मुख्य
बिन्दु
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गर्मी
की छुट्टियों के दौरान वरिष्ठ वकीलों को मामलों में पेश नहीं होना चाहिए,
ताकि जूनियर वकीलों को अवसर मिले।
- यह निर्णय 28
मई, 2025 को न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना
और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ द्वारा लिया गया।
- गर्मी की छुट्टियां अब "आंशिक
कोर्ट कार्य दिवस" के रूप में जानी जाती हैं,
जो 26 मई से 14 जुलाई,
2025 तक चलेंगी।
निर्णय का संदर्भ
सुप्रीम
कोर्ट का यह कदम जूनियर वकीलों को अनुभव हासिल करने और अदालत में अपनी प्रतिभा
दिखाने का मौका देने के लिए है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि वरिष्ठ वकीलों की
उपस्थिति से जूनियर वकीलों के अवसर सीमित न हों।
प्रभाव और संभावित परिणाम
सुप्रीम
कोर्ट के हालिया निर्णय, जिसमें गर्मी की छुट्टियों
के दौरान वरिष्ठ वकीलों को मामलों में पेश नहीं होने की सलाह दी गई है, ने कानूनी समुदाय में काफी चर्चा पैदा की है। यह निर्णय 28 मई, 2025 को न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति
सतीश चंद्र शर्मा की पीठ द्वारा एक अदालती कार्यवाही के दौरान लिया गया। इस
निर्णय का उद्देश्य जूनियर वकीलों को अदालत में अपनी प्रतिभा दिखाने और अनुभव
हासिल करने का अवसर प्रदान करना है, जो वरिष्ठ वकीलों की
उपस्थिति के कारण अक्सर सीमित हो जाता है।
मामले की उत्पत्ति
गर्मी
की छुट्टियां, जो पहले "सम्मर वेकेशन"
के रूप में जानी जाती थीं, अब "आंशिक कोर्ट कार्य
दिवस" के रूप में पुनः परिभाषित की गई हैं। यह परिवर्तन 2024 में सुप्रीम कोर्ट (दूसरा संशोधन) नियम, 2024 के तहत
अधिसूचित किया गया था, जो 5 नवंबर,
2024 को लागू हुआ। इन नियमों के अनुसार, आंशिक
कोर्ट कार्य दिवस 26 मई, 2025 से 14
जुलाई, 2025 तक चलेंगे, और
इनकी अवधि 95 दिनों से अधिक नहीं होगी, जिसमें रविवार शामिल नहीं हैं। मुख्य न्यायाधीश द्वारा इन तिथियों और
छुट्टियों की संख्या को आधिकारिक गजट में अधिसूचित किया जाता है।
इस
अवधि के दौरान, अदालत पूरी तरह से बंद नहीं होती;
मुख्य न्यायाधीश द्वारा नियुक्त जज तत्काल और महत्वपूर्ण मामलों की
सुनवाई के लिए बेंच बनाते हैं। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि आपातकालीन
मामलों की सुनवाई बाधित न हो, जबकि साथ ही जूनियर वकीलों को
अवसर प्रदान किए जाएं।
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निर्णय का विवरण
28
मई, 2025 को, सुप्रीम
कोर्ट की पीठ ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठ वकीलों, जैसे मुकुल
रोहतगी, अभिषेक मनु सिंघवी, और नीरज
किशन कौल, को गर्मी की छुट्टियों के दौरान मामलों पर बहस
नहीं करनी चाहिए। यह निर्णय एक याचिका के संदर्भ में आया, जो
राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के एक आदेश के खिलाफ
थी, जिसमें वरिष्ठ वकील श्याम दीवान की अनुपस्थिति के कारण
स्थगन की मांग की गई थी। पीठ ने जोर दिया कि इस अवधि के दौरान जूनियर वकीलों को
आगे आने और अपनी क्षमता दिखाने का मौका दिया जाना चाहिए।
कानूनी और सामाजिक प्रभाव
यह
निर्णय कानूनी पेशे में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है,
खासकर जूनियर वकीलों के लिए अवसरों के संदर्भ में। यह सुनिश्चित
करने का प्रयास है कि नए वकील अदालत में अनुभव हासिल कर सकें, जो उनकी कैरियर प्रगति के लिए आवश्यक है। हालांकि, कुछ
वरिष्ठ वकील इस निर्णय को अपने अधिकारों पर अंकुश के रूप में देख सकते हैं,
लेकिन सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य संतुलन बनाना है।
तुलनात्मक दृष्टिकोण
अन्य
देशों की सर्वोच्च अदालतों की तुलना में, भारत की
सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां अपेक्षाकृत लंबी मानी जाती हैं, लेकिन
यह साल भर दैनिक आधार पर मौखिक तर्क सुनती है। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, सिंगापुर,
यूनाइटेड किंगडम, और संयुक्त राज्य अमेरिका की
सर्वोच्च अदालतों की छुट्टियों की अवधि और कार्य प्रणाली भिन्न होती है। भारत में,
आंशिक कोर्ट कार्य दिवस के दौरान भी सुनवाई जारी रहती है, जो अन्य देशों की तुलना में अदालत की पहुंच को बढ़ाता है।
समाचार और स्रोत
इस
निर्णय से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए, आप जागरण समाचार और लाइव हिंदुस्तान की
रिपोर्ट्स देख सकते हैं। इन लेखों में निर्णय की पृष्ठभूमि, पीठ
के सदस्यों, और संदर्भित वरिष्ठ वकीलों के नाम जैसे विवरण
शामिल हैं।
निष्कर्ष
सुप्रीम
कोर्ट का यह निर्णय कानूनी पेशे में समानता और अवसरों के वितरण को बढ़ावा देने की
दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जूनियर वकीलों को मंच प्रदान करता है,
जबकि वरिष्ठ वकीलों को भी इस अवधि के दौरान अपने कार्यभार को कम
करने का अवसर देता है। यह परिवर्तन न केवल अदालत की कार्यप्रणाली को प्रभावित
करेगा, बल्कि भविष्य में कानूनी पेशे के विकास को भी आकार
देगा।