प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 21): एक संवैधानिक और कानूनी विश्लेषण।
परिचय
भारतीय संविधान का अनुच्छेद
21
(Article 21) "प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता" से संबंधित
सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकारों में से एक है।
यह अनुच्छेद नागरिकों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान
करता है और यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता और गरिमा
से वंचित न हो।
अनुच्छेद 21:
"किसी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा।"
यह अनुच्छेद हर
नागरिक के सम्मानजनक जीवन, स्वतंत्रता, गरिमा और कानूनी सुरक्षा की गारंटी देता है।
समय के साथ भारतीय न्यायपालिका ने इस अनुच्छेद की परिभाषा को विस्तृत करते हुए
इसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, गोपनीयता, गरिमा और
निष्पक्ष न्याय सहित कई क्षेत्रों तक विस्तारित कर दिया है।
इस लेख में हम:-
अनुच्छेद 21 का गहन विश्लेषण करेंगे,
इसके कानूनी पहलुओं, ऐतिहासिक फैसले, सीमाएँ और इससे जुड़े विवादों को विस्तार से समझेंगे।
भारतीय संविधान में
अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत
स्वतंत्रता का अधिकार
✅ अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी
🔹 यह अनुच्छेद
प्रत्येक व्यक्ति को "जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता" का अधिकार प्रदान
करता है।
🔹 यह
अधिकार केवल भारतीय नागरिकों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत
में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति (विदेशियों सहित) पर लागू होता है।
🔹 कोई
भी व्यक्ति केवल विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही अपने जीवन और
स्वतंत्रता से वंचित किया जा सकता है।
🔹उदाहरण:
✔ यदि
किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे उचित कानूनी
प्रक्रिया के तहत ही हिरासत में रखा जा सकता है।
✔ किसी को
भी बिना उचित कारण और कानूनी प्रक्रिया के मारपीट करना या मौत की सजा देना
अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
अनुच्छेद 21
का व्यापक विस्तार
संविधान का अनुच्छेद
21
(प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार)
भारतीय नागरिकों को न केवल जीवन जीने का अधिकार देता है,
बल्कि एक गरिमापूर्ण जीवन जीने की गारंटी भी प्रदान करता है।
समय के साथ, भारतीय न्यायपालिका ने इस अनुच्छेद
की व्याख्या को व्यापक बनाया है और इसे न्याय, स्वास्थ्य, पर्यावरण, आवास,
भोजन, चिकित्सा, और
गोपनीयता सहित कई पहलुओं से जोड़ा है।
1️.गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार
क्या कहता है
अनुच्छेद 21?
✅ "जीवन" का मतलब
केवल जीवित रहना नहीं है, बल्कि इज्जत और सम्मान के साथ
जीने का अधिकार भी इसमें शामिल है।
✅ किसी भी
व्यक्ति को अपमानजनक, अमानवीय और क्रूर व्यवहार से बचाने की
गारंटी दी गई है।
✅ गरिमा का
तात्पर्य यह भी है कि राज्य नागरिकों की सामाजिक और आर्थिक भलाई के लिए प्रयास
करेगा।
⚖️ महत्त्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय
🟢 Maneka Gandhi v. Union of India
(1978)
🔹इस
केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "जीवन"
का अर्थ केवल शारीरिक अस्तित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि
गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार भी इसमें शामिल है।
🔹किसी
भी व्यक्ति को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के पासपोर्ट से वंचित करना अनुच्छेद 21
का उल्लंघन होगा।
🔹उदाहरण:
✔ यदि कोई व्यक्ति मानसिक
या शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, तो यह उसके
गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा।
✔ बाल
श्रम, मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी और
जातिगत भेदभाव अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माने जाते हैं।
✔ कैदियों
को जेल में उचित भोजन, स्वास्थ्य सुविधा और गरिमामय व्यवहार
मिलना चाहिए, अन्यथा यह उनके जीवन के अधिकार का हनन होगा।
2️.निष्पक्ष न्याय और सुनवाई का अधिकार
क्या कहता है
अनुच्छेद 21?
