मुख्य बिंदु:
- सीजेआई बीआर गवई ने
चेतावनी दी है कि न्याय प्रणाली में तकनीक को अत्यधिक महत्व देना जनता के
न्यायपालिका पर भरोसे को कम कर सकता है।
- उन्होंने जोर दिया कि
तकनीक का उपयोग न्याय के लिए एक साधन के रूप में होना चाहिए,
न कि मानवीय दृष्टिकोण को नजरअंदाज करते हुए।
- यह चेतावनी 4
मई 2025 को लंदन में ब्रिटिश इंस्टीट्यूट
ऑफ इंटरनेशनल एंड कम्पेरेटिव लॉ में दी गई थी।
पृष्ठभूमि:
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि अगर तकनीक को न्याय वितरण प्रणाली में प्राथमिकता दी गई, तो यह जनता के विश्वास को खत्म कर सकती है और कानून के शासन की नींव को कमजोर कर सकती है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि अदालतों को डिजिटल युग में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए, लेकिन मानवीय दृष्टिकोण को बनाए रखना जरूरी है।संदर्भ:
यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब तकनीक का उपयोग न्याय प्रणाली में बढ़ रहा है, जैसे कि वर्चुअल कोर्ट और ऑनलाइन सुनवाई। हालांकि, गवई ने चेतावनी दी कि तकनीक को पूरी तरह से हावी नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि यह जनता के विश्वास को प्रभावित कर सकता है।पृष्ठभूमि और बयान का महत्व
4
मई 2025 को, भारत के
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने लंदन में ब्रिटिश इंस्टीट्यूट ऑफ
इंटरनेशनल एंड कम्पेरेटिव लॉ में एक भाषण दिया, जिसका
विषय "कोर्ट्स, कॉमर्स एंड द रूल ऑफ लॉ" था। इस दौरान उन्होंने न्याय वितरण प्रणाली में तकनीक के बढ़ते उपयोग को
लेकर चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर तकनीक को पूरी तरह से हावी होने दिया गया,
तो यह जनता के न्यायपालिका पर भरोसे को कमजोर कर सकता है, जिससे कानून के शासन की नींव प्रभावित हो सकती है।
उन्होंने
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के हवाले से कहा कि तकनीक को "सभी
के लिए न्याय" का साधन होना चाहिए, न कि
अंतिम लक्ष्य। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में वर्चुअल कोर्ट, ई-फाइलिंग, और अन्य डिजिटल पहलों का उपयोग बढ़ रहा
है, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद।
मुख्य चिंताएं और जोर
गवई
ने स्पष्ट किया कि तकनीक का उपयोग बढ़ाना जरूरी है, लेकिन
इसे मानवीय दृष्टिकोण पर हावी नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय के
मामले लोगों की आशाओं और एक निष्पक्ष, समान प्रणाली में
विश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं, और इसीलिए मानवीय स्पर्श
को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने
यह भी जोर दिया कि अदालतों को डिजिटल युग में सक्रिय और सोच-समझकर भाग लेना चाहिए,
खासकर वाणिज्यिक व्यवहारिता को ध्यान में रखते हुए। यह संतुलन बनाए
रखना कानून के शासन को मजबूत करने के लिए जरूरी है।
संभावित प्रभाव और विवाद
गवई
की चेतावनी ने यह सवाल उठाया है कि तकनीक और मानवीय निर्णय के बीच कहां लाइन खींची
जाए। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीक, जैसे कि
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, निर्णय लेने में त्रुटियों को कम कर
सकती है और दक्षता बढ़ा सकती है। दूसरी ओर, आलोचकों का कहना
है कि तकनीक व्यक्तिगत परिस्थितियों और भावनात्मक पहलुओं को समझने में सीमित हो
सकती है, जो न्याय के लिए जरूरी हैं।
यह
चर्चा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत जैसे देश में,
जहां न्याय तक पहुंच अभी भी कई लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण है,
तकनीक का उपयोग समावेशिता बढ़ाने का एक साधन हो सकता है। हालांकि,
गवई की चेतावनी यह सुनिश्चित करने पर जोर देती है कि तकनीक का उपयोग
जनता के विश्वास को बनाए रखते हुए हो।
तुलनात्मक दृष्टिकोण
अन्य
देशों में भी तकनीक के उपयोग को लेकर समान चिंताएं उठी हैं। उदाहरण के लिए,
यूरोप में डेटा प्राइवेसी और एआई आधारित निर्णय लेने को लेकर सख्त
नियम हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि तकनीक मानवीय
अधिकारों का उल्लंघन न करे। भारत में, हालांकि, अभी तक ऐसी नीतियां पूरी तरह विकसित नहीं हुई हैं, और
गवई का बयान इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
तालिका: मुख्य बिंदु और उनके प्रभाव
बिंदु |
विवरण |
संभावित
प्रभाव |
तकनीक
का अत्यधिक उपयोग |
जनता
का न्यायपालिका पर भरोसा कम हो सकता है |
कानून
के शासन पर नकारात्मक प्रभाव |
मानवीय
दृष्टिकोण का महत्व |
न्याय
में व्यक्तिगत और भावनात्मक पहलुओं को बनाए रखना |
जनता
का विश्वास बढ़ाना और समावेशिता सुनिश्चित करना |
डिजिटल
युग में अदालतों की भूमिका |
वाणिज्यिक
व्यवहारिता को ध्यान में रखते हुए सक्रिय भागीदारी |
दक्षता
बढ़ाना, लेकिन संतुलन जरूरी |
निष्कर्ष
सीजेआई
बीआर गवई की चेतावनी यह रेखांकित करती है कि तकनीक एक शक्तिशाली उपकरण है,
लेकिन इसका उपयोग सावधानी से करना होगा। यह सुनिश्चित करना जरूरी है
कि तकनीकी प्रगति न्याय तक पहुंच बढ़ाए, न कि जनता के
विश्वास को कम करे। उनके बयान से यह स्पष्ट है कि भविष्य में नीतियां और
दिशानिर्देश बनाने में मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
मुख्य संदर्भ
- लोगों का न्यायपालिका पर भरोसा कम हो सकता है
अगर तकनीक को प्राथमिकता दी गई: सीजेआई गवई
- न्याय देने में मानवीय दृष्टिकोण बनाए रखें
अदालतें: सीजेआई गवई