मुख्य बिन्दु
- 28 मई, 2025 को समस्तीपुर कोर्ट से पांच कैदी फरार हुए, एक
को पुलिस ने पकड़ा।
- चार कैदी अभी भी फरार हैं,
पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।
- यह घटना कोर्ट की सुरक्षा
व्यवस्था पर सवाल उठाती है, और पुलिस
कार्रवाई कर रही है।
घटना का संक्षिप्त विवरण
28
मई, 2025 को बिहार के समस्तीपुर कोर्ट में
पेशी के दौरान पांच कैदी पुलिस को धक्का देकर भाग निकले। इनमें से एक, नगेंद्र कुमार महतो, को पुलिस ने तुरंत पकड़ लिया,
लेकिन चार अन्य फरार हो गए। पुलिस ने जिले की सीमाएं सील कर दी हैं
और तलाशी अभियान शुरू किया है।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस
ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक कैदी को पकड़ा और बाकी की तलाश के लिए छापेमारी
शुरू की। कोर्ट परिसर में पुलिस की भारी तैनाती की गई है,
और सीमावर्ती इलाकों में नाका चेकिंग हो रही है।
प्रभाव और जांच
यह
घटना कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है। पुलिस लापरवाह कर्मचारियों के
खिलाफ कार्रवाई करेगी और वैशाली, मुजफ्फरपुर पुलिस के
साथ समन्वय कर रही है।
समस्तीपुर
कोर्ट बंदीगृह से पांच कैदी फरार, एक को
पुलिस ने पकड़ा: विस्तृत विश्लेषण
28
मई, 2025 को बिहार के समस्तीपुर जिले में एक
गंभीर घटना घटी, जब कोर्ट परिसर में पेशी के लिए लाए गए पांच
कैदी पुलिसकर्मियों को धक्का देकर फरार हो गए। इस घटना ने न केवल स्थानीय कानून
व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था
की कमियों को भी उजागर किया है। आइए, इस घटना के हर पहलू को
विस्तार से समझें।
पृष्ठभूमि और घटना का विवरण
घटना
28
मई, 2025 (बुधवार) को समस्तीपुर कोर्ट परिसर
में हुई, जब पांच कैदियों को उनकी पेशी के लिए कोर्ट में
लाया गया था। ये कैदी पुलिस की हिरासत में थे, लेकिन
उन्होंने अचानक पुलिसकर्मियों को धक्का दिया और भागने में सफल रहे। इस दौरान,
एक कैदी, नगेंद्र कुमार महतो, को पुलिस गार्ड ने तुरंत खदेड़कर पकड़ लिया, लेकिन
बाकी चार कैदी फरार हो गए।
फरार
कैदियों की पहचान इस प्रकार है:
- राजनंदन उर्फ चोटू उर्फ हंटर:
वैशाली जिले का रहने वाला, जिसके पिता का
नाम चंद्रशेखर राय है। वह अनिल ज्वेलर्स लूट केस में शामिल था और चार महीने
पहले एसटीएफ (STF) द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
- अरविंद साहनी:
वैशाली जिले के भगवानपुर साहदा गांव का रहने वाला, जिसके पिता का नाम शिवजी साहनी है।
- मनीष कुमार:
मुजफ्फरपुर जिले के सरैया क्षेत्र के मुंगौली गांव का रहने
वाला, जिसके पिता का नाम शिवनंदन राय है।
- मंजीत कुमार:
मुजफ्फरपुर जिले के मुंगौली गांव का रहने वाला, जिसके पिता का नाम सुरेश राम है।
इन
कैदियों पर सरैयारंजन थाने में कई गंभीर मामले दर्ज हैं,
जिनमें छह लूट के मामले और अन्य गंभीर आरोप शामिल हैं, जैसे हत्या और सशस्त्र डकैती। विशेष रूप से, राजनंदन
उर्फ चोटू उर्फ हंटर एक कुख्यात अपराधी है, जिसे हाल ही में
बड़ी लूट की घटना में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस की तत्काल कार्रवाई
इस
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने कई कदम उठाए:
- सीमा सील:
समस्तीपुर जिले की सीमाएं बंद कर दी गईं ताकि फरार कैदी अन्य