✅ हर नागरिक को न्याय पाने
और अपनी बात कहने का पूरा अधिकार होना चाहिए।
✅ किसी भी
व्यक्ति को बिना सुनवाई के दंडित नहीं किया जा सकता।
✅ गरीब और
असहाय व्यक्तियों को भी कानूनी सहायता मिलनी चाहिए।
⚖️ महत्त्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय
🟢 Hussainara Khatoon v. State of
Bihar (1979)
🔹कोर्ट
ने कहा कि "तेज़ और निष्पक्ष न्याय" हर
व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।
🔹इस
फैसले के बाद भारत में हजारों गरीब और अंडर-ट्रायल कैदियों को रिहा किया गया।
🔹उदाहरण:
✔ अगर किसी व्यक्ति को झूठे
आरोप में बिना सुनवाई के जेल में रखा जाता है, तो यह
अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा।
✔ यदि कोई
गरीब व्यक्ति वकील का खर्च वहन नहीं कर सकता, तो सरकार उसे
मुफ्त कानूनी सहायता देगी।
✔ "फर्जी
एनकाउंटर" करने वाली पुलिस पर अनुच्छेद 21 के उल्लंघन
के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
3️.स्वास्थ्य और स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार
क्या कहता है
अनुच्छेद 21?
✅ स्वस्थ जीवन जीने के लिए
स्वच्छ पर्यावरण और प्रदूषण मुक्त हवा-पानी आवश्यक है।
✅ किसी भी
व्यक्ति को विषैले पर्यावरण में रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
⚖️ महत्त्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय
🟢 Subhash Kumar v. State of Bihar
(1991)
🔹सुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि "प्रदूषण से मुक्त
वातावरण" भी जीवन के अधिकार का हिस्सा है और सरकार को इसे सुनिश्चित करना
होगा।
🔹उदाहरण:
✔ अगर कोई उद्योग रसायनों
को नदी में छोड़कर जल को जहरीला बना देता है, तो यह नागरिकों
के जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा।
✔ यदि कोई
सरकार साफ पानी और सफाई व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराती है, तो
नागरिक इसे चुनौती दे सकते हैं।
4️.भोजन और आवास का अधिकार
क्या कहता है
अनुच्छेद 21?
✅ बिना भोजन और आवास के
गरिमापूर्ण जीवन संभव नहीं है।
✅ हर
नागरिक को रहने के लिए एक सम्मानजनक स्थान और पर्याप्त भोजन मिलना चाहिए।
⚖️ महत्त्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय
🟢 Chameli Singh v. State of U.P.
(1996)
🔹सुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि "आवास का अधिकार"
जीवन के अधिकार का एक अनिवार्य हिस्सा है।
🔹सरकार
को बेघर लोगों के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए।
🔹उदाहरण:
✔ यदि किसी गरीब व्यक्ति को
भूखा रहने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह जीवन के अधिकार
का उल्लंघन होगा।
✔ सरकार
की जिम्मेदारी है कि वह बेघर लोगों के लिए रैन बसेरे और सार्वजनिक आवासीय योजनाएँ
बनाए।
5️.चिकित्सा और उपचार का अधिकार
क्या कहता है
अनुच्छेद 21?
✅ हर व्यक्ति को चिकित्सा
सुविधाएँ मिलनी चाहिए, चाहे वह गरीब हो या अमीर।
✅ राज्य
की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों को अच्छे अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान
करे।
⚖️ महत्त्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय
🟢 Paschim Banga Khet Mazdoor Samity
v. State of West Bengal (1996)
🔹सुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि "राज्य सरकार की
जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों को सस्ती और सुलभ चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करे"।
🔹उदाहरण:
✔ अगर किसी सरकारी अस्पताल
में मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया जाता है और उसकी मौत हो जाती है, तो यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा।
✔ सरकार
को गरीबों को मुफ्त दवा और स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए।
6️.प्राइवेसी (गोपनीयता) का अधिकार
क्या कहता है
अनुच्छेद 21?
