भारत एक संघीय देश है, जहाँ केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देश का शासन चलाती हैं। लेकिन कई बार केंद्र और राज्यों के बीच नीतियों, योजनाओं या संसाधनों को लेकर मतभेद हो जाते हैं। इन मतभेदों को सुलझाने और बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए भारत के संविधान में अनुच्छेद 263 के तहत अंतर-राज्य परिषद का प्रावधान किया गया है।
अनुच्छेद
263
क्या है?
भारत
के संविधान का अनुच्छेद 263 कहता है कि राष्ट्रपति को अधिकार है कि वह एक अंतर-राज्य परिषद
(Inter-State Council) का गठन कर सकते हैं। इस परिषद का मुख्य
उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच या विभिन्न राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना
और विवादों को सुलझाना है। अनुच्छेद 263 के तहत परिषद के तीन
मुख्य कार्य हैं:
1. विवादों
का समाधान: राज्यों के बीच या केंद्र और राज्यों के
बीच किसी भी मुद्दे पर विवाद होने पर परिषद उसका समाधान करने में मदद करती है।
2. नीतियों
पर चर्चा: राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर केंद्र और
राज्यों के बीच विचार-विमर्श करना, ताकि नीतियाँ सभी के हित
में बनें।
3. सुझाव
देना:
परिषद केंद्र और राज्यों को बेहतर शासन और सहयोग के लिए सुझाव दे
सकती है।
अंतर-राज्य परिषद का गठन
अंतर-राज्य
परिषद का गठन पहली बार 1990 में
किया गया था, जब वी.पी. सिंह सरकार में प्रधानमंत्री
थे। यह परिषद सर्कारिया आयोग (1988) की सिफारिशों के
आधार पर बनी थी। इसकी संरचना इस प्रकार है:
- अध्यक्ष:
भारत के प्रधानमंत्री।
- सदस्य:
- सभी राज्यों के मुख्यमंत्री।
- केंद्र शासित प्रदेशों के
प्रशासक (जो विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते
हैं)।
- केंद्र सरकार के कुछ प्रमुख
मंत्री (जैसे गृह मंत्री, वित्त मंत्री
आदि)।
- अन्य लोग,
जिन्हें राष्ट्रपति नामित कर सकते हैं।
अंतर-राज्य परिषद का महत्व
अंतर-राज्य
परिषद भारत के संघीय ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके
कुछ प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं:
1. केंद्र-राज्य
सहयोग: यह परिषद केंद्र और राज्यों के बीच एक
मंच प्रदान करती है, जहाँ वे आपसी मुद्दों पर खुलकर चर्चा कर
सकते हैं।
2. विवाद
समाधान: राज्यों के बीच या केंद्र और राज्यों के
बीच विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने में मदद करती है।
3. नीति
निर्माण में एकरूपता: राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों,
जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, या आर्थिक नीतियों पर सभी राज्यों की राय लेकर नीतियाँ बनाई जा सकती हैं।
4. संघीय
ढांचे को मजबूती: यह परिषद सुनिश्चित करती है
कि भारत का संघीय ढांचा संतुलित रहे और कोई भी राज्य या केंद्र अकेले हावी न हो।
अंतर-राज्य परिषद के कार्य
परिषद
कई तरह के मुद्दों पर काम करती है, जैसे:
- आर्थिक और सामाजिक नीतियाँ:
जैसे जीएसटी, शिक्षा नीति, या स्वास्थ्य योजनाओं पर चर्चा।
- प्रशासनिक सुधार:
केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर प्रशासनिक समन्वय के लिए
सुझाव।
- विवादों का समाधान:
जैसे जल विवाद, सीमा विवाद, या संसाधनों के बँटवारे से जुड़े मुद्दे।
- राष्ट्रीय सुरक्षा:
आंतरिक सुरक्षा या आपदा प्रबंधन जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाना।
उदाहरण
के लिए,
जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू करने
से पहले अंतर-राज्य परिषद और उससे संबंधित मंचों पर केंद्र और राज्यों के बीच लंबी
चर्चा हुई थी, ताकि सभी राज्यों की सहमति बन सके।
चुनौतियाँ
हालांकि
अंतर-राज्य परिषद एक महत्वपूर्ण संस्था है, फिर भी
इसे कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
1. सीमित
बैठकें: परिषद की बैठकें नियमित रूप से नहीं
होतीं, जिसके कारण कई मुद्दे लंबित रहते हैं।
2. सुझावों
का अमल: परिषद के सुझाव बाध्यकारी नहीं होते,
इसलिए कई बार राज्यों या केंद्र द्वारा इनका पालन नहीं किया जाता।
3. राजनीतिक
मतभेद: अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक
दलों की सरकारें होने के कारण सहमति बनाना मुश्किल हो जाता है।
4. सीमित
अधिकार: परिषद के पास कोई कानूनी या कार्यकारी
शक्ति नहीं है, यह केवल सलाहकारी भूमिका निभाती है।
सुधार के लिए सुझाव
अंतर-राज्य
परिषद को और प्रभावी बनाने के लिए कुछ सुझाव हैं:
1. नियमित
बैठकें: परिषद की बैठकें नियमित रूप से होनी
चाहिए, ताकि मुद्दों का तुरंत समाधान हो सके।
2. अधिक
शक्ति: परिषद को कुछ मामलों में बाध्यकारी
फैसले लेने का अधिकार दिया जा सकता है।
3. तकनीकी
सहायता: जटिल मुद्दों, जैसे
जलवायु परिवर्तन या आर्थिक नीतियों पर चर्चा के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जा सकती
है।
4. जागरूकता:
राज्यों और जनता को परिषद की भूमिका और महत्व के बारे में अधिक
जानकारी दी जानी चाहिए।
निष्कर्ष
अनुच्छेद
263 के तहत गठित अंतर-राज्य परिषद भारत के संघीय ढांचे का एक महत्वपूर्ण
हिस्सा है। यह केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देती है,
जिससे राष्ट्रीय हित में नीतियाँ बनाई जा सकें। हालांकि, इसे और प्रभावी बनाने के लिए नियमित बैठकें, अधिक
शक्तियाँ, और बेहतर समन्वय की जरूरत है। यह परिषद भारत जैसे
विविधतापूर्ण देश में एकता और सहयोग का प्रतीक है, जो केंद्र
और राज्यों को मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करती है।