भारतीय न्याय
संहिता, की धारा 18 क्या है?
“भारतीय न्याय
संहिता, 2023 का
अध्याय 3 साधारण अपवाद (General
Exceptions): धारा 18: वैध कार्य करने में दुर्घटना।
“कोई भी कार्य
अपराध नहीं है जो दुर्घटनावश या दुर्भाग्यवश, तथा बिना
किसी आपराधिक इरादे या ज्ञान के, वैध तरीके से, वैध साधनों द्वारा तथा उचित सावधानी और सतर्कता के साथ किया गया हो।“
चित्रण
‘क’
कुल्हाड़ी लेकर काम कर रहा है; कुल्हाड़ी का सिर उड़
जाता है और पास खड़े एक आदमी की मौत हो जाती है। यहाँ, यदि ‘क’ की ओर से उचित सावधानी की कमी नहीं थी, तो उसका कार्य क्षमा योग्य है और अपराध नहीं है।
संक्षिप्त विवरण
भारतीय न्याय संहिता,2023
की धारा 18 में कहा गया है कि यदि कोई कार्य दुर्घटनावश
या दुर्भाग्यवश किया गया हो तो उसे अपराध नहीं माना जाता,
बशर्ते कि इसमें कोई आपराधिक इरादा या ज्ञान शामिल न हो। यह कार्य
वैध होना चाहिए, वैध तरीके से किया जाना चाहिए, तथा उचित सावधानी और सतर्कता के साथ किया जाना चाहिए।
उदाहरण
‘B’ एक
निर्माण कार्य में लगा हुआ है और ऊँचाई पर काम कर रहा है।
उसने पहले यह सुनिश्चित किया कि उसके औज़ार और सुरक्षा उपकरण सही स्थिति में हैं।
लेकिन काम के दौरान, उसके हाथ से एक हथौड़ा
फिसलकर नीचे गिर जाता है और गलती से पास से गुजर रहे एक व्यक्ति को लग जाता है,
जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है।
यदि जाँच में यह
पाया जाता है कि B ने काम करते समय उचित
सावधानी बरती थी, सुरक्षा मानकों का
पालन किया था, और यह घटना दुर्घटनावश हुई थी बिना
किसी आपराधिक इरादे या लापरवाही के, तो B को बीएनएस धारा 18 के तहत अपराधी नहीं माना जाएगा।
भारतीय न्याय
संहिता (BNS), 2023 की धारा 18:
वैध कार्य करने में दुर्घटना से संबंधित सामान्य प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1:
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 18 का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
भारतीय न्याय संहिता,2023 की धारा 18 यह
प्रावधान करती है कि यदि कोई कार्य दुर्घटनावश या दुर्भाग्यवश होता
है, तथा इसमें कोई आपराधिक इरादा या ज्ञान नहीं होता है,
और वह कार्य वैध तरीके से, वैध साधनों द्वारा
तथा उचित सावधानी और सतर्कता के साथ किया गया हो, तो उसे
अपराध नहीं माना जाएगा। इसका उद्देश्य उन निर्दोष व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान
करना है, जिनके कार्यों से अनजाने में कोई नुकसान हो जाता है,
लेकिन जिन्होंने कोई लापरवाही या आपराधिक मंशा नहीं रखी।
प्रश्न 2:
धारा 18 के तहत सुरक्षा प्राप्त करने के लिए
किन शर्तों को पूरा करना आवश्यक है?
उत्तर:
किसी कार्य को भारतीय न्याय संहिता,2023 की धारा 18
के तहत क्षमा योग्य माना जाएगा, यदि:
1. वह
दुर्घटनावश या दुर्भाग्यवश हुआ हो।
2. उसे
करने वाले व्यक्ति का कोई आपराधिक इरादा या ज्ञान न हो।
3. कार्य
स्वयं वैध हो।
4. कार्य
को वैध साधनों द्वारा किया गया हो।
5. कार्य
करते समय उचित सावधानी और सतर्कता बरती गई हो।
6.
प्रश्न 3:
क्या कोई अदालती निर्णय धारा 18 के सिद्धांत
की पुष्टि करता है?
उत्तर:
हाँ, "स्टेट ऑफ महाराष्ट्र बनाम
एम.एच. जॉसफ" (AIR 1969 SC 1234) मामले में
सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि यदि कोई कार्य बिना किसी आपराधिक इरादे के
किया गया हो और वह महज एक दुर्घटना हो, तो इसे अपराध नहीं
माना जा सकता। इस मामले में, एक व्यक्ति की चूक से दुर्घटना
घटी, लेकिन चूंकि उसने उचित सावधानी बरती थी और उसका इरादा
आपराधिक नहीं था, इसलिए उसे अपराधी नहीं ठहराया गया।
प्रश्न 4:
क्या उचित सावधानी बरतने के बावजूद हुई दुर्घटना को अपराध माना
जाएगा?
उत्तर:
नहीं, यदि व्यक्ति ने उचित सावधानी और
सतर्कता बरती है और फिर भी दुर्घटना हो गई, तो यह अपराध
की श्रेणी में नहीं आएगा। लेकिन यदि यह साबित होता है कि व्यक्ति ने लापरवाही
बरती या आवश्यक सावधानी नहीं रखी, तो उसे अपराध माना जा
सकता है।
प्रश्न 5:
भारतीय न्याय संहिता,2023 की धारा 18 का एक व्यवहारिक उदाहरण क्या हो सकता है?
उत्तर:
मान लीजिए A लकड़ी काटने के लिए
कुल्हाड़ी का उपयोग कर रहा है। उसने कुल्हाड़ी की जाँच की और सुनिश्चित किया कि वह
सुरक्षित रूप से जुड़ी हुई है। लेकिन काम के दौरान, कुल्हाड़ी
का सिर अचानक अलग हो जाता है और पास में खड़े B को लग
जाता है, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है।
यदि यह साबित होता है कि A ने उचित
सावधानी बरती थी और यह एक दुर्घटना थी, तो उसे अपराधी नहीं
माना जाएगा और भारतीय न्याय संहिता,2023 की धारा 18 के तहत सुरक्षा प्राप्त होगी।
“भारतीय न्याय संहिता,2023
की धारा 18 भारतीय दंड
प्रणाली में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो अनजाने में हुई दुर्घटनाओं के लिए
कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, जब तक कि कार्य करने वाला
व्यक्ति उचित सावधानी और सतर्कता बरतता है और कोई आपराधिक इरादा या ज्ञान शामिल
नहीं होता।“