✅ हर नागरिक को अपने
व्यक्तिगत जीवन की गोपनीयता का अधिकार प्राप्त है।
✅ बिना
अनुमति किसी की निजी जानकारी सार्वजनिक करना अवैध है।
⚖️ महत्त्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय
🟢 Justice K.S. Puttaswamy v. Union
of India (2017)
🔹सुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि "गोपनीयता (Privacy)
भी जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक अनिवार्य हिस्सा है"।
🔹उदाहरण:
✔ यदि सरकार नागरिकों की
निजी जानकारी (जैसे बैंक अकाउंट, मोबाइल डेटा) को बिना उनकी
सहमति के साझा करती है, तो यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा।
✔ किसी
व्यक्ति के फोन कॉल या मैसेज को सरकार या निजी कंपनियाँ बिना अनुमति के रिकॉर्ड
नहीं कर सकतीं।
⚖️ अनुच्छेद 21 से जुड़े महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले
🟢 Maneka Gandhi v. Union
of India (1978)
🔹इस फैसले में सुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 केवल
"जीने" तक सीमित नहीं है, बल्कि "गरिमापूर्ण
जीवन" भी इसमें शामिल है।
🟢 Hussainara Khatoon v.
State of Bihar (1979)
🔹इस फैसले में कोर्ट ने कहा
कि तेज़ न्यायिक प्रक्रिया भी जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है।
🟢 Olga Tellis v. Bombay
Municipal Corporation (1985)
🔹इस फैसले में सुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि रोज़गार और आजीविका भी जीवन का अधिकार है।
🟢 Vishaka v. State of
Rajasthan (1997)
🔹इस फैसले में सुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा भी जीवन के अधिकार
का हिस्सा है।
🟢 Justice K.S. Puttaswamy
v. Union of India (2017)
🔹इस ऐतिहासिक फैसले में
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोपनीयता (Privacy) भी
जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है।
अनुच्छेद 21
की सीमाएँ और अपवाद
🟠 मृत्युदंड
(Death Penalty)
🔹अनुच्छेद 21
"विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया" के अनुसार मृत्युदंड की
अनुमति देता है, लेकिन यह दुर्लभतम मामलों (Rarest of
the Rare) में ही दी जानी चाहिए।
🔹Bachan
Singh v. State of Punjab (1980) – कोर्ट ने
कहा कि मृत्युदंड केवल दुर्लभतम मामलों में ही दिया जाना चाहिए।
🟠 आपातकाल के
दौरान अनुच्छेद 21 का निलंबन
🔹आपातकाल (Emergency)
के दौरान अनुच्छेद 21 को अस्थायी
रूप से निलंबित किया जा सकता है।
🔹ADM
Jabalpur v. Shivkant Shukla (1976) – कोर्ट ने
कहा कि आपातकाल के दौरान सरकार जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को निलंबित कर
सकती है।
निष्कर्ष
🔹 अनुच्छेद 21 भारतीय नागरिकों को "जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता" का अधिकार
प्रदान करता है, जो केवल जीवित रहने तक सीमित नहीं है,
बल्कि गरिमापूर्ण जीवन को भी शामिल करता है।
🔹 यह
अधिकार निष्पक्ष न्याय, स्वास्थ्य, पर्यावरण, आजीविका, शिक्षा,
गोपनीयता, महिला सुरक्षा, और गरिमा जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करता
है।
🔹 भारतीय
न्यायपालिका ने इस अनुच्छेद की परिभाषा को व्यापक बनाते हुए नागरिकों के अधिकारों
की सुरक्षा को और मजबूत किया है।
🔹 हालाँकि,
आपातकाल और मृत्युदंड जैसे कुछ मामलों में इस अधिकार पर कुछ सीमाएँ
लगाई जा सकती हैं।
👉 “अनुच्छेद
21 भारतीय संविधान का सबसे महत्वपूर्ण
मौलिक अधिकार है, जो प्रत्येक व्यक्ति को एक सम्मानजनक और
स्वतंत्र जीवन जीने की गारंटी देता है।“
अक्सर पूछे जाने
वाले प्रश्न (FAQs) – अनुच्छेद 21 (प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार)
1️. अनुच्छेद
21
क्या है और यह किसे संरक्षण प्रदान करता है?
