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दिल्ली, 04 सितंबर 2025 केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भतीजा बनकर एक व्यवसायी से 3.9 करोड़ रुपये की ठगी करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी अजय
कुमार नैयर को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने नैयर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया,
जिससे इस हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी मामले में न्याय की उम्मीद और मजबूत
हुई है। न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मामले
की गंभीरता और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए नैयर को जमानत देना उचित नहीं होगा।
कैसे शुरू हुआ ठगी का खेल
यह
मामला तब सामने आया जब जालंधर जिमखाना क्लब में एक पारिवारिक मित्र के जरिए
शिकायतकर्ता, जो एक व्यवसायी है, की मुलाकात अजय कुमार नैयर से हुई। नैयर ने खुद को केंद्रीय गृह मंत्री
अमित शाह का भतीजा बताते हुए अपना नाम अजय शाह बताया। उसने शिकायतकर्ता को भरोसा
दिलाया कि वह उसे राष्ट्रपति भवन के नवीनीकरण के लिए चमड़े की आपूर्ति से संबंधित 90
करोड़ रुपये का सरकारी टेंडर दिलवा सकता है। यह आश्वासन शिकायतकर्ता
के लिए आकर्षक था, और उसने नैयर पर भरोसा कर लिया।
ठगी का जाल: डिमांड ड्राफ्ट और प्रोसेसिंग फीस का खेल
नैयर
ने शिकायतकर्ता को 90 करोड़ रुपये के डिमांड
ड्राफ्ट की तस्वीर दिखाकर विश्वास जीता और टेंडर के लिए प्रोसेसिंग फीस के रूप में
2.5 करोड़ रुपये की मांग की। कई दौर की बैठकों के बाद
शिकायतकर्ता ने नकद और आरटीजीएस के जरिए नैयर को कुल 3.9 करोड़
रुपये का भुगतान कर दिया। लेकिन ठगी यहीं नहीं रुकी। नैयर ने बाद में एक और डिमांड
ड्राफ्ट की तस्वीर दिखाई, जिसमें टेंडर की राशि को 90
करोड़ से बढ़ाकर 127 करोड़ रुपये बताया गया।
इस बिंदु पर शिकायतकर्ता को ठगे जाने का अहसास हुआ, और उसने
पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
शिकायत
के आधार पर दिल्ली पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दिसंबर 2021
में अजय कुमार नैयर को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला
कि नैयर ने न केवल शिकायतकर्ता को ठगा, बल्कि वह इसी तरह के
एक अन्य धोखाधड़ी मामले में भी शामिल था। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में दलील दी कि
नैयर पर आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और विश्वासघात जैसे
गंभीर आरोप हैं। पुलिस ने यह भी बताया कि नैयर का अपराध का तरीका सुनियोजित और
संगठित था, जिसके चलते उसे जमानत देना समाज के लिए खतरनाक हो
सकता है।
हाई कोर्ट का फैसला: जमानत याचिका खारिज
नैयर
ने अपनी जमानत याचिका में दलील दी कि मामला लंबे समय से चल रहा है और उसे इस आधार
पर रिहा किया जाए। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इसका कड़ा
विरोध किया। दिल्ली हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नैयर
की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया ने अपने आदेश में
कहा,
“आरोपित पर लगाए गए आरोपों की प्रकृति और मामले के तथ्यों को देखते हुए
जमानत देना उचित नहीं है।”
मामले का व्यापक प्रभाव
यह
मामला न केवल एक बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की घटना को उजागर करता है,
बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे बड़े नामों और प्रभावशाली
व्यक्तियों के रिश्तेदार होने का दावा करके ठग लोग भोले-भाले व्यक्तियों को अपने
जाल में फंसाते हैं। इस तरह की ठगी के मामले समाज में विश्वास को कमजोर करते हैं
और सरकारी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाते हैं।
आगे की राह
पुलिस
और अभियोजन पक्ष अब मामले में ट्रायल को तेज करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
शिकायतकर्ता को उम्मीद है कि इस मामले में न्याय होगा और उनके साथ हुई ठगी का
हिसाब होगा। दूसरी ओर, नैयर के खिलाफ एक अन्य
धोखाधड़ी मामले की जांच भी चल रही है, जिसके चलते उसकी
मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
यह
मामला एक बार फिर समाज को सतर्क करता है कि बड़े-बड़े दावों और आश्वासनों पर आंख
मूंदकर भरोसा करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल जरूरी है। दिल्ली हाई कोर्ट का यह
फैसला ठगी के खिलाफ कड़ा संदेश देता है और यह सुनिश्चित करता है कि अपराधी आसानी
से कानून के शिकंजे से बच नहीं सकते।