दिन-प्रतिदिन समाज में ऑनर किलिंग (इज्जत के नाम पर हत्या) और प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों के उत्पीड़न की घटनाएँ सामने आती रहती हैं। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐसा ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें एक अंतर-धार्मिक वयस्क जोड़े को सुरक्षा प्रदान की गई और पुलिस को सख्त निर्देश दिए गए। इस केस ने न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को मजबूत किया, बल्कि समाज को एक कड़ा संदेश भी दिया कि संविधान, सामाजिक रीति-रिवाजों से ऊपर है।
मामला क्या था?
23
वर्षीय प्रिया सोलंकी ने
अपने प्रेमी से आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली। शादी के बाद लड़की के
परिवार ने इसका विरोध किया और भारतीय न्याय संहिता 2023
की धारा 87 के तहत पति
के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी। जबकि दोनों वयस्क थे और आपसी सहमति से शादी
की थी।
परिवार
की धमकियों और ऑनर किलिंग का डर लगने के बाद, दोनों
ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की और सुरक्षा की मांग की।
हाईकोर्ट
का फैसला क्या आया?
न्यायमूर्ति
जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार की
खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि:
- हर वयस्क को अपनी मर्जी से शादी
और साथी चुनने का अधिकार है।
- अगर याचिकाकर्ताओं को कोई नुकसान
हुआ तो एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
- पुलिस ने वयस्क जोड़े के खिलाफ
एफआईआर दर्ज कर गलती की है।
- जब तक अदालत कोई अगला आदेश न दे,
तब तक दोनों की गिरफ्तारी और जबरन अलग करने पर रोक लगाई
गई है।
- परिवार वाले किसी भी तरीके से —
चाहे सीधे, सोशल मीडिया या अन्य — संपर्क
नहीं कर सकते।
संविधान
में किस अधिकार की बात हुई?
इस
मामले में अदालत ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला दिया।
अनुच्छेद 21 हर नागरिक को जीवन और
व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है। इसमें अपनी
मर्जी से शादी करना और साथी चुनना भी शामिल है।
कोर्ट
ने कहा कि:
“सामाजिक परंपराएँ कुछ भी कहें, लेकिन संविधान हर
वयस्क को स्वतंत्रता का अधिकार देता है और यह अधिकार पूरी तरह सुरक्षित है।”
ऑनर किलिंग पर अदालत की सख्त टिप्पणी
कोर्ट
ने कहा कि:
- ऑनर किलिंग जैसी घटनाओं को
नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
- परिवार और समाज का विरोध,
संविधान के अधिकारों पर हावी नहीं हो सकता।
- जो भी ऑनर किलिंग या धमकी देगा,
उस पर सख्त कार्रवाई होगी।
पुलिस
पर नाराजगी क्यों?
कोर्ट
ने पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि:
- दोनों बालिग थे,
फिर भी पुलिस ने धारा 87 में एफआईआर दर्ज
की, जो गलत और चौंकाने वाला है।
- ऐसे मामलों में पुलिस को पहले
जांच करनी चाहिए कि दोनों वयस्क हैं या नहीं।
- बिना कानूनी वजह के एफआईआर करना,
संवैधानिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
क्या
संदेश मिला इस फैसले से?
इस
फैसले ने यह साफ कर दिया है कि:
- संविधान समाज की पुरानी सोच से
बड़ा है।
- हर वयस्क को शादी और साथ रहने का
हक है, चाहे जाति, धर्म
या परिवार कुछ भी कहे।
- ऑनर किलिंग,
धमकी या जबरन अलग करने जैसी घटनाओं को अदालत बर्दाश्त नहीं
करेगी।
निष्कर्ष
इस
फैसले ने उन तमाम प्रेमी जोड़ों को राहत दी है जो अपने परिवार या समाज के डर
से परेशान रहते हैं।
संविधान
उन्हें पूरी सुरक्षा देता है और यह केस उसका सबसे ताजा उदाहरण है।
अगर आपके साथ भी ऐसा कोई मामला है तो आप हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट
की शरण ले सकते हैं।
केस का नाम
प्रिया
सोलंकी और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य
अंतिम बात
इस
तरह के मामलों में कानूनी जानकारी और हिम्मत बहुत ज़रूरी होती है। अगर आप
भी अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हैं तो कोई भी सामाजिक दबाव या डर आपकी खुशी छीन
नहीं सकता।