✅ अनुच्छेद 21 भारतीय संविधान का एक मौलिक अधिकार है, जो हर
व्यक्ति को "जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता" की सुरक्षा प्रदान करता है।
✅ यह केवल
भारतीय नागरिकों पर ही नहीं, बल्कि भारत में रहने वाले
सभी व्यक्तियों (विदेशियों सहित) पर भी लागू होता है।
✅ इसके तहत
किसी भी व्यक्ति को केवल विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही जीवन या
स्वतंत्रता से वंचित किया जा सकता है।
2️. क्या
अनुच्छेद 21 केवल जीवित रहने के अधिकार
तक सीमित है?
✅ नहीं, अनुच्छेद 21 का दायरा बहुत व्यापक है।
✅ "जीवन"
का अर्थ केवल सांस लेना नहीं, बल्कि गरिमापूर्ण और सम्मानजनक
जीवन जीने का अधिकार भी इसमें शामिल है।
✅ सुप्रीम
कोर्ट ने Maneka Gandhi v. Union of India (1978) में
कहा कि "जीवन" का अर्थ सम्मानजनक और गरिमापूर्ण
जीवन जीने का अधिकार भी है।
📌 उदाहरण:
✔ बिना
भोजन, आवास, स्वच्छ पानी और स्वास्थ्य
सेवाओं के कोई व्यक्ति गरिमापूर्ण जीवन नहीं जी सकता, इसलिए
ये सब अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आते हैं।
✔ यदि
किसी व्यक्ति को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के गिरफ्तार किया जाता है, तो यह उसके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
3️. क्या
अनुच्छेद 21 में निष्पक्ष सुनवाई और
त्वरित न्याय का अधिकार शामिल है?
✅ हाँ, अनुच्छेद 21 में निष्पक्ष सुनवाई (Fair
Trial) और त्वरित न्याय (Speedy Trial) का
अधिकार शामिल है।
✅ सुप्रीम
कोर्ट ने Hussainara Khatoon v. State of Bihar (1979) में कहा कि निष्पक्ष और त्वरित न्याय हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।
✅ किसी भी
व्यक्ति को अनिश्चित समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता और उसे अपनी बात रखने का
पूरा अवसर मिलना चाहिए।
📌 उदाहरण:
✔ यदि कोई
व्यक्ति कई सालों तक बिना मुकदमे के जेल में रहता है, तो यह
अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा।
✔ अगर
किसी आरोपी को कानूनी सहायता नहीं मिलती है, तो यह उसके जीवन
और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होगा।
4️. क्या
स्वास्थ्य और स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार अनुच्छेद 21
में शामिल है?
✅ हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि "स्वास्थ्य और स्वच्छ पर्यावरण"
गरिमापूर्ण जीवन का हिस्सा है।
✅ Subhash Kumar v.
State of Bihar (1991) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "प्रदूषण से मुक्त पर्यावरण" भी जीवन के अधिकार का हिस्सा है।
📌 उदाहरण:
✔ अगर कोई
फैक्ट्री जहरीला कचरा नदी में छोड़कर लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाती है,
तो इसे अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के रूप में
देखा जाएगा।
✔ अगर कोई
सरकार नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं कराती, तो इसे
चुनौती दी जा सकती है।
5️. क्या
भोजन और आवास का अधिकार भी अनुच्छेद 21 में
शामिल है?
✅ हाँ, भोजन और आवास भी जीवन के अधिकार का एक अनिवार्य हिस्सा है।
✅ Chameli Singh v.
State of U.P. (1996) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "आवास का अधिकार" जीवन के अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
📌 उदाहरण:
✔ अगर
सरकार झुग्गी-बस्तियों को हटाती है लेकिन पुनर्वास की कोई योजना नहीं बनाती,
तो यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा।
✔ अगर
किसी व्यक्ति को इतनी गरीबी में छोड़ दिया जाए कि वह भूखा मर जाए, तो यह उसके जीवन के अधिकार का हनन होगा।
6️. क्या
सरकार नागरिकों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए बाध्य है?
