“भारतीय नागरिक
सुरक्षा संहिता, 2023 का अध्याय-2 दंड न्यायालयों और कार्यालयों का गठन (Constitution
of Criminal Courts and Offices) को रेखांकित करता है तथा इस अध्याय में धारा 6 से 20 तक को सम्मिलित किया गया है”
भारतीय नागरिक
सुरक्षा संहिता, 2023 - धारा 6: आपराधिक न्यायालयों की श्रेणियाँ
उच्च न्यायालयों और
इस संहिता के अलावा किसी अन्य कानून के तहत गठित न्यायालयों के अलावा,
प्रत्येक राज्य में निम्नलिखित प्रकार के दंड न्यायालय होंगे,
अर्थात:
1. सत्र
न्यायालय;
2. प्रथम
श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट;
3. द्वितीय
श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट; तथा
4. कार्यपालक
मजिस्ट्रेट.
संक्षिप्त विवरण
धारा 6
प्रत्येक राज्य में स्थापित आपराधिक न्यायालयों की विभिन्न श्रेणियों को रेखांकित
करती है,
तथा कानूनी ढांचे के भीतर विभिन्न प्रकार के न्यायालयों की भूमिकाओं
को निर्दिष्ट करती है।
उदाहरण
उदाहरण के लिए,
गंभीर आपराधिक मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालयों में की जा सकती है,
जबकि छोटे अपराधों की सुनवाई प्रथम या द्वितीय श्रेणी के न्यायिक
मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया
सुचारू हो जाएगी।
सारांश
भारतीय नागरिक
सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 6 प्रत्येक
राज्य में आपराधिक न्यायालयों की विभिन्न श्रेणियों की पहचान करती है, जिनमें सत्र न्यायालय, प्रथम और द्वितीय श्रेणी के
न्यायिक मजिस्ट्रेट और कार्यपालक मजिस्ट्रेट शामिल हैं, जो
न्याय प्रशासन के लिए एक संरचित ढांचा स्थापित करते हैं।
BNSS धारा 6 से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय
नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 6 क्या कहती है?
उत्तर:
धारा 6
यह निर्दिष्ट करती है कि प्रत्येक राज्य में सत्र न्यायालय,
प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट, द्वितीय
श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट और कार्यपालक मजिस्ट्रेट जैसे
विभिन्न प्रकार के आपराधिक न्यायालय स्थापित होंगे, जो
आपराधिक मामलों की सुनवाई और न्यायिक प्रक्रिया का संचालन करेंगे।
2. धारा 6
के तहत कितने प्रकार के आपराधिक न्यायालय होते हैं?
उत्तर:
धारा 6
के अनुसार, प्रत्येक राज्य में निम्नलिखित 4
प्रकार के दंड न्यायालय होते हैं:
- सत्र न्यायालय
- प्रथम श्रेणी के
न्यायिक मजिस्ट्रेट
- द्वितीय श्रेणी के
न्यायिक मजिस्ट्रेट
- कार्यपालक मजिस्ट्रेट
3. सत्र
न्यायालय और मजिस्ट्रेट न्यायालयों में क्या अंतर है?
उत्तर:
- सत्र न्यायालय:
गंभीर अपराधों, जैसे हत्या, बलात्कार, और डकैती के मामलों की सुनवाई करता
है।
- प्रथम और द्वितीय श्रेणी के
न्यायिक मजिस्ट्रेट: अपेक्षाकृत कम
गंभीर अपराधों की सुनवाई करते हैं।
- कार्यपालक मजिस्ट्रेट:
प्रशासनिक और कार्यकारी कार्यों, जैसे
शांति बनाए रखने और लाइसेंस जारी करने से संबंधित कार्यों का संचालन करते
हैं।
4. धारा 6
के तहत विभिन्न न्यायालयों की श्रेणियों को परिभाषित करना क्यों
महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
आपराधिक न्यायालयों की श्रेणियों को परिभाषित करने से न्यायिक पदानुक्रम और
कार्यक्षेत्र को स्पष्ट करने में मदद मिलती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि
विभिन्न प्रकार के मामलों को उपयुक्त न्यायालयों में भेजा जाए,
जिससे न्यायिक प्रक्रिया कुशल और सुचारू बनी रहे।
5. सत्र
न्यायालय की भूमिका क्या होती है?
उत्तर:
सत्र न्यायालय गंभीर और जघन्य अपराधों की सुनवाई करता है और अधिक गंभीर दंड
(मृत्युदंड, आजीवन कारावास, आदि)
देने का अधिकार रखता है।
6. प्रथम
श्रेणी और द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के बीच क्या अंतर है?
उत्तर:
- प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट:
गंभीरता में मध्यम अपराधों की सुनवाई करता है और अधिकतम 3
वर्ष तक का कारावास और जुर्माना
लगा सकता है।
- द्वितीय श्रेणी न्यायिक
मजिस्ट्रेट: अपेक्षाकृत कम गंभीर अपराधों
की सुनवाई करता है और अधिकतम 1 वर्ष
का कारावास और जुर्माना दे सकता है।
7. कार्यपालक
मजिस्ट्रेट क्या कार्य करता है?
उत्तर:
कार्यपालक मजिस्ट्रेट मुख्य रूप से प्रशासनिक और कार्यकारी कार्यों का
संचालन करता है, जैसे शांति और व्यवस्था बनाए रखना,
दंड प्रक्रिया संहिता के तहत शांति भंग होने की संभावना वाले मामलों
में आदेश जारी करना और लाइसेंस जारी करना या रद्द करना।
8. धारा 6
में निर्धारित न्यायालयों की श्रेणियां न्यायिक प्रक्रिया में कैसे
मदद करती हैं?
उत्तर:
न्यायालयों की श्रेणियां मामलों के वितरण और सुनवाई में सुव्यवस्था लाती
हैं। इससे अपराधों की गंभीरता के आधार पर उचित न्यायालय में मामलों को भेजा जाता
है,
जिससे न्यायिक प्रक्रिया अधिक तेज, निष्पक्ष
और कुशल हो जाती है।
9. क्या
धारा 6 के तहत स्थापित न्यायालय उच्च न्यायालय से अलग हैं?
उत्तर:
हां,
धारा 6 में निर्दिष्ट सत्र न्यायालय,
मजिस्ट्रेट न्यायालय और कार्यपालक मजिस्ट्रेट उच्च न्यायालय और किसी अन्य विधि के तहत गठित न्यायालयों से अलग होते
हैं। उच्च न्यायालय अपील, पुनरीक्षण और विशेष
मामलों की सुनवाई करता है।
10. क्या
धारा 6 के तहत सभी न्यायालय एक ही प्रकार के अपराधों को सुन
सकते हैं?
उत्तर:
नहीं,
प्रत्येक न्यायालय को अलग-अलग प्रकार के मामलों की सुनवाई का
अधिकार दिया गया है।
- सत्र न्यायालय:
गंभीर और जघन्य अपराधों की सुनवाई करता है।
- प्रथम श्रेणी
मजिस्ट्रेट: मध्यम अपराधों की
सुनवाई करता है।
- द्वितीय श्रेणी
मजिस्ट्रेट: कम गंभीर अपराधों की
सुनवाई करता है।
- कार्यपालक
मजिस्ट्रेट: प्रशासनिक और
कार्यकारी कार्यों का संचालन करता है।