भारतीय न्याय
संहिता की धारा 13 क्या है?
“भारतीय न्याय संहिता, 2023 का अध्याय 2 दंडों के विषय में (Of Punishments) : धारा 13- पूर्व दोषसिद्धि के बाद कुछ अपराधों के लिए बढ़ी हुई सज़ा
जो कोई,
भारत में किसी न्यायालय द्वारा, इस संहिता
के अध्याय 10 या अध्याय 17 के अधीन तीन वर्ष या उससे अधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय किसी
अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराए जाने पर, उन अध्यायों में से
किसी के अधीन समान अवधि के कारावास से दण्डनीय किसी अपराध का दोषी होगा, वह प्रत्येक ऐसे पश्चातवर्ती अपराध के लिए आजीवन कारावास से,
या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय होगा।
संक्षिप्त विवरण
भारतीय न्याय
संहिता की धारा 13
में उन मामलों में अधिक सज़ा का प्रावधान है जहाँ किसी व्यक्ति को पहले अध्याय X
या अध्याय XVII के तहत
किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जा चुका है। यदि व्यक्ति उसी अध्याय के तहत कोई और
अपराध करता है, तो उसे अपराध की गंभीरता के आधार पर आजीवन
कारावास या दस साल तक की सज़ा हो सकती है।
उदाहरण
यदि किसी व्यक्ति
को अध्याय X के तहत
किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है और तीन वर्ष या उससे अधिक कारावास की सजा
सुनाई गई है, और बाद में वह अध्याय XVII
के तहत कोई अन्य अपराध करता है, तो उस व्यक्ति
को अगले अपराध के लिए आजीवन कारावास या दस वर्ष तक के कारावास की सजा हो
सकती है।
सारांश
भारतीय न्याय
संहिता की धारा 13 में
यह प्रावधान है कि अध्याय X या XVII के अंतर्गत पूर्व में दोषसिद्ध व्यक्ति को इन अध्यायों के अंतर्गत किसी
अन्य अपराध के लिए आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की सजा सहित कठोर दंड का सामना
करना पड़ेगा।
भारतीय न्याय
संहिता की धारा 13
से संबंधित (FAQs)
प्रश्न 1:
भारतीय न्याय संहिता की धारा 13 क्या है?
उत्तर:
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 13 एक व्यक्ति को दी जाने वाली बढ़ी हुई सजा से संबंधित है, जो पहले से ही बीएनएस के अध्याय X (सार्वजनिक जीवन
के विरुद्ध अपराध) या अध्याय XVII (संपत्ति से संबंधित
अपराध) के तहत दोषी ठहराया गया हो और बाद में फिर से उन अध्यायों के तहत कोई अपराध
करे।
प्रश्न 2:
धारा 13 किन अपराधों पर लागू होती है?
उत्तर:
यह धारा उन अपराधों पर लागू होती है जो बीएनएस के अध्याय X
(सार्वजनिक शांति, सरकारी कार्यों में बाधा
आदि) और अध्याय XVII (चोरी, डकैती, धोखाधड़ी, हेराफेरी
आदि) के अंतर्गत आते हैं, और जिनके लिए न्यूनतम तीन वर्ष या
उससे अधिक की सजा का प्रावधान है।
प्रश्न 3:
धारा 13 के तहत सजा कब बढ़ाई जाती है?
उत्तर:
यदि कोई व्यक्ति पहले से ही अध्याय X या XVII
के तहत किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है और तीन वर्ष या अधिक
की सजा पा चुका है, और वह फिर से उन्हीं अध्यायों के अंतर्गत
कोई अपराध करता है, तो उसके लिए सजा को बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 4:
धारा 13 के तहत सजा कितनी हो सकती है?
