or Omission) का
अर्थ यह है कि कोई व्यक्ति केवल आपराधिक कार्य करने पर ही नहीं, बल्कि किसी आवश्यक कानूनी कर्तव्य को पूरा न करने पर भी अपराधी माना
जा सकता है।
(4) भारत के बाहर किए गए अपराधों पर प्रवर्तन (Extraterrestrial Jurisdiction)
किसी
व्यक्ति के साथ, जो भारत में तत्समय
प्रवृत्त किसी विधि के अधीन भारत से बाहर किए गए किसी अपराध के लिए विचारण किए
जाने का उत्तरदायी है, भारत से बाहर किए गए किसी कार्य के
लिए इस संहिता के उपबंधों के अनुसार उसी प्रकार व्यवहार किया जाएगा, मानो ऐसा कार्य भारत में किया गया हो।
- इसका अर्थ यह है कि
यदि कोई व्यक्ति भारत के बाहर अपराध करता है, लेकिन वह भारतीय कानून के अंतर्गत भारत में मुकदमे के लिए उत्तरदायी
है, तो उसे इस संहिता के अनुसार दंडित किया जाएगा,
मानो अपराध भारत में हुआ हो।
- यह प्रावधान भारत के न्याय
क्षेत्र (Jurisdiction) को
विस्तारित करता है, ताकि
विदेशी धरती पर किए गए अपराधों पर भी न्यायालय कार्यवाही कर सके।
(5) किन-किन व्यक्तियों पर संहिता लागू होगी?
इस खंड में यह
स्पष्ट किया गया है कि संहिता केवल भारत के भीतर ही नहीं,
बल्कि भारत के बाहर भी कुछ परिस्थितियों में लागू होगी। यह
निम्नलिखित परिस्थितियों में प्रभावी होगी—
(क) भारत के नागरिक द्वारा विदेश में किया गया अपराध:
भारत
के बाहर या उससे परे किसी स्थान पर भारत का कोई नागरिक;
- इसका अर्थ है कि
यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में किसी अपराध को अंजाम देता है,
तो भी वह इस संहिता के अधीन भारत में दंडनीय होगा।
- उदाहरण:
यदि कोई भारतीय व्यक्ति अमेरिका में किसी की हत्या करता है,
तो उस पर भारत में हत्या का मुकदमा चलाया जा सकता है।
(ख) भारत में पंजीकृत किसी जहाज या वायुयान पर किया गया अपराध:
भारत
में पंजीकृत किसी जहाज या वायुयान पर सवार कोई व्यक्ति,
चाहे वह कहीं भी हो;
- यदि कोई अपराध किसी भारतीय
जहाज (Indian Registered Ship) या भारतीय वायुयान (Aircraft) पर होता है,
तो इस संहिता के अनुसार दंड दिया जा सकता है।
- उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट में दुबई से लंदन जा रहा हो और
कोई अपराध करे, तो वह भारतीय कानून के
अधीन आएगा।
(ग) विदेश में रहकर भारत में साइबर अपराध करने वाला व्यक्ति:
भारत
के बाहर या उससे परे किसी भी स्थान पर कोई व्यक्ति भारत में स्थित कंप्यूटर संसाधन
को लक्ष्य बनाकर अपराध करता है।
- यदि कोई विदेशी व्यक्ति भारत
में स्थित कंप्यूटर संसाधनों (Computer Resources) पर साइबर हमला करता है या अन्य साइबर अपराध करता है,
तो वह भी इस संहिता के तहत दंडनीय होगा।
- उदाहरण:
यदि कोई विदेशी हैकर अमेरिका से भारतीय सरकारी वेबसाइट को हैक करता है,
तो वह भारतीय न्याय संहिता के तहत मुकदमे का सामना कर सकता है।
स्पष्टीकरण (Clarification)
"इस धारा में अपराध शब्द के अंतर्गत भारत के बाहर किया गया प्रत्येक कार्य
सम्मिलित है, जो यदि भारत में किया जाता तो इस संहिता के
अधीन दंडनीय होता।"
- इसका अर्थ यह है कि
भारत के बाहर किए गए कार्यों को अपराध तब माना जाएगा,
जब वे भारत में किए जाने पर अपराध माने जाते।
चित्रण (Illustration)
"क, जो भारत का नागरिक है, भारत
के बाहर या उससे परे किसी स्थान पर हत्या करता है, तो उस पर
भारत में किसी भी स्थान पर, जहां वह पाया जाए, हत्या का मुकदमा चलाया जा सकता है और उसे दोषसिद्ध किया जा सकता है।"
- यह एक व्याख्यात्मक उदाहरण है,
जो बताता है कि यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में हत्या करता
है, तो भारत में भी उसे गिरफ्तार कर मुकदमा
चलाया जा सकता है।
(6) संहिता की सीमाएँ (Limitations of the Code)
इस
संहिता की कोई बात भारत सरकार की सेवा में कार्यरत अधिकारियों,
सैनिकों, नौसैनिकों या वायुसैनिकों के विद्रोह
और पराजय को दण्डित करने वाले किसी अधिनियम के उपबंधों या किसी विशेष या स्थानीय
कानून के उपबंधों पर प्रभाव नहीं डालेगी।
- इसका अर्थ यह है कि यह संहिता भारतीय
सेना, नौसेना, वायुसेना और सरकारी अधिकारियों पर लागू होने वाले विशेष कानूनों को
प्रभावित नहीं करेगी।
- सैन्य अपराधों और सरकारी कार्यों
से संबंधित कानून अलग अधिनियमों द्वारा विनियमित होंगे।
- उदाहरण:
यदि कोई भारतीय सैनिक युद्ध के दौरान अनुशासनहीनता करता है,
तो उस पर सेना अधिनियम, 1950 के तहत
मुकदमा चलेगा, न कि इस संहिता के तहत।
निष्कर्ष
भारतीय न्याय
संहिता,
2023 का यह प्रारंभिक भाग स्पष्ट करता है कि इसका लागू क्षेत्र
भारत के भीतर और कुछ मामलों में भारत के बाहर भी फैला हुआ है। यह संहिता भारतीय
नागरिकों, विदेशी अपराधियों, साइबर
अपराधियों और भारत से संबंधित मामलों पर व्यापक रूप से
लागू होती है।
भारतीय न्याय संहिता, 2023: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय
न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) क्या है?
उत्तर:
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) भारत में दंड
कानून से संबंधित एक प्रमुख अधिनियम है, जो भारतीय दंड
संहिता, 1860 (IPC) का स्थान लेता है। इसमें आधुनिक अपराधों
को शामिल किया गया है और कानूनी प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए बदलाव किए
गए हैं।
2. भारतीय
न्याय संहिता, 2023 कब लागू होगी?
उत्तर:
यह संहिता केंद्र सरकार द्वारा राजपत्र में अधिसूचना जारी करने के बाद लागू होगी।
सरकार को अलग-अलग प्रावधानों के लिए भिन्न-भिन्न तिथियाँ निर्धारित करने का अधिकार
है।
3. भारतीय
न्याय संहिता, 2023 का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction) क्या है?
उत्तर:
यह संहिता पूरे भारत में लागू होगी और इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- भारत के भीतर किए गए सभी अपराध।
- भारतीय नागरिक द्वारा विदेश में
किए गए अपराध।
- भारतीय जहाज या वायुयान पर किए गए
अपराध।
- विदेश से भारत में साइबर अपराध
करने वाले व्यक्ति।
4. क्या
भारतीय न्याय संहिता, 2023 भारत के बाहर किए गए अपराधों पर
लागू होती है?
उत्तर:
हाँ,
यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में कोई अपराध करता है, तो उसे भारत में इस संहिता के तहत दंडित किया जा सकता है। इसके अलावा,
यदि कोई व्यक्ति भारत में स्थित कंप्यूटर संसाधन को लक्ष्य बनाकर
साइबर अपराध करता है, तो वह भी दंडनीय होगा।
5. संहिता
के तहत "संक्षिप्त शीर्षक" का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है कि इस नए कानून को आधिकारिक रूप से "भारतीय न्याय संहिता,
2023" कहा जाएगा, और यह भारतीय दंड
संहिता, 1860 (IPC) का प्रतिस्थापन करेगा।
6. "प्रवृत्ति"
(Commencement) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है कि यह संहिता उसी दिन से प्रभावी होगी, जिसे
केंद्र सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा घोषित करेगी। सरकार विभिन्न धाराओं को
अलग-अलग समय पर लागू कर सकती है।
7. क्या
भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत सभी अपराध समान रूप से
दंडनीय हैं?
उत्तर:
नहीं,
इस संहिता में अपराधों की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग दंड निर्धारित
किए गए हैं। इसमें कठोर कारावास, साधारण कारावास, जुर्माना और सामुदायिक सेवा जैसी सजाएँ शामिल हैं।
8. क्या यह
संहिता भारतीय सेना और सरकारी अधिकारियों पर भी लागू होती है?
उत्तर:
नहीं,
इस संहिता की कोई भी बात भारतीय सेना, नौसेना,
वायुसेना और सरकारी अधिकारियों पर लागू होने वाले विशेष कानूनों को
प्रभावित नहीं करेगी। ऐसे मामलों में अलग-अलग अधिनियम लागू होंगे।
9. क्या
विदेशी व्यक्ति भी इस संहिता के तहत दंडनीय हो सकते हैं?
उत्तर:
हाँ,
यदि कोई विदेशी व्यक्ति भारत में कोई अपराध करता है या भारत में
स्थित कंप्यूटर संसाधन को लक्ष्य बनाकर साइबर अपराध करता है, तो उसे इस संहिता के तहत दंडित किया जा सकता है।
10. यदि कोई
भारतीय नागरिक विदेश में हत्या करता है, तो क्या उसे भारत
में दंडित किया जा सकता है?
उत्तर:
हाँ,
यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में हत्या करता है, तो भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत उसे भारत में
गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया जा सकता है और दंड दिया जा सकता है।
11. क्या
भारतीय न्याय संहिता, 2023 में साइबर अपराधों के लिए विशेष
प्रावधान हैं?
उत्तर:
हाँ,
इस संहिता में साइबर अपराधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया
है। यदि कोई व्यक्ति भारत में स्थित कंप्यूटर संसाधनों को नुकसान पहुँचाता है या
किसी प्रकार का साइबर अपराध करता है, तो उसे इस संहिता के
तहत दंडित किया जाएगा।
12. संहिता
की "सीमाएँ" (Limitations) क्या हैं?
उत्तर:
यह संहिता भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना और सरकारी अधिकारियों से संबंधित विशेष या स्थानीय कानूनों को
प्रभावित नहीं करेगी। इन मामलों में अलग-अलग अधिनियम लागू होंगे।
13. क्या इस
संहिता में नए अपराध जोड़े गए हैं?
उत्तर:
हाँ,
इसमें झपटमारी, संगठित अपराध, सामुदायिक सेवा की सजा और डिजिटल अपराधों को विशेष रूप से परिभाषित किया
गया है।
14. क्या
भारतीय न्याय संहिता, 2023 में सजा के प्रावधान IPC से अलग हैं?
उत्तर:
हाँ,
इसमें कुछ अपराधों के लिए सजा को संशोधित किया गया है, जैसे कि झपटमारी के लिए अधिकतम 3 साल की सजा
निर्धारित की गई है। इसके अलावा, छोटे अपराधों के लिए
सामुदायिक सेवा का प्रावधान भी जोड़ा गया है।
15. क्या
सरकार किसी विशेष अपराध के लिए अलग तिथि पर प्रावधान लागू कर सकती है?
उत्तर:
हाँ,
सरकार के पास यह अधिकार है कि वह भारतीय न्याय संहिता, 2023 की अलग-अलग धाराओं को अलग-अलग तिथियों पर लागू कर सके।
“भारतीय न्याय
संहिता, 2023 दंड कानून का एक आधुनिक रूप है,
जो अपराधों के दंड में पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करता
है। यह संहिता केवल भारत में ही नहीं, बल्कि भारत के बाहर
किए गए कुछ अपराधों पर भी लागू होती है, जिससे भारतीय
नागरिकों और साइबर अपराधों पर अधिक नियंत्रण संभव हो सकेगा।“