दिल्ली
बार एसोसिएशन (तीस हजारी) ने गर्मियों के मौसम में अपने सदस्यों को जिला अदालतों
में अनिवार्य काले कोट पहनने की बाध्यता से छूट दे दी है। इस फैसले के तहत वकील अब
गर्मियों में बिना काले कोट के अदालत में पेश हो सकते हैं।
विस्तृत व्याख्या:
24
मई को जारी एक नोटिस के अनुसार, दिल्ली बार
एसोसिएशन ने घोषणा की कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 49(1)(gg)
के तहत नियम में संशोधन के आधार पर, वकीलों को
16 मई से 30 सितंबर तक गर्मियों के
दौरान काले कोट पहनने की अनिवार्यता से छूट दी गई है। यह प्रावधान बार काउंसिल ऑफ
इंडिया (BCI) को अदालतों या ट्रिब्यूनल में पेश होने वाले
वकीलों के परिधान के नियम तय करने का अधिकार देता है, जिसमें
जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखना शामिल है।
नोटिस
में स्पष्ट किया गया है कि वकील दिल्ली हाई कोर्ट के अधीनस्थ अदालतों में बिना
काले कोट के पेश हो सकते हैं। हालांकि, एसोसिएशन
के सचिव विकास गोयल द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में यह भी कहा गया है कि वकीलों को
ड्रेस कोड के अन्य नियमों का पालन करना अनिवार्य रहेगा। इसका मतलब है कि काले कोट
को छोड़कर, वकीलों को अन्य निर्धारित परिधान जैसे सफेद शर्ट,
काली टाई, और औपचारिक पतलून या अन्य निर्धारित
पोशाक पहननी होगी।
महत्व और प्रभाव:
- यह छूट गर्मियों के दौरान वकीलों
के लिए राहतकारी है, क्योंकि दिल्ली में
गर्मी का मौसम बेहद उमस भरा और असहज हो सकता है। काला कोट, जो परंपरागत रूप से वकीलों की वेशभूषा का हिस्सा है, गर्म मौसम में असुविधा का कारण बन सकता है।
- यह निर्णय जलवायु परिस्थितियों को
ध्यान में रखते हुए वकीलों के कार्य वातावरण को बेहतर बनाने की दिशा में एक
प्रगतिशील कदम है।
- हालांकि,
ड्रेस कोड के अन्य नियमों का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश
यह दर्शाता है कि पेशेवर गरिमा और अदालती परंपराओं का सम्मान बनाए रखा जाएगा।
निष्कर्ष:
दिल्ली
बार एसोसिएशन का यह फैसला वकीलों के लिए गर्मियों में काम करने की स्थिति को आसान
बनाता है,
साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि अदालत में पेश होने वाले अधिवक्ताओं
की पेशेवर छवि बनी रहे। यह कदम वकीलों की सुविधा और कार्यकुशलता को बढ़ावा देने के
साथ-साथ बदलते समय के साथ कानूनी पेशे की परंपराओं में संतुलन बनाए रखने का एक
उदाहरण है।