14 जून 2025
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि जेल में हिरासत के
दौरान कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का प्राथमिक कर्तव्य है। यह
टिप्पणी जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर ने उस मामले में की, जिसमें
जेल में दो गुटों के बीच हुई हिंसक झड़प में कैदी जावेद की मौत हो गई थी। कोर्ट ने
मृतक के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला: कैदियों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी
दिल्ली
हाईकोर्ट ने साफ किया कि जेलों में गिरोहों को पनपने की अनुमति नहीं दी जानी
चाहिए। जस्टिस शंकर ने कहा, "सरकार
का यह कर्तव्य है कि वह न केवल आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करे, बल्कि जेल में बंद कैदियों के हितों की रक्षा भी करे।" कोर्ट ने जोर देकर कहा कि हिरासत में होने वाली अप्राकृतिक मौतों के
मामलों में मुआवजा देना सरकार की जिम्मेदारी है।
इसके
तहत,
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) को
मृतक जावेद के परिजनों को 3 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया। इसमें से 1 लाख रुपये पहले
ही जावेद की मां को दिए जा चुके हैं, जिनका अब निधन हो चुका
है।
कोर्ट ने खारिज की दिल्ली सरकार की दलील
दिल्ली
सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि जावेद की मौत दो प्रतिद्वंद्वी गिरोहों के बीच
झगड़े के कारण हुई थी, जिसमें मृतक भी शामिल था।
हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि इस तथ्य
से जेल अधिकारियों की जिम्मेदारी कम नहीं होती। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चाहे कैदी
की आपराधिक पृष्ठभूमि हो या न हो, सरकार का कर्तव्य है कि वह
हिरासत में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे।
साकेत कोर्ट लॉकअप में हुई थी घटना
यह
मामला साकेत कोर्ट के लॉकअप में हुई एक हिंसक घटना से जुड़ा है,
जिसमें कैदियों के बीच झड़प के दौरान जावेद की मौत हो गई थी। कोर्ट
ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जेल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए और सरकार
को अपनी जिम्मेदारी निभाने का निर्देश दिया।
क्यों
है यह फैसला महत्वपूर्ण?
हाईकोर्ट
का यह फैसला जेल सुधार और कैदियों के मानवाधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हिरासत में कैदियों की सुरक्षा और उनके हितों की
रक्षा करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है। यह फैसला न केवल जेल प्रशासन को और
अधिक जवाबदेह बनाएगा, बल्कि कैदियों के प्रति
समाज के दृष्टिकोण को भी बदलने में मदद करेगा।
निष्कर्ष
हाईकोर्ट
का यह आदेश न केवल मृतक जावेद के परिजनों के लिए राहत लेकर आया है,
बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून सभी के लिए समान है। चाहे कोई
व्यक्ति जेल में हो या बाहर, उसकी सुरक्षा और अधिकारों की
रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है। यह फैसला जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत
करने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित करता है।