“भारतीय नागरिक
सुरक्षा संहिता, 2023 का अध्याय-2 दंड न्यायालयों और कार्यालयों का गठन (Constitution
of Criminal Courts and Offices): धारा-7 प्रादेशिक प्रभाग (Territorial
Divisions)
भारतीय नागरिक
सुरक्षा संहिता, 2023 - धारा 7: प्रादेशिक
प्रभाग (Territorial Divisions)
(1)
प्रत्येक राज्य एक सत्र प्रभाग होगा या सत्र प्रभागों से मिलकर बनेगा;
और प्रत्येक सत्र प्रभाग, इस संहिता के
प्रयोजनों के लिए, एक जिला होगा या जिलों से मिलकर बनेगा।
(2)
राज्य सरकार, उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात् ऐसे खण्डों और जिलों की सीमाओं या संख्या में परिवर्तन कर सकेगी।
(3)
राज्य सरकार, उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात् किसी जिले को उप-प्रभागों में विभाजित कर सकेगी तथा ऐसे उप-प्रभागों
की सीमा या संख्या में परिवर्तन कर सकेगी।
(4)
इस संहिता के प्रारंभ पर किसी राज्य में विद्यमान सेशन खण्ड,
जिले और उपखण्ड इस धारा के अधीन
गठित समझे जाएंगे।
संक्षिप्त विवरण
धारा 7 भारतीय
नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
के तहत प्रत्येक राज्य के भीतर प्रादेशिक प्रभागों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
यह स्थापित करती है कि प्रत्येक राज्य या तो एक सत्र प्रभाग है या इसमें कई सत्र
प्रभाग शामिल हैं, जिन्हें आगे जिलों में वर्गीकृत
किया गया है। यह धारा राज्य सरकार को उच्च न्यायालय के परामर्श से इन प्रभागों को
आवश्यकतानुसार संशोधित करने का अधिकार भी प्रदान करती है।
उदाहरण
उदाहरण के लिए,
यदि किसी राज्य में वर्तमान में तीन जिले हैं, तो राज्य सरकार इन जिलों को चार जिलों में पुनर्गठित करने या उनके भीतर
उप-विभाग बनाने के लिए उच्च न्यायालय से परामर्श कर सकती है।
सारांश
भारतीय नागरिक
सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 7
राज्य के भीतर प्रादेशिक प्रभागों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है,
जिसमें विस्तार से बताया गया है कि सत्र प्रभागों और जिलों की
स्थापना और संशोधन कैसे किया जाता है, और राज्य सरकार को
उच्च न्यायालय के परामर्श से इन प्रभागों को समायोजित करने की अनुमति दी गई
है।
BNSS धारा 7 से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय
नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 7 क्या कहती है?
उत्तर:
धारा 7
यह निर्धारित करती है कि प्रत्येक राज्य या तो एक सत्र
प्रभाग होगा या सत्र प्रभागों से मिलकर बनेगा। प्रत्येक सत्र प्रभाग को एक
जिला माना जाएगा या जिलों से मिलकर बनेगा।
2. क्या
राज्य सरकार को सत्र प्रभागों और जिलों की सीमाओं में परिवर्तन करने का अधिकार है?
उत्तर:
हां,
धारा 7(2) के अनुसार, राज्य सरकार उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद
सत्र प्रभागों और जिलों की सीमाओं या संख्या में परिवर्तन कर सकती है।
3. क्या
राज्य सरकार जिलों को उप-प्रभागों में विभाजित कर सकती है?
उत्तर:
हां,
धारा 7(3) के अनुसार, राज्य
सरकार उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद किसी जिले को उप-प्रभागों में विभाजित
कर सकती है और उनके सीमा या संख्या में आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर सकती है।
4. क्या
धारा 7 के तहत पहले से मौजूद सत्र प्रभाग और जिले प्रभावित
होंगे?
उत्तर:
नहीं,
धारा 7(4) के अनुसार, इस
संहिता के प्रारंभ पर विद्यमान सत्र खंड, जिले और
उप-खंड इस धारा के तहत गठित माने जाएंगे और उनकी वैधता
बनी रहेगी।
5. सत्र
प्रभाग और जिला के बीच क्या अंतर है?
