मुख्य बिन्दु
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19
मई 2025 को संभल मस्जिद कमेटी की रिवीजन
पिटीशन खारिज की, जिससे सर्वे आगे बढ़ने का रास्ता साफ
हुआ।
- यह मामला संभल की शाही जामा
मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच विवाद से जुड़ा है,
जहां हिंदू पक्ष ने मंदिर होने का दावा किया है।
- मस्जिद कमेटी का तर्क कि
सर्वेक्षक की नियुक्ति एकतरफा थी, कोर्ट
ने खारिज कर दिया।
- इस फैसले से विवाद और तनाव बढ़ने
की आशंका है, क्योंकि इससे पहले
सर्वे के दौरान हिंसा हुई थी।
पृष्ठभूमि
यह
मामला संभल में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच चल रहे विवाद से संबंधित है।
हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर था,
जबकि मस्जिद कमेटी ने सर्वे के आदेश को चुनौती दी थी।
कोर्ट का फैसला
19
मई 2025 को जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच
ने मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी, जिससे निचली अदालत
का 19 नवंबर 2024 का सर्वे आदेश लागू
रहा। इससे पहले, 8 जनवरी 2025 को
हाईकोर्ट ने सर्वे पर अंतरिम रोक लगाई थी, लेकिन अब यह रोक
हट गई है।
प्रभाव और चिंताएं
इस
फैसले से सर्वे की प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकती है,
लेकिन इससे पहले 24 नवंबर 2024 को सर्वे के दौरान हिंसा हुई थी, जिसमें 5 लोगों की मौत और 29 पुलिसकर्मियों के घायल होने की
खबर थी। संभल में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और एक विशेष जांच टीम (SIT) इस हिंसा की जांच कर रही है।
विस्तृत रिपोर्ट
संभल
में शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच चल रहे विवाद ने एक बार फिर सुर्खियां
बटोरी हैं, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19
मई 2025 को मस्जिद कमेटी की रिवीजन पिटीशन
खारिज कर दी। यह फैसला संभल सिविल कोर्ट के 19 नवंबर
2024 के आदेश को बरकरार रखता है, जिसमें
मस्जिद की जगह पर सर्वे का आदेश दिया गया था। इस रिपोर्ट में हम इस मामले के सभी
पहलुओं, कोर्ट के फैसले, इससे जुड़ी
हिंसा और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मामले का इतिहास
संभल
की शाही जामा मस्जिद सदियों पुरानी है, लेकिन हाल
के वर्षों में इस पर विवाद बढ़ा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस स्थान पर पहले
हरिहर मंदिर था, और इस आधार पर उन्होंने संभल सिविल कोर्ट
में याचिका दाखिल की थी। 19 नवंबर 2024 को सिविल कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया, जिसके तहत
मस्जिद की संरचना और इतिहास की जांच की जानी थी।
मस्जिद
कमेटी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिवीजन पिटीशन दाखिल
की। उनका तर्क था कि सिविल कोर्ट ने उनकी बात सुने बिना अधिवक्ता आयुक्त की
नियुक्ति की, जो प्रक्रिया में गंभीर खामी थी। इसके
अलावा, उन्होंने सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी।
कोर्ट की सुनवाई और फैसला
इस
मामले की सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने की। 8
जनवरी 2025 को हाईकोर्ट ने सर्वे के आदेश पर
अंतरिम रोक लगाई थी, और इसके बाद करीब 15 सुनवाईयां हुईं। 13 मई 2025 को
बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, और 19
मई 2025 को अंतिम फैसला सुनाया गया।
कोर्ट
ने मस्जिद कमेटी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि सिविल कोर्ट का आदेश वैध है
और सर्वे की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि संभल की
जिला अदालत में मामला आगे चलेगा और सर्वे पर कोई रोक नहीं लगेगी।
अतिरिक्त आदेश और व्यवस्थाएं
12
मार्च 2025 को हाईकोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण
आदेश दिया था, जिसमें रमजान के दौरान मस्जिद की बाहरी
दीवारों को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा चित्रित
करने की अनुमति दी गई थी। इसके अलावा, 28 अप्रैल 2025
को कोर्ट ने ASI को 48 घंटों
के भीतर मामले पर प्रतिक्रिया दाखिल करने का निर्देश दिया था, जो इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है।
हिंसा और सुरक्षा व्यवस्थाएं
सर्वे
की प्रक्रिया पहले भी विवादों में रही है। 24 नवंबर 2024
को सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें 5
लोगों की मौत हो गई और 29 पुलिसकर्मी घायल
हुए। इस घटना के बाद संभल में सुरक्षा व्यवस्थाएं कड़ी कर दी गई हैं। एक विशेष
जांच टीम (SIT) इस हिंसा की जांच कर रही है, और स्थानीय प्रशासन ने तनाव को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल
तैनात किया है।
प्रतिक्रियाएं और भविष्य की संभावनाएं
इस
फैसले के बाद अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने X पर पुष्टि
की कि मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज हो गई है और उनका तर्क कि सर्वेक्षक की
नियुक्ति एकतरफा थी, कोर्ट ने खारिज कर दिया। हालांकि,
मस्जिद कमेटी के पास अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प
बचा है, और यह देखना होगा कि वे आगे क्या कदम उठाते हैं।
इस
मामले में दोनों पक्षों के बीच तनाव स्पष्ट है। हिंदू पक्ष के लिए यह फैसला उनके
दावे को मजबूत करता है, जबकि मस्जिद कमेटी इसे एक
बड़ा झटका मान रही है। स्थानीय स्तर पर इस फैसले से शांति बनाए रखने के लिए
प्रशासन को सतर्क रहना होगा, खासकर हिंसा की पिछली घटना को
देखते हुए।
तालिका: महत्वपूर्ण तिथियां और घटनाएं
तिथि |
घटना |
विवरण |
19
नवंबर 2024 |
सिविल
कोर्ट का आदेश |
मस्जिद
का सर्वे करने का आदेश दिया गया |
24
नवंबर 2024 |
हिंसा
के दौरान 5 मौतें, 29 पुलिस घायल |
सर्वे
के दौरान तनाव बढ़ा |
8
जनवरी 2025 |
हाईकोर्ट
ने अंतरिम रोक लगाई |
सर्वे
पर अस्थायी रोक |
12
मार्च 2025 |
मस्जिद
की दीवारों को चित्रित करने की अनुमति |
रमजान
के दौरान ASI को अनुमति |
28
अप्रैल 2025 |
ASI
को 48 घंटे में प्रतिक्रिया दाखिल करने का
आदेश |
कोर्ट
का निर्देश |
13
मई 2025 |
बहस
पूरी, फैसला सुरक्षित |
हाईकोर्ट
में सुनवाई पूरी |
19
मई 2025 |
रिवीजन
पिटीशन खारिज |
हाईकोर्ट
का अंतिम फैसला |
निष्कर्ष
इलाहाबाद
हाईकोर्ट का यह फैसला संभल मस्जिद विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ है,
जो दोनों पक्षों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है। सर्वे की
प्रक्रिया फिर से शुरू होने से स्थानीय प्रशासन को शांति बनाए रखने के लिए विशेष
सावधानी बरतनी होगी। यह मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी
महत्वपूर्ण है, और इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।