11 अप्रैल 2025
इलाहाबाद हाईकोर्ट
में पेश हुआ एक हैरान कर देने वाला मामला, जिसमें
वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक पांडे को अदालत की गरिमा का उल्लंघन करने के लिए छह महीने की
सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही उन पर ₹2,000 का जुर्माना भी
लगाया गया है। यह फैसला अदालत की अवमानना के तहत सुनाया गया।
क्या हुआ था कोर्ट में?
यह घटना 18
अगस्त 2021 की है। वकील अशोक पांडे इलाहाबाद
हाईकोर्ट की खंडपीठ के सामने खुले बटन वाली शर्ट और अनुचित पोशाक में पेश हुए थे।
जब न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने उन्हें
शालीन पहनावे की सलाह दी, तो उन्होंने "सभ्य
पहनावा" की परिभाषा पूछते हुए विरोध जताया।
इतना ही नहीं,
उन्होंने कोर्ट में मौजूद अन्य वकीलों और व्यक्तियों के सामने
न्यायाधीशों को "गुंडा" तक कह डाला। इस व्यवहार को कोर्ट की मर्यादा और
गरिमा का घोर अपमान माना गया।
कोर्ट ने दी माफी का अवसर, लेकिन नहीं दिखाया पछतावा
कोर्ट ने पांडे को
अपने व्यवहार के लिए माफी मांगने का अवसर भी दिया, लेकिन
उन्होंने न तो खेद प्रकट किया और न ही कोई सफाई दी। इसके बाद हाईकोर्ट ने उनके
खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति विवेक
चौधरी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अशोक पांडे का
व्यवहार न केवल लगातार अदालत के आदेशों की अवहेलना करता है,
बल्कि वह जानबूझकर ऐसी प्रवृत्ति अपना रहे हैं जिससे न्यायपालिका की
साख को चोट पहुंचे।
कोर्ट ने यह भी कहा
कि उन्होंने न तो कोई हलफनामा दाखिल किया और न ही अपने बचाव में कुछ कहा। इससे
साबित होता है कि उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।
सजा और आगे की प्रक्रिया
कोर्ट ने पांडे को
छह महीने की सजा सुनाते हुए कहा कि यदि वह ₹2,000 का
जुर्माना एक महीने में नहीं चुकाते हैं, तो उन्हें एक
अतिरिक्त महीने की सजा भुगतनी होगी। साथ ही कोर्ट ने उन्हें निर्देश दिया कि वे
चार हफ्तों के भीतर लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण करें।
इस मामले की अगली
सुनवाई 1
मई 2025 को निर्धारित की गई है।