✅ हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों को
उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करे।
✅ Paschim Banga Khet
Mazdoor Samity v. State of West Bengal (1996) – कोर्ट ने कहा
कि "चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व
है"।
📌 उदाहरण:
✔ अगर
किसी सरकारी अस्पताल में मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया जाता है और उसकी
मृत्यु हो जाती है, तो यह अनुच्छेद 21 का
उल्लंघन होगा।
✔ अगर कोई
मरीज आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा सकता और सरकार उसे चिकित्सा सुविधा नहीं
देती, तो यह जीवन के अधिकार का हनन होगा।
7️. क्या
किसी व्यक्ति की निजी जानकारी की सुरक्षा (Privacy) अनुच्छेद 21 के तहत आती है?
✅ हाँ, "निजता का अधिकार" (Right to Privacy) अनुच्छेद 21
का हिस्सा है।
✅ Justice K.S.
Puttaswamy v. Union of India (2017) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
"गोपनीयता का अधिकार" जीवन और व्यक्तिगत
स्वतंत्रता का एक अनिवार्य हिस्सा है।
📌 उदाहरण:
✔ अगर कोई
सरकारी एजेंसी किसी व्यक्ति की निजी जानकारी (बैंक डिटेल्स, मोबाइल
डेटा) उसकी सहमति के बिना साझा करती है, तो यह अनुच्छेद 21
का उल्लंघन होगा।
✔ अगर
किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत तस्वीरें या निजी डेटा उसकी अनुमति के बिना ऑनलाइन लीक
किया जाता है, तो यह उसके जीवन के अधिकार का हनन होगा।
8️. क्या
अनुच्छेद 21 के तहत मृत्युदंड (Death
Penalty) दिया जा सकता है?
✅ हाँ, लेकिन केवल "दुर्लभतम मामलों (Rarest of the Rare
Cases)" में ही।
✅ Bachan Singh v. State
of Punjab (1980) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मृत्युदंड केवल
तभी दिया जा सकता है जब अपराध अत्यंत गंभीर और समाज के लिए खतरनाक हो।
📌 उदाहरण:
✔ आतंकवाद,
जघन्य बलात्कार और निर्मम हत्या के मामलों में मृत्युदंड दिया जा
सकता है।
✔ लेकिन
अगर मृत्युदंड देने से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, तो यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा।
9️. क्या
सरकार आपातकाल (Emergency) के दौरान अनुच्छेद
21 को निलंबित कर सकती है?
✅ हाँ, आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 21 को अस्थायी रूप से
निलंबित किया जा सकता था, लेकिन अब इसकी सुरक्षा को मजबूत
किया गया है।
✅ ADM Jabalpur v.
Shivkant Shukla (1976) – इस फैसले में कहा गया था कि आपातकाल
के दौरान सरकार जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को निलंबित कर सकती है।
✅ हालाँकि,
44वें संवैधानिक संशोधन (1978) के बाद,
अब अनुच्छेद 21 को आपातकाल में भी निलंबित
नहीं किया जा सकता।
10. क्या यह अधिकार केवल सरकार
के खिलाफ लागू होता है?
✅ नहीं, अनुच्छेद 21 सरकार के साथ-साथ निजी व्यक्तियों और
संस्थानों पर भी लागू होता है।
✅ अगर कोई
निजी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता को खतरे में डालता है,
तो भी यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माना जाएगा।
📌 उदाहरण:
✔ अगर कोई
निजी कंपनी किसी कर्मचारी को अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर करती
है, तो यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा।
✔ मानव
तस्करी, बंधुआ मजदूरी और घरेलू हिंसा भी जीवन के अधिकार का
हनन मानी जाती हैं।
विशेष कथन
✅ अनुच्छेद 21 भारतीय संविधान का सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, जो हर व्यक्ति को सम्मानजनक, सुरक्षित और
स्वतंत्र जीवन जीने की गारंटी देता है।
✅ यह न्याय,
स्वास्थ्य, शिक्षा, गोपनीयता,
भोजन, आवास और पर्यावरण जैसे कई महत्वपूर्ण अधिकारों को कवर करता है।
✅ सरकार
और नागरिकों को इस मौलिक अधिकार की रक्षा करनी चाहिए और इसके प्रभावी क्रियान्वयन
की दिशा में कार्य करना चाहिए।