उत्तर:
- सत्र प्रभाग:
यह न्यायिक क्षेत्र का एक बड़ा भाग होता है, जिसमें एक या एक से अधिक जिले होते हैं।
- जिला:
यह एक प्रशासनिक इकाई है, जो अक्सर सत्र
प्रभाग का हिस्सा होती है और जिसमें स्थानीय न्यायालय और प्रशासनिक इकाइयां
काम करती हैं।
6. उच्च
न्यायालय का परामर्श क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
उच्च न्यायालय का परामर्श यह सुनिश्चित करता है कि सीमाओं,
जिलों और उप-प्रभागों में परिवर्तन कानूनी
और न्यायिक प्रक्रियाओं के अनुरूप हों और इससे न्यायिक कार्यप्रणाली में किसी
प्रकार की बाधा न आए।
7. क्या
धारा 7 के तहत नए सत्र प्रभाग बनाए जा सकते हैं?
उत्तर:
हां,
धारा 7 राज्य सरकार को उच्च न्यायालय से परामर्श
के बाद नए सत्र प्रभाग, जिले और उप-प्रभाग बनाने का अधिकार देती है।
8. क्या
धारा 7 केवल नए सत्र प्रभाग और जिलों की स्थापना तक सीमित है?
उत्तर:
नहीं,
धारा 7 सीमाओं में परिवर्तन, जिलों का पुनर्गठन और उप-प्रभागों की संख्या और सीमा में परिवर्तन की अनुमति भी देती है।
9. धारा 7
के तहत प्रादेशिक प्रभागों में परिवर्तन का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
धारा 7
के तहत प्रादेशिक प्रभागों में परिवर्तन का उद्देश्य प्रशासनिक
और न्यायिक दक्षता को बढ़ाना और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप न्याय
वितरण प्रणाली को सुचारू बनाना है।
10. क्या
धारा 7 के प्रावधान स्वतः लागू होते हैं या इसके लिए
अधिसूचना आवश्यक है?
उत्तर:
धारा 7
के तहत किए गए प्रभागों, जिलों और
उप-प्रभागों में परिवर्तन के लिए राज्य सरकार को उच्च
न्यायालय से परामर्श करके अधिसूचना जारी करनी होती है, जिसके बाद यह परिवर्तन लागू होते हैं।
11. धारा 7
के तहत उप-प्रभागों को कैसे पुनर्गठित किया जा सकता है?
उत्तर:
धारा 7(3)
के तहत, राज्य सरकार उच्च न्यायालय से परामर्श
करने के बाद किसी जिले के उप-प्रभागों की सीमा और संख्या में परिवर्तन कर
सकती है या नए उप-प्रभाग बना सकती है।
12. धारा 7
का उद्देश्य न्यायिक प्रणाली में सुधार लाना कैसे है?
उत्तर:
धारा 7
का उद्देश्य प्रादेशिक विभाजन को पुनर्गठित करना और जरूरत के
अनुसार नए सत्र प्रभागों, जिलों और उप-प्रभागों का निर्माण करना है, जिससे न्यायिक प्रणाली की
दक्षता में वृद्धि हो और न्याय तक लोगों की पहुंच आसान हो सके।
13. क्या
धारा 7 के तहत न्यायिक प्रशासन पर कोई प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
हां,
धारा 7 के तहत सत्र प्रभाग, जिलों और उप-प्रभागों की सीमा और संख्या में परिवर्तन न्यायिक
प्रशासन को बेहतर तरीके से संगठित और प्रभावी बनाने में मदद करता है।
14. क्या
धारा 7 के तहत राज्य सरकार द्वारा किया गया परिवर्तन
न्यायालयों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है?
उत्तर:
नहीं,
धारा 7 के तहत किए गए परिवर्तन न्यायालयों
की कार्यप्रणाली को बाधित नहीं करते, बल्कि न्यायिक
प्रशासन को बेहतर और व्यवस्थित करने में मदद करते हैं।
15. धारा 7
के तहत सत्र प्रभागों में पुनर्गठन का उदाहरण क्या हो सकता है?
उत्तर:
उदाहरण के लिए, यदि किसी राज्य में तीन सत्र प्रभाग
और पांच जिले हैं, तो राज्य सरकार उच्च न्यायालय से
परामर्श कर इन्हें चार सत्र प्रभाग और सात जिलों में पुनर्गठित कर सकती है,
ताकि न्यायिक प्रशासन को बेहतर बनाया जा सके।