जिलों में न भाग सकें। सीमावर्ती इलाकों में नाका चेकिंग शुरू की गई, जहां वाहनों और लोगों की सघन जांच हो रही है।
- तलाशी अभियान:
पुलिस ने छापेमारी शुरू की और कैदियों को ढूंढने के लिए पूरे
इलाके को छान मारा। विशेष टीमें गठित की गई हैं जो संदिग्ध स्थानों पर छापे
मार रही हैं।
- कोर्ट परिसर में पुलिस कैंप:
कोर्ट परिसर को अस्थायी पुलिस कैंप में तब्दील कर दिया गया है,
जहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
- एफआईआर दर्ज:
इस घटना को लेकर नगर थाने में एफआईआर दर्ज की जाएगी, और मामले की कानूनी कार्रवाई शुरू होगी।
- समन्वय: पुलिस ने वैशाली और मुजफ्फरपुर जिलों की पुलिस के साथ समन्वय बढ़ाया है, क्योंकि फरार कैदियों के मूल निवास स्थान इन जिलों में हैं।
जांच और जवाबदेही
घटना
की जांच के लिए एएसपी संजय कुमार पांडेय को नियुक्त किया गया है। प्रारंभिक जांच
में यह पाया गया कि पुलिसकर्मियों की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था में कमी के
कारण यह घटना हुई। समस्तीपुर के एसपी आशोक मिश्रा ने कहा कि लापरवाह पुलिसकर्मियों
के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, कोर्ट की
सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए नए उपाय लागू किए जाएंगे, जैसे कैदियों की हिरासत के दौरान और सतर्कता बरतना और सीसीटीवी कैमरों की
निगरानी बढ़ाना।
कानूनी और सामाजिक प्रभाव
यह
घटना कई सवाल खड़े करती है, विशेष रूप से कोर्ट परिसर
में सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की जवाबदेही को लेकर। यह दिखाता है कि अपराधियों के
लिए कोर्ट परिसर भी असुरक्षित हो सकता है, जो कानून व्यवस्था
पर गंभीर सवाल उठाता है। स्थानीय लोगों में डर का माहौल है, खासकर
उन क्षेत्रों में जहां फरार कैदियों के संबंध हैं।
इसके
अलावा,
यह घटना राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन सकती है,
क्योंकि यह बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति को उजागर करती है।
सरकार और प्रशासन पर दबाव बढ़ेगा कि वे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम
उठाएं।
तुलनात्मक दृष्टिकोण
पिछले
कुछ वर्षों में, बिहार और अन्य राज्यों में ऐसी घटनाएं
सामने आई हैं, जहां कैदी पुलिस हिरासत से फरार हुए हैं।
उदाहरण के लिए, मुजफ्फरपुर में भी कुछ समय पहले एक समान घटना
हुई थी, जहां कैदी कोर्ट परिसर से भागने में सफल रहे थे।
हालांकि, समस्तीपुर की इस घटना में फरार कैदियों की संख्या
और उनके कुख्यात अपराधी होने के कारण यह अधिक गंभीर मानी जा रही है।
समाचार और स्रोत
इस
घटना से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए, आप Live Hindustan, Aaj Tak, और News18 की रिपोर्ट्स देख सकते हैं। इन लेखों
में घटना की पृष्ठभूमि, फरार कैदियों के नाम, और पुलिस की कार्रवाई जैसे विवरण शामिल हैं।
निष्कर्ष
समस्तीपुर
कोर्ट से पांच कैदियों के फरार होने की यह घटना कानून व्यवस्था और सुरक्षा
व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक कैदी को
पकड़ा और बाकी की तलाश शुरू की, लेकिन यह घटना यह
दर्शाती है कि कोर्ट परिसर में सुरक्षा को और मजबूत करने की जरूरत है। यह मामला
भविष्य में कानूनी और प्रशासनिक सुधारों को प्रेरित कर सकता है, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।