उत्तर:
इस धारा के अंतर्गत दोषी व्यक्ति को आजीवन कारावास या दस वर्ष तक के
कारावास से दंडित किया जा सकता है।
प्रश्न 5:
क्या धारा 13 का मतलब यह है कि एक बार
दोषसिद्धि हो जाने के बाद हर अपराध पर अधिकतम सजा मिलेगी?
उत्तर:
नहीं,
यह सजा न्यायालय के विवेक पर निर्भर करेगी। यदि कोई व्यक्ति बाद में
भी अपराध करता है, तो अपराध की प्रकृति और परिस्थितियों को
देखते हुए सजा बढ़ाई जा सकती है, लेकिन यह अनिवार्य रूप से
अधिकतम नहीं होगी।
प्रश्न 6:
क्या यह प्रावधान न्यायिक विवेक को सीमित करता है?
उत्तर:
नहीं,
न्यायालय को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता होगी कि क्या किसी
व्यक्ति को धारा 13 के तहत अधिक कठोर सजा दी जानी चाहिए या
नहीं।
प्रश्न 7:
यदि किसी व्यक्ति को पहले अध्याय X के तहत
दोषी ठहराया गया है, और बाद में वह अध्याय XVII के तहत कोई अपराध करता है, तो क्या धारा 13 लागू होगी?
उत्तर:
हां,
यदि किसी व्यक्ति को पहले अध्याय X या
अध्याय XVII के तहत दोषी ठहराया गया था और तीन वर्ष या
अधिक की सजा दी गई थी, और वह बाद में उन्हीं अध्यायों के
अंतर्गत कोई अपराध करता है, तो धारा 13 के तहत बढ़ी हुई सजा का प्रावधान लागू होगा।
प्रश्न 8:
क्या धारा 13 पहली बार अपराध करने वालों पर
लागू होती है?
उत्तर:
नहीं,
यह धारा केवल उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो पहले से ही बीएनएस
के अध्याय X या XVII के तहत
दोषी ठहराए गए हैं और जिन्होंने तीन साल या अधिक की सजा
प्राप्त की है। पहली बार अपराध करने वालों के लिए यह धारा लागू नहीं होती।
प्रश्न 9:
क्या न्यायालय को सजा देने में कोई छूट मिल सकती है?
उत्तर:
हां,
न्यायालय अपराध की गंभीरता, परिस्थितियों और
अभियुक्त के आचरण को ध्यान में रखते हुए सजा की सीमा तय कर सकता है।
प्रश्न 10:
धारा 13 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस धारा का मुख्य उद्देश्य पुनरावृत्ति अपराधों (repeat
offenses) को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि
पहले से अपराध कर चुके व्यक्तियों को कठोर दंड मिले, ताकि वे
अपराध से दूर रहें।
उदाहरण
1. उदाहरण
1:
o किसी
व्यक्ति को अध्याय X के
तहत अपराध करने पर चार साल की सजा हुई।
o जेल
से छूटने के बाद वह अध्याय X या अध्याय
XVII के अंतर्गत फिर से अपराध
करता है।
o अब,
उसके लिए आजीवन कारावास या दस वर्ष तक के कारावास की सजा हो
सकती है।
2. उदाहरण
2:
o किसी
व्यक्ति ने चोरी (अध्याय XVII) के अपराध में तीन साल की सजा काटी।
o बाद
में वह धोखाधड़ी (अध्याय XVII) का अपराध करता है।
o अब,
उसे कठोर सजा (आजन्म कारावास या दस
वर्ष तक का कारावास) मिल सकती है।
"भारतीय न्याय
संहिता की धारा 13 उन अपराधियों के लिए सख्त
प्रावधान करती है जो पहले से ही अध्याय X या XVII
के अंतर्गत दोषी ठहराए जा चुके हैं और फिर से उन्हीं अध्यायों के
तहत अपराध करते हैं। यह धारा पुनरावृत्ति अपराधों को रोकने और समाज में
कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक निवारक उपाय (deterrent
measure) के रूप में कार्